छिंदवाड़ा। सफेद सोना उगाने वाले किसान लॉकडाउन के चलते काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. जहां संतरा आंचल में किसानों का 70 फीसदी कपास की खेती होती है. और इन किसानों का गुजारे का सहारा भी यही कपास होता है लेकिन अगली बोनी का समय करीब आ रहा है और अब तक कई किसानों ने खेतों से कपास तोड़ भी नहीं पाए हैं.
लॉकडाउन में मायूस किसान
जी हां छिंदवाड़ा के सौसर और पांडुर्ना के संतरा आंचल क्षेत्र में लगभग 70 फीसदी किसान कपास की खेती करते हैं. वहीं लॉकडाउन के चलते इन किसानों की कमर टूट गई है. सफेद सोना से अपनी किस्मत चमकाने वाले किसान इन दिनों मायूस नजर आ रहे हैं.
मंडी से आने वाले फोन का इंतजार
दरअसल लॉकडाउन के चलते पूरे देश में व्यवसाय का काफी बुरा हाल है. सफेद सोना उगाने वाले किसानों पर भी इसकी भारी मार पड़ी है. किसानों ने कपास की खेती कर तो लिया है, लेकिन लॉकडाउन के चलते बेचने का संकट गहरा रहा है. और बहुत से किसानों का कपास अभी टूटा भी नहीं है वो बेचने के लिए पहले उससे पंचायत ने पंजीयन कराना पड़ता है फिर उसके बाद कपास मंडी द्वारा उन्हें मैसेज और फोन आता है कि आपको इस तारीख को अपना कपास लेकर आना है. दोबारा बोनी करने के लिए किसान को यह समझ नहीं आ रहा कि इन हालातों में अब वह आगे करेगा क्या ?
किसानों की रोजी-रोटी पर संकट
सफेद सोने के भरोसे किसान अपने साल भर की रोजी-रोटी चलाता है. और लॉकडाउन के चलते किसान कपास बेच ही नहीं पाये है. उनके सामने साल भर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इन किसानों ने कर्ज लेकर खेती की है और अब इन्हें कर्ज भरने का संकट छाया हुआ है. हालांकि काफी लेट कपास खरीदी शुरू तो हो गई है, लेकिन इन किसानों का नंबर कब आएगा इसे लेकर किसान काफी चिंतित है.