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CM के आदेश की खुलेआम उड़ाई जा रहीं धज्जियां, DJ पर नहीं लग रहा प्रतिबंध - No restrictions on DJ

डिंडौरी में देर रात डीजे तक बजाया जाता रहा, वहीं सीएम के आदेश के बाद भी डीजे पर प्रतिबंध नहीं लग रहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा है. जिससे परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

No ban on DJ in Dindori
डिंडौरी में डीजे पर नहीं लग रहा प्रतिबंध
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Published : Feb 9, 2020, 11:03 PM IST

डिंडौरी। शहपुरा सहित पूरे जिले में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है. विद्यार्थी भी अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए हैं. शहर में आए दिन निकलने वाले शादी समारोह जुलूस और अन्य आयोजनों में डीजे और बैंड के शोर के कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सीएम ने इसे लेकर आदेश भी दिया था लेकिन इसके बावजूद अभी तक प्रशासन ने डीजे पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.

डिंडौरी में डीजे पर नहीं लग रहा प्रतिबंध

एक शादी समारोह को शहर से गुजरने में 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है. ऐसे में जहां से भी ये गुजरते हैं, वहां रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है.

सीएम ने दिए निर्देश, फिर भी रोक नहीं

ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी निर्देश दिए हैं, बीते दिनों झाबुआ की एक छात्रा ने सीएम से अपील की थी कि वो शोर बंद करवाएं. खुद सीएम ने छात्रा को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि जल्द ही कार्रवाई होगी और इस पर रोक लगेगी. लेकिन शहर में सीएम के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है.

रात 10 बजे बाद प्रतिबंध लेकिन कार्रवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर में देर रात तक डीजे बज रहे हैं. नियमों के उल्लंघन के बाद भी पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

डिंडौरी। शहपुरा सहित पूरे जिले में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है. विद्यार्थी भी अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए हैं. शहर में आए दिन निकलने वाले शादी समारोह जुलूस और अन्य आयोजनों में डीजे और बैंड के शोर के कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सीएम ने इसे लेकर आदेश भी दिया था लेकिन इसके बावजूद अभी तक प्रशासन ने डीजे पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.

डिंडौरी में डीजे पर नहीं लग रहा प्रतिबंध

एक शादी समारोह को शहर से गुजरने में 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है. ऐसे में जहां से भी ये गुजरते हैं, वहां रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है.

सीएम ने दिए निर्देश, फिर भी रोक नहीं

ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी निर्देश दिए हैं, बीते दिनों झाबुआ की एक छात्रा ने सीएम से अपील की थी कि वो शोर बंद करवाएं. खुद सीएम ने छात्रा को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि जल्द ही कार्रवाई होगी और इस पर रोक लगेगी. लेकिन शहर में सीएम के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है.

रात 10 बजे बाद प्रतिबंध लेकिन कार्रवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर में देर रात तक डीजे बज रहे हैं. नियमों के उल्लंघन के बाद भी पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

Intro:शहपुरा सहित पूरे जिले में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। विद्यार्थी भी अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए हैं । इस दौरान विद्यार्थियों को एकाग्रता की जरूरत होती है, लेकिन शहर में आए दिन निकलने वाले शादी समारोह जुलूस व अन्य आयोजनों में डीजे और बैंड के शोर के कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों के समय में भी डीजे और बैंड के कारण परीक्षा की तैयारियों में खलल पड़ रहा है। इसके बाद भी अभी तक ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने वाले इन विस्तारक यंत्रों पर प्रशासन ने प्रतिबंध नहीं लगाया है। बढ़ते शोर-शराबे का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।
कुछ दिनों बाद स्कूलों में बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा शुरू होने वाली है। अन्य स्कूलों में भी छोटी कक्षाओं की परीक्षा की तैयारियां चल रही हैं तो कहीं पर परीक्षाएं भी शुरू हो चुकी है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा भी मार्च के पहले हफ्ते से शुरू हो रही है। परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए ध्वनि प्रदूषण परेशानी बनता जा रहा है। शहर में लगभग प्रतिदिन ही विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के चलते चल समारोह निकाले जा रहे हैं। इनमें बैंड बाजे के साथ ढोल, लाउड स्पीकर डीजे आदि का भी उपयोग होता है। एक चल समारोह को शहर से गुजरने में 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है। ऐसे में जहां से भी ये चल समारोह गुजरते है वहां रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है।
यही स्थिति शाम के समय और ज्यादा बढ़ जाती है। शादी-समारोह के कारण बड़ी संख्या में वर निकासी निकल रही है। इसमें बैंड के साथ डीजे का भी उपयोग किया जा रहा है। वहीं मैरिज गार्डन और धर्मशालाओं में भी डीजे बजाए जा रहे है। इससे आसपास रहने वाले लोगों के साथ बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। देर रात तक हो रहे शोर-शराबे को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

सीएम ने दिए निर्देश, फिर भी रोक नहीं
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी निर्देश दिए हैं। गत दिनों झाबुआ की एक छात्रा ने सीएम से अपील की थी कि वे शोर बंद करवाएं। खुद सीएम ने छात्रा को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि जल्द ही कार्रवाई होगी और इस पर रोक लगेगी। शहर में सीएम के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

रात 10 बजे बाद प्रतिबंध लेकिन कार्रवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर में देर रात तक डीजे बज रहे है। नियमों के उल्लंघन के बाद भी पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इतना ही नहीं प्रशासन की ओर परीक्षा के मद्देनजर कोलाहल अधिनियम के तहत भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों की सीमा तय कर दी जाती है, लेकिन इस बार यह भी दिखाई नहीं दे रहा है।

शोर से बच्चों को ये होती है परेशानी
पढ़ाई के दौरान एकाग्रता खत्म हो जाती है। लगातार शोर के कारण मन विचलित होता है। ज्यादा देर तक शोर के बीच रहने से मस्तिष्क पर विपरित असर पड़ता है। एक तय सीमा से ज्यादा शोर होने पर सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। लगातार शोर के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है।Body:शहपुरा सहित पूरे जिले में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। विद्यार्थी भी अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए हैं । इस दौरान विद्यार्थियों को एकाग्रता की जरूरत होती है, लेकिन शहर में आए दिन निकलने वाले शादी समारोह जुलूस व अन्य आयोजनों में डीजे और बैंड के शोर के कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों के समय में भी डीजे और बैंड के कारण परीक्षा की तैयारियों में खलल पड़ रहा है। इसके बाद भी अभी तक ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने वाले इन विस्तारक यंत्रों पर प्रशासन ने प्रतिबंध नहीं लगाया है। बढ़ते शोर-शराबे का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।
कुछ दिनों बाद स्कूलों में बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा शुरू होने वाली है। अन्य स्कूलों में भी छोटी कक्षाओं की परीक्षा की तैयारियां चल रही हैं तो कहीं पर परीक्षाएं भी शुरू हो चुकी है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा भी मार्च के पहले हफ्ते से शुरू हो रही है। परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए ध्वनि प्रदूषण परेशानी बनता जा रहा है। शहर में लगभग प्रतिदिन ही विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के चलते चल समारोह निकाले जा रहे हैं। इनमें बैंड बाजे के साथ ढोल, लाउड स्पीकर डीजे आदि का भी उपयोग होता है। एक चल समारोह को शहर से गुजरने में 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है। ऐसे में जहां से भी ये चल समारोह गुजरते है वहां रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है।
यही स्थिति शाम के समय और ज्यादा बढ़ जाती है। शादी-समारोह के कारण बड़ी संख्या में वर निकासी निकल रही है। इसमें बैंड के साथ डीजे का भी उपयोग किया जा रहा है। वहीं मैरिज गार्डन और धर्मशालाओं में भी डीजे बजाए जा रहे है। इससे आसपास रहने वाले लोगों के साथ बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। देर रात तक हो रहे शोर-शराबे को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

सीएम ने दिए निर्देश, फिर भी रोक नहीं
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी निर्देश दिए हैं। गत दिनों झाबुआ की एक छात्रा ने सीएम से अपील की थी कि वे शोर बंद करवाएं। खुद सीएम ने छात्रा को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि जल्द ही कार्रवाई होगी और इस पर रोक लगेगी। शहर में सीएम के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

रात 10 बजे बाद प्रतिबंध लेकिन कार्रवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर में देर रात तक डीजे बज रहे है। नियमों के उल्लंघन के बाद भी पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इतना ही नहीं प्रशासन की ओर परीक्षा के मद्देनजर कोलाहल अधिनियम के तहत भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों की सीमा तय कर दी जाती है, लेकिन इस बार यह भी दिखाई नहीं दे रहा है।

शोर से बच्चों को ये होती है परेशानी
पढ़ाई के दौरान एकाग्रता खत्म हो जाती है। लगातार शोर के कारण मन विचलित होता है। ज्यादा देर तक शोर के बीच रहने से मस्तिष्क पर विपरित असर पड़ता है। एक तय सीमा से ज्यादा शोर होने पर सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। लगातार शोर के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है।Conclusion:शहपुरा सहित पूरे जिले में परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है। विद्यार्थी भी अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए हैं । इस दौरान विद्यार्थियों को एकाग्रता की जरूरत होती है, लेकिन शहर में आए दिन निकलने वाले शादी समारोह जुलूस व अन्य आयोजनों में डीजे और बैंड के शोर के कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों के समय में भी डीजे और बैंड के कारण परीक्षा की तैयारियों में खलल पड़ रहा है। इसके बाद भी अभी तक ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने वाले इन विस्तारक यंत्रों पर प्रशासन ने प्रतिबंध नहीं लगाया है। बढ़ते शोर-शराबे का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।
कुछ दिनों बाद स्कूलों में बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा शुरू होने वाली है। अन्य स्कूलों में भी छोटी कक्षाओं की परीक्षा की तैयारियां चल रही हैं तो कहीं पर परीक्षाएं भी शुरू हो चुकी है। माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा भी मार्च के पहले हफ्ते से शुरू हो रही है। परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए ध्वनि प्रदूषण परेशानी बनता जा रहा है। शहर में लगभग प्रतिदिन ही विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के चलते चल समारोह निकाले जा रहे हैं। इनमें बैंड बाजे के साथ ढोल, लाउड स्पीकर डीजे आदि का भी उपयोग होता है। एक चल समारोह को शहर से गुजरने में 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है। ऐसे में जहां से भी ये चल समारोह गुजरते है वहां रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है।
यही स्थिति शाम के समय और ज्यादा बढ़ जाती है। शादी-समारोह के कारण बड़ी संख्या में वर निकासी निकल रही है। इसमें बैंड के साथ डीजे का भी उपयोग किया जा रहा है। वहीं मैरिज गार्डन और धर्मशालाओं में भी डीजे बजाए जा रहे है। इससे आसपास रहने वाले लोगों के साथ बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। देर रात तक हो रहे शोर-शराबे को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

सीएम ने दिए निर्देश, फिर भी रोक नहीं
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी निर्देश दिए हैं। गत दिनों झाबुआ की एक छात्रा ने सीएम से अपील की थी कि वे शोर बंद करवाएं। खुद सीएम ने छात्रा को पत्र लिखकर आश्वस्त किया था कि जल्द ही कार्रवाई होगी और इस पर रोक लगेगी। शहर में सीएम के निर्देश के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

रात 10 बजे बाद प्रतिबंध लेकिन कार्रवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहर में देर रात तक डीजे बज रहे है। नियमों के उल्लंघन के बाद भी पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इतना ही नहीं प्रशासन की ओर परीक्षा के मद्देनजर कोलाहल अधिनियम के तहत भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों की सीमा तय कर दी जाती है, लेकिन इस बार यह भी दिखाई नहीं दे रहा है।

शोर से बच्चों को ये होती है परेशानी
पढ़ाई के दौरान एकाग्रता खत्म हो जाती है। लगातार शोर के कारण मन विचलित होता है। ज्यादा देर तक शोर के बीच रहने से मस्तिष्क पर विपरित असर पड़ता है। एक तय सीमा से ज्यादा शोर होने पर सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। लगातार शोर के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है।
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