छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में बिजली कौटती को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. जहां प्रचंड गर्मी के बीच जनता परेशान है, वहीं बिजली संकट को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए बीजेपी सड़कों पर उतर आई है, तो वहीं कांग्रेस बिजली गुल समस्या को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है. इसी बीच छिंदवाड़ा बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता योगेश सिंघई ने बिजली कटौती को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत की है.
अधीक्षण अभियंता योगेश सिंघई का कहना है कि बिजली के बारे में उपभोक्ता कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर थोड़ी भी ट्रिपिंग आती है, तो लोग (उपभोक्ता) उसे बिजली कटौती मान लेते हैं, जबकि प्रदेश में बिजली पहले से ज्यादा दे रहे हैं.
प्रदेश में पहले से ज्यादा बिजली हुई है कंज्यूम
अधीक्षण अभियंता योगेश सिंघई ने बताया कि जनवरी से जून तक 2018 में 6529.69 लाख यूनिट बिजली दी थी और इस साल 7481.95 लाख यूनिट बिजली दे चुके हैं. लिहाजा 4.58 फीसदी ज्यादा बिजली दे चुके हैं.अभियंता योगेश ने कहा कि मौजूद हालात में बिजली कटौती का सवाल ही नहीं है क्योंकि प्रदेश में सरप्लस बिजली की सप्लाई है. उन्होंने कहा कि कई बार ट्रिपिंग या कोई फॉल्ट आने से बिजली जाती है तो जनता इसे बिजली कटौती मान लेती है.
विद्युत कर्मचारी ईमानदार
प्रदेश कांग्रेस सरकार की ओर से बिजली कर्मचारियों और बीजेपी की मिलीभगत से बिजली गुल के आरोप मे योगेश कुमार सिंघई का कहना है कि उनके विभाग का हर कर्मचारी ईमानदार है और अपना काम सही ढंग से करता है उन पर बेवजह आरोप लगाए जा रहे हैं.
ट्रिपिंग और कटौती में है फर्क
योगेश कुमार सिंघई ने बताया कि इस बार गर्मी ज्यादा पड़ रही है. जिस वजह से उपकरणों में कई जगह खराबी आ रही थी. जिससे ट्रिपिंग हुई है लेकिन इसे बिजली कटौती नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि बिजली कटौती पहले से सूचना देकर की जाती है लिहाजा जनता को समझाने की जरूरत है कि ट्रिंपिग और बिजली कटौती में क्या अंतर है.