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Heavy School Bags: जरूरत से ज्यादा बोझ आपके लाड़ले के लिए बन ना जाए परेशानी, जानिए कितना होना चाहिए बस्ते का वजन

Rules Regarding Weight Of School Bag: जरूरत से ज्यादा बस्ते का बोझ आपके लाड़ले(बच्चा-बच्ची) के लिए गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है, इसलिए जान लीजिए कि आपका बच्चा कितना वजन उठा रहा है और सरकारी नियमों के हिसाब से बस्ते का वजन कितना होना चाहिए-

heavy school bags increasing burden on childrens
स्कूली बच्चे बस्ते के बोझ के तले दब रहे
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Published : Jul 25, 2023, 10:53 AM IST

छिन्दवाड़ा। सरकार ने स्कूलों में बस्ते का वजन कागजों में तो निर्धारित कर दिया है, लेकिन हकीकत में स्कूली बच्चे बस्ते के बोझ के तले दब रहे हैं जिसके कारण कई तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है. सातवीं कक्षा के बच्चे के बैग का वजन अधिकतम 2 से 3 किलो के बीच होना चाहिए, समाजसेवियों ने जब एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले सातवीं कक्षा के विद्यार्थी के बस्ते का वजन तौला तो यहां तकरीबन साढ़े 7 किलो के आसपास निकला, इसी प्रकार कक्षा नवमीं में पढ़ने वाले विद्यार्थी के बैग का वजन ढाई से साढ़े 4 किलो निर्धारित किया है, इस बस्ते का वजन भी 2 से ढाई किलो ज्यादा निकला.

Rules Regarding Weight Of School Bag
सरकारी नियमों के हिसाब से बस्ते का वजन

पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के यही हाल: कक्षा पहली से बारहवीं तक पढ़ने वाले लगभग सभी शासकीय अशासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों के बस्तों का हाल है, इनके बस्तों का वजन निर्धारित वजन से कई गुना ज्यादा होता है. बस्तों के बोझ में दबते बचपन को छुटकारा दिलाने के लिए वजन निर्धारित तो किया गया है, लेकिन इसका पालन कराने वाला शिक्षा विभाग इससे अंजान है. सबसे ज्यादा प्राइमरी-मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का बुरा हाल है, वैसे तो जिला शिक्षा विभाग की ओर से एक टीम बनाने की बात कहीं गई है, जिन्हें स्कूल में जाकर निरीक्षण करना है, लेकिन मामला कागजो में निर्देशों तक सिमट कर रह गया है.

इस कारण से बढ़ा बस्ते का वजन: स्कूलों में हर दिन लगने वाले पीरियड के अनुसार कॉपी-किताब ले जाना होता है, लेकिन विद्यार्थी के बेग में सभी कॉपी-किताब रखी होती है. इसके अलावा स्कूलों निर्धारित विषयों के अलावा निजी स्कूलों में खास तौर से ईवीएस, जीके, ड्राइंग, कम्प्यूटर सहित अन्य कई किताबों का बढ़ा दिया गया है. नतीजतन बस्ते का वजन बढ़ जाता है.

इन खबरों पर भी एक नजर:

बच्चों को हो सकती है गंभीर बीमारियां रखें ध्यान: फिजियोथेरेपिस्ट डॉ सवोत्तम सिंह ठाकुर ने बताया कि "शासन द्वारा निर्धारित बच्चों के बैग की वजन की सीमा बच्चों के शारीरिक विकास हड्डियों एवं मांसपेशियों की मजबूती को ध्यान में रखकर निर्धारित किया है. अधिक वजन का बैग यदि बच्चे उठाते हैं, पीठ पर टांगते हैं, इन्हें स्कोलियोसिस, लॉर्डोसिस जैसी परेशानी हो सकती है. बच्चा कितना बोझ पीठ पर टांग कर चल रहा है, इसका ख्याल भी पेरेंट्स को रखना होगा. वरना उन्हें बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है."

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी जीएस बघेल का कहना है कि "सभी शासकीय, अशासकीय शालाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बस्तों का वजन कम करने के लिए कहा है, इसके लिए कक्षा पहली से बारहवीं तक बस्तों का वजन निर्धारित रहे, इसके लिए स्कूल को ध्यान रखना होगा. इसके अलावा अभिभावक भी इस ओर देखें कि टाइम-टेबल के अनुसार कॉपी-किताब स्कूल जाए, हालांकि इसके अलावा हम एक टीम बना रहे हैं जो इसका औचक निरीक्षण करेगा."

छिन्दवाड़ा। सरकार ने स्कूलों में बस्ते का वजन कागजों में तो निर्धारित कर दिया है, लेकिन हकीकत में स्कूली बच्चे बस्ते के बोझ के तले दब रहे हैं जिसके कारण कई तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है. सातवीं कक्षा के बच्चे के बैग का वजन अधिकतम 2 से 3 किलो के बीच होना चाहिए, समाजसेवियों ने जब एक निजी स्कूल में पढ़ने वाले सातवीं कक्षा के विद्यार्थी के बस्ते का वजन तौला तो यहां तकरीबन साढ़े 7 किलो के आसपास निकला, इसी प्रकार कक्षा नवमीं में पढ़ने वाले विद्यार्थी के बैग का वजन ढाई से साढ़े 4 किलो निर्धारित किया है, इस बस्ते का वजन भी 2 से ढाई किलो ज्यादा निकला.

Rules Regarding Weight Of School Bag
सरकारी नियमों के हिसाब से बस्ते का वजन

पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक के यही हाल: कक्षा पहली से बारहवीं तक पढ़ने वाले लगभग सभी शासकीय अशासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों के बस्तों का हाल है, इनके बस्तों का वजन निर्धारित वजन से कई गुना ज्यादा होता है. बस्तों के बोझ में दबते बचपन को छुटकारा दिलाने के लिए वजन निर्धारित तो किया गया है, लेकिन इसका पालन कराने वाला शिक्षा विभाग इससे अंजान है. सबसे ज्यादा प्राइमरी-मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का बुरा हाल है, वैसे तो जिला शिक्षा विभाग की ओर से एक टीम बनाने की बात कहीं गई है, जिन्हें स्कूल में जाकर निरीक्षण करना है, लेकिन मामला कागजो में निर्देशों तक सिमट कर रह गया है.

इस कारण से बढ़ा बस्ते का वजन: स्कूलों में हर दिन लगने वाले पीरियड के अनुसार कॉपी-किताब ले जाना होता है, लेकिन विद्यार्थी के बेग में सभी कॉपी-किताब रखी होती है. इसके अलावा स्कूलों निर्धारित विषयों के अलावा निजी स्कूलों में खास तौर से ईवीएस, जीके, ड्राइंग, कम्प्यूटर सहित अन्य कई किताबों का बढ़ा दिया गया है. नतीजतन बस्ते का वजन बढ़ जाता है.

इन खबरों पर भी एक नजर:

बच्चों को हो सकती है गंभीर बीमारियां रखें ध्यान: फिजियोथेरेपिस्ट डॉ सवोत्तम सिंह ठाकुर ने बताया कि "शासन द्वारा निर्धारित बच्चों के बैग की वजन की सीमा बच्चों के शारीरिक विकास हड्डियों एवं मांसपेशियों की मजबूती को ध्यान में रखकर निर्धारित किया है. अधिक वजन का बैग यदि बच्चे उठाते हैं, पीठ पर टांगते हैं, इन्हें स्कोलियोसिस, लॉर्डोसिस जैसी परेशानी हो सकती है. बच्चा कितना बोझ पीठ पर टांग कर चल रहा है, इसका ख्याल भी पेरेंट्स को रखना होगा. वरना उन्हें बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है."

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी जीएस बघेल का कहना है कि "सभी शासकीय, अशासकीय शालाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बस्तों का वजन कम करने के लिए कहा है, इसके लिए कक्षा पहली से बारहवीं तक बस्तों का वजन निर्धारित रहे, इसके लिए स्कूल को ध्यान रखना होगा. इसके अलावा अभिभावक भी इस ओर देखें कि टाइम-टेबल के अनुसार कॉपी-किताब स्कूल जाए, हालांकि इसके अलावा हम एक टीम बना रहे हैं जो इसका औचक निरीक्षण करेगा."

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