धार/मांडू। प्रदेश की प्रसिद्ध प्राचीन नगरी 'मांडू' ने विश्व पर्यटन के नक्शे पर अपनी विशेष पहचान स्थापित की है. वहीं अब इसकी विशेषता और इतिहास से लोगों को रूबरू करने के लिए 'खोजने में खो जाओ' थीम पर तीन दिवसीय 'मांडू उत्सव' की शुरूआत 13 फरवरी से हो गई हैं. उत्सव के दौरान विभिन्न संगीतमय प्रस्तुतियां, एडवेंचर स्पोर्ट्स, हेरिटेज वॉक, साइकिलिंग, होर्स ट्रेल्स, स्टोरी टेलिंग और फिशिंग जैसी गतिविधियों से पर्यटकों का मन रोमांचित करने और उनके मनोरंजन के लिए यहां आयोजित होने वाली हैं.
साइकिल राइड से हुआ उत्सव का शुभारंभ
इस उत्सव का शुभारंभ कलेक्टर आलोक कुमार सिंह व अन्य आला अधिकारियों ने साइकिल चला कर किया. इस साइकिल राइड की शुरूआत मालवा रिसॉर्ट से की गई. इस राइड के बाद सभी अधिकारी जहाज महल पहुंचे और यहां की खूबसूरती को निहारते हुए अधिकारियों ने फोटोग्राफी का भी लुफ्त उठाया. इसके बाद कलेक्टर ने फूड कोर्ट की शुरुआत की.
कबीर कैफे से लेकर परंपरागत व्यंजनों का मिलेगा आंनद
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि माण्डू उत्सव के दौरान सभी उम्र के पर्यटकों के लिए उनकी रुचि अनुसार गतिविधियां आयोजित की जाएगी. जहां बच्चों को खजाने की खोज, घुड़सवारी, मछली पकड़ने और साइकल टूर जैसी एक्टिविटिस का आंनद मिलेगा. वहीं युवाओं को कबीर कैफे और मुक्त जैसे प्रसिद्ध म्यूजिक बैंड अपनी प्रस्तुति देखने का मौका मिलेगा. खाने के शौकीन लोगों को परंपरागत व्यंजनों के साथ स्थानीय व्यंजनों का तड़का देने के लिए विशेष स्टॉल लगाए गए हैं. पर्यटकों के विशेष वर्ग के लिए हेरिटेज वॉक, एडवेंचर स्पोर्ट्स, स्टोरी टेलिंग जैसी रोमांचक और मनोरंजक गतिविधियां भी रखी गई है.
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इतिहास, संस्कृति से रूबरू कराना उत्सव का लक्ष्य
शुक्ला ने बताया कि माण्डू उत्सव का मुख्य उद्देश्य यहां के प्राचीन इतिहास और स्थानीय संस्कृति से पर्यटकों को रूबरू कराना और समृद्ध पर्यटन स्थल का महत्व व पहचान सामने लाना है. उन्होंने बताया कि उत्सव के जरिए देश-विदेश के लोगों को माण्डू के पर्यटन स्थलों से जोड़ा जाएगा. ऐसे उत्सवों के आयोजन से जहां मध्यप्रदेश की ग्रामीण विशेष संस्कृति से दुनिया परिचित हो सकेंगी, वहीं रोजगार के नए अवसर पैदा होने से आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का सपना भी साकार होगा.
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मांडू की खासियत
विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में बसे मांडू को पहले शादियाबाद के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है 'खुशियों का नगर' अंग्रेज तो इसे अब भी सिटी ऑफ जाय के नाम से ही पुकारते हैं. मांडू में वास्तुकला की ऐसी बेजोड़ रचनाएं बिखरी पड़ी हैं, जो देश-दुनिया के लिए धरोहर हैं. इमारतें तब के शासकों की कलात्मक सोच, समृद्ध विरासत और शानो-शौकत का आईना है. मांडू को ऐसा अभेद्य गढ़ भी माना गया जिसे शत्रु कभी नहीं भेद सके.