धार। नर्मदा घाटी का यह इलाका करोड़ों वर्ष पहले डायनासोर युग से जुड़ा रहा है और यहां लगभग साढ़े 6 करोड़ साल पहले डायनासोरों का क्षेत्र हुआ करता था. जिनके सैकड़ों अंडे पिछले कई वर्षों में वैज्ञानिको को यहां से मिल चुके हैं. पूरा घटनाक्रम धार जिले के कुक्षी तहसील के ग्राम पाडलिया का है. यहां पर ग्रामीणों को खेती किसानी के दौरान खेत में गोल आकार के पत्थर मिलते रहे. ग्रामीण सदियों से इन्हें कुल देवता मानकर पूजा अर्चना करते आये हैं. (Dinosaur Eggs Found in Dhar)
क्या कहते हैं ग्रामीण : इस घटनाक्रम का खुलासा होने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के वेस्ता मंडलोई ने बताया कि ये गोल आकार के पत्थर जैसी वस्तु को काकर यानी खेत का भैरव देवता के रूप में पूजा करते हैं. उनके घरों में यह परंपरा पूर्वजों के दौर से चली आ रही है, जिसका सभी ग्रामीण अपने अपने क्षेत्र में पालन करते रहे हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि कुल देवता उनकी खेती और मवेशियों के साथ उनकी भी रक्षा करते हैं और हर विपरीत विपत्ति से उन्हें बचाते हैं. काकर के रूप में पूजे जाने वाले देवता को भैरव देवता मानते हैं. हालांकि डायनासोर के अंडों के रूप में ग्रामीणों के कुल देवता की पहचान होने के बाद प्रशासन हरकत में आया. जिसकी जांच की जा रही है.
![worship dinosaur egg in name of kuldevta](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/20313737_bhhfg-1.jpg)
पूर्व में यहां कई अंडे मिल चुके हैं : गौरतलब है कि पाडलिया सहित कुक्षी तहसील का यह क्षेत्र डायनासोर के अंडों के लिए जाना जाता है और पूर्व में भी यहां से डायनासोर के 256 अंडे मिल चुके हैं, जिनका आकार लगभग 15 से 17 सेंटीमीटर का बताया जाता है. जिसको लेकर वर्षों से यहां वैज्ञानिक जांच पड़ताल में लगे हुए हैं. करोड़ों वर्ष पूर्व की डायनासोर कालीन परिस्थितियों पर जांच जारी है. इस क्षेत्र में इस तरह की गोल आकृति जिसे डायनासोर के अंडे के रूप में माना जा रहा है, ये यहां वहां बिखरे पड़े ग्रामीणों को मिलते रहते हैं. जिसको लेकर प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं, ना ही इस क्षेत्र का संरक्षण करने को लेकर कोई ठोस कदम अब तक उठाए गए हैं.(Dhar People Used to Worship Dinosaur Eggs)
![Dinosaur Eggs Found in Dhar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-12-2023/20313737_bhhfg-2.jpg)
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वैज्ञानिकों ने किया भ्रमण : अब बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे. उन्होंने गांवों के भ्रमण के दौरान गोल पत्थरनुमा आकृति का विश्लेषण शुरू किया तो उन्हें चौंकाने वाले मामले का पता चला. विशेषज्ञों ने पाया कि यह ग्रामीणों के कुलदेवता नहीं हैं, बल्कि डायनासोर की टिटानो- सारस प्रजाति के जीवाश्म यानी अंडे हैं. वहीं, धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा ने बताया कि धार जिले में अंडे मिलते रहे हैं. ईको टूरिज्म बोर्ड से हाल ही में एक टीम आई थी. एपिक्स संस्थान के साइंटिस्ट भी आए थे. (Dinosaur Eggs in Name of Kuldevta)