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रंगपंचमी के मौके पर इस गांव में होती है गुड़ तोड़ प्रथा, युवकों पर महिलाएं करती हैं डंडे से वार - धार

ग पंचमी के मौके पर देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का आयोजन होता है. जहां तेल से लबरेज खंबे पर युवक चढ़ते हैं और गांव की महिलाएं उन पर लकड़ियों से वार करती हैं.

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Published : Mar 25, 2019, 11:46 PM IST

धार। रंग पंचमी के मौके पर देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का आयोजन होता है. जहां तेल से लबरेज खंबे पर युवक चढ़ते हैं और गांव की महिलाएं उन पर लकड़ियों से वार करती हैं.


दरअसल धार जिले के ग्राम कोठड़ा में रंग पंचमी के मौके पर जहां रंगो का पावन पर्व होली बड़ी धूमधाम से खेली जाती है. वहीं देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का भी आयोजन होता है. गुड़ तोड़ इस खेल में बड़ा ही आनंद आता है. इस खेल में गांव के बीचों-बीच मौजूद एक मैदान में लकड़ी का खंबा लगाया जाता है. जिसे बकायदा तेल, घी और दूसरे चिकने पदार्थों से उसे चिकना किया जाता है.


जिससे उस खंबे पर आसानी से नहीं चला जा सके, वहीं उसी खंबे के ऊपरी भाग पर लाल कपड़े में गुड़ की पोटली भी बांधी जाती है. जिसे गांव के युवक खंबे पर चढ़कर उसे खोलते और बांधते हैं. यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक मैदान के बीच गड़े खंबे को उखाड़ नहीं दिया जाए. खास बात यह है की जब युवक लकड़ी के खंभे पर चढ़ते हैं तो उन पर गांव की बुजुर्ग और युवा महिलाएं लकड़ियों से जोरदार वार करती हैं. युवा अपना बचाव करते है. यह प्रथा सालों से ग्राम कोठड़ा में आयोजित की जाती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस प्रथा को गुड तोड़ कहा जाता है. इससे गांव में समरसता का भाव रहता है.

धार। रंग पंचमी के मौके पर देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का आयोजन होता है. जहां तेल से लबरेज खंबे पर युवक चढ़ते हैं और गांव की महिलाएं उन पर लकड़ियों से वार करती हैं.


दरअसल धार जिले के ग्राम कोठड़ा में रंग पंचमी के मौके पर जहां रंगो का पावन पर्व होली बड़ी धूमधाम से खेली जाती है. वहीं देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का भी आयोजन होता है. गुड़ तोड़ इस खेल में बड़ा ही आनंद आता है. इस खेल में गांव के बीचों-बीच मौजूद एक मैदान में लकड़ी का खंबा लगाया जाता है. जिसे बकायदा तेल, घी और दूसरे चिकने पदार्थों से उसे चिकना किया जाता है.


जिससे उस खंबे पर आसानी से नहीं चला जा सके, वहीं उसी खंबे के ऊपरी भाग पर लाल कपड़े में गुड़ की पोटली भी बांधी जाती है. जिसे गांव के युवक खंबे पर चढ़कर उसे खोलते और बांधते हैं. यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक मैदान के बीच गड़े खंबे को उखाड़ नहीं दिया जाए. खास बात यह है की जब युवक लकड़ी के खंभे पर चढ़ते हैं तो उन पर गांव की बुजुर्ग और युवा महिलाएं लकड़ियों से जोरदार वार करती हैं. युवा अपना बचाव करते है. यह प्रथा सालों से ग्राम कोठड़ा में आयोजित की जाती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस प्रथा को गुड तोड़ कहा जाता है. इससे गांव में समरसता का भाव रहता है.

Intro:रंग पंचमी के मौके पर देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का होता आयोजन है,तेल से लबरेज खंबे पर चढ़ते हैं युवक ,गांव की महिलाएं करती है हरी हरि लकड़ीयो से उन पर वार, दरअसल धार जिले के ग्राम कोठड़ा में रंग पंचमी के मौके पर जहां रंगो का पावन पर्व होली बड़ी धूमधाम से खेली जाती है तो वहीं देर शाम गुड़ तोड़ प्रथा का भी आयोजन होता है गुड़ तोड़ इस खेल में बड़ा ही आनंद आता है इस खेल में गांव के बीचो-बीच स्थित एक मैदान में लकड़ी का खंबा गाड़ा जाता है जिसे बकायदा तेल से, घी से, और अन्य चिकने पदार्थों से उसे चिकना किया जाता है ताकि उस खंबे पर आसानी से नहीं चला जा सके, वही उसी खंबे के ऊपरी भाग पर लाल कपड़े में गुड़ की पोटली भी बांधी जाती है जिसे गांव के युवक उस खंबे चढ़कर उसे खोलते हैं और बांधते हैं यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक मैदान के बीच गड़े खंबे को उखाड़ना नही दिया जाए खास बात यह रहती है की जब युवक लकड़ी के खंभे पर चढ़ते हैं तो उन पर गांव की बुजुर्ग और युवा महिलाएं हरि-हरि लकड़ियों से जोरदार वार करती हैं और युवा अपना बचाव करते हैं यह खेल यह प्रथा वर्षों से ग्राम कोठड़ा में आयोजित की जाती है स्थानीय लोग बताते हैं कि इस प्रथा को गुड तोड़ कहा जाता है इससे गांव में समरसता का भाव रहता है महिलाएं हरी हरी लकड़ियों से युवाओं पर जोरदार वार करती है तो वहीं युवा भी मार खाते-खाते खंबे पर चढ़ते हैं कभी फिसलते हैं तो कभी गिरते हैं पर खंबे के शीर्ष भाग पर बंधी गुड़ कि पोटली को खोलते हैं और फिर बांधते हैं और इस खेल का इस प्रथा का आनंद लेते हैं यह प्रथा तब तक जारी रहती है जब तक मैदान के बीच खड़ा खंबा उखाड़ लिया नहीं जाता स्थानीय रविन्द्र जाट ने बताया कि यह परम्परा पीढ़ियों पुरानी है इसमें बड़ा ही आनंद आता है और यह परम्परा आगे भी जारी रहेगा, वही इस गुड़ तोड़ प्रथा का खेल का वर्ष भर इंतजार ग्राम के युवा महिलाएं करती हैं और इस खेल का आयोजन कर हर कोई आनंद लेता है।

बाइट-01-रविन्द्र जाट-ग्राम कोठड़ा निवासी


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