धार। मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश ने एक बार फिर अन्नदाता को चिंता में डाल दिया है. सरदार सरोवर बांध के ओवरफ्लो होने के कारण नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ गया था. जिसके बाद निचले इलाकों में बसे धार जिले के कई इलाके डूब की चपेट में आ गए. भारी बारिश के बाद हर तरफ नदी-नाले उफान पर हैं. बारिश के बाद आई बाढ़ ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है.
फसले हुई जलमग्न
भारी बारिश होने से नर्मदा में बाढ़ आ गई तो वहीं दूसरी ओर सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से नर्मदा का बैक वाटर भी बड़ा जिससे धार जिले के नर्मदा किनारे बसे निसरपुर, कड़माल, खापरखेड़ा, धरमपुरी के साथ कई अन्य गांवों में जलभराव की स्थिति बन गई. सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित गांवों में किसानों की लहलहाती फसल जहां जलमग्न हुई तो वहीं लोगों के आशियाने को भी बाढ़ ने अपने आगोश में ले लिया.
धार्मिक स्थल भी आए चपेट में
नर्मदा किनारे मौजूद धार्मिक स्थल नर्मदा में आई बाढ़ में जलमग्न हो गए, धार्मिक स्थलों पर जहां बाढ़ के कारण मंदिरों में गाद जम गई है. अब जब नर्मदा का जलस्तर कम हुआ है तो बाढ़ की तबाही का मंजर देखते नहीं बन रहा है. जिले का मुख्य आकर्षण का केंद्र मेघनाथ और कोटेश्वर धाम भी डूब गए हैं.
फसलें बर्बाद
बलवाड़ा और लहसन गांव के किसानों की 300 बीघा से अधिक मक्का, केले, कपास और सोयाबीन की फसलें जलमग्न हो गई हैं. अब जब नर्मदा का जलस्तर कम हुआ है, तो बाढ़ की तबाही का मंजर चारों ओर दिखाई दे रहा है. बाढ़ के कारण फसलें सड़कर बदबू देने लगी हैं, किसान ये तबाही का मंजर देखकर चिंतित हो उठा है, किसान को एक ओर कर्ज की चिंता है, तो वहीं दूसरी ओर वो परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा इसको लेकर भी काफी परेशान है.
धार में बारिश कम फिर भी तबाही
गत वर्ष की तुलना में 2 सितंबर की अवधि में 8.4 एमएम बारिश हुई है. जबकी धार में अभी तक औसत बारिश 960.1 एमएम दर्ज की गई है. वहीं इस अवधी में पिछले साल 968.5 एमएम बारिश हुई थी. जिले में 1 सिंतबर से बारिश नहीं हुई. पिछले साल धार, नालछा, सरदारपुर और गंधवानी काे छाेड़कर कहीं भी पानी नहीं बरसा था.