दतिया। तन वर्दी हो तो तेवर अपने आप बदल जाते हैं. उसके बाद अगर अफसर हों तो कहना ही क्या. आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि कोई पुलिस वाला फरियादी को धमकाता है और वर्दी का रौब दिखाते हुए उसे जेल में डालने की धमकी देता है. कई दफा झूठा मुकद्दमा भी दर्ज करा देता है. कुछ इस तरह का ही मामला प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के गृह जिले दतिया में सामने आया है.जिसमें पावर के नशे में चूर एक थाना प्रभारी ने कानून को ताक पर रख दिया. इस करतूत में दूसरे क्षेत्र के थाना प्रभारी ने भी उनका साथा दिया. देते क्यों नहीं आखिर डिपॉर्टमेंटल भाईचारा जो निभाना था. लेकिन भंडा फूट गया. जिसकी वजह से एक को सस्पेंड कर दिया गया. जबकि दूसरे थाना प्रभारी लाइन अटैच हो गए.
कहानी पूरी फिल्मी है...
ये मामला दतिया और ग्वालियर जिले से जुड़ा है. 15-16 जनवरी की रात को दतिया कोतवाली के थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव को अचानक कोई काम गया. वे ग्वालियर रवाना हो गए. इसकी जानकारी उन्होंने सीनियर्स को नहीं दी. रत्नेश सिंह यादव ग्वालियर के कंपू थाना क्षेत्र में पहुंचे. तभी किसी बदमाश ने उनका मोबाइल छीन लिया. अब पुलिसवाले का मोबाइल कोई बदमाश कैसे छीन सकता है, तुरंत थाना प्रभारी ने फिल्मी अंदाम में बदमाश का पीछा किया और बदमाश को पकड़ लिया. मोबाइल भी वापस ले लिया. आरोपी की पहचान शुभम भार्गव के रूप में हुई.
जाहिर सी बात है कि दतिया कोतवाली थानेदार साहब अपने ज्यूरिडिक्शन एरिया से बाहर थे. लिहाजा उन्होंने इसकी सूचना कंपू थाना क्षेत्र की प्रभारी अनिता मिश्रा को दी. मौके पर पुलिसबल पहुंचा. लेकिन रत्नेश सिंह यादव ने कोई रिपोर्ट नहीं कराई. ना ही आरोपी को कंपू पुलिस के हवाले किया. असली कहानी यहीं से शुरू होती है...
रत्नेश सिंह यादव आरोपी को अपने साथ दतिया ले आए और अपने थाने में ही FIR दर्ज करा दी. इसमें मोबाइल लूट नहीं, बल्कि आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाईं. आरोपी शुभम भार्गव को जेल भेज दिया.
थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव क्या गलती की...?
अगर थाना प्रभारी रत्नेश सिंह के साथ इस तरह की घटना हुई थी तो उन्होंने कंपू थाना में शिकायत दर्ज करानी थी. आरोपी को भी कंपू पुलिस के हवाले करना था. दूसरा ये भी हो सकता था कि दतिया थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराते और मामला कंपू पुलिस को सौंप देते. लेकिन उन्होंने अपनी एक गलती को छुपाने और वर्दी के रौब के चलते ऐसा नहीं किया.
कौन सी गलती छुपा रहे थाना प्रभारी रत्नेश ?
दतिया थाना प्रभारी रत्नेश यादव बगैर बताए हेड ऑफिस छोड़कर आए थे. अगर वो प्रोसीजर फॉलो करते तो उन्हें जवाब देना पड़ता कि वे आखिर ग्वालियर के कंपू में क्यों गए थे..? पहले क्यों नहीं बताया..? रिकॉर्ड में कंपू के लिए रवानगी भी दिखाना पड़ती. इस सबसे बचने के लिए उन्होंने शुभम भार्गव को अपने थाने पर लाकर दूसरे ही मामले में आरोपी बना दिया.
कैसे हुआ खुलासा..?
इस नाटक से पर्दा तब उठा, जब आरोपी के पिता ने सीनियर अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई और एक पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने बताया कि पहली बात तो घटना हुई ही नहीं, मेरे बेटे को जबरन फंसाया गया. मामूली बहस पर मोबाइल लूटने का आरोप लगा दिया. फिर जबरन दतिया ले जाकर वहां हथियार के साथ पकड़ना बताकर जेल भेज दिया. शिकायत पर सीनियर अधिकारियों ने मामले की जांच की तो दंग रह गए. आरोपी के पिता की बात सही निकली. जिसके बाद दतिया थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव और कंपू थाना प्रभारी अनिता मिश्रा पर कार्रवाई हो गई. जिसमें रत्नेश सिंह यादव तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिए. जबकि कंपू थाना प्रभारी लाइन अटैच कर दीं गईं.
कंपू थाना प्रभारी पर कार्रवाई क्यों हुई..?
मामले में कंपू थाना प्रभारी अनिता मिश्रा लाइन अटैच कर दी गईं. इसकी वजह है कि उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी थी. बावजूद इसके उन्होंने सीनियर्स से ये बात छुपाई. उन्होंने थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव का साथ दिया. इसलिए उन पर भी कार्रवाई हुई.
आरोपी का पक्ष क्या है ?
आरोपी का कहना है कि मोबाइल लूट की बात झूठी है. थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव के साथ बहस हुई थी. मामला बिगड़ गया और हाथापाई भी हो गई. वे सिविल में थे. पता नहीं था कि वे पुलिसवाले हैं. रत्नेश सिंह यादव ने मुझे झूठे आरोपों में फंसा दिया.
सीएम शिवराज से की अपील
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने भी शिकायत की है. उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान व डीजीपी से पूरे मामले की जांच की मांग की है. आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी वही शख्स हैं, जिन्होंने व्यापमं घोटाले का खुलासा किया था.