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याद है ना छिंदवाड़ा का वो लाल...भूले तो नहीं - जम्मू-कश्मीर में शहीद अमित

छिंदवाड़ा के अमित ठेंगे ने देश की सुरक्षा में अपना बलिदान दिया था. जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकी मुठभेड़ में दुश्मनों का सामना करते हुए अमित शहीद हो गए थे.

Amit Kumar of Chhindwara lost his life in battle with terrorists
देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए अमित
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Published : Jan 25, 2020, 9:34 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 11:10 PM IST

छिंदवाड़ा। देश में ऐसा कोई कोना नहीं है जो वीर सपूतों के बलिदान की कहानियों से अछूता हो. देश में ना जाने कितने युवाओं ने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया है. ऐसे ही एक युवा मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से हैं. अमित ठेंगे जिन्होंने विदेश में नौकरी छोड़ देश की सेवा का रास्ता अपनाया और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया.

देश की रक्षा में अमित ने अपने प्राण न्यौछावर


एक छोटे से परिवार में पैदा हुए अमित ठेंगे का जन्म 19 अप्रैल 1982 में हुआ था. उनके पिता मधुकर राव ठेंगे शिक्षक थे. इनके घर में 5 सदस्य हैं. माता- पिता, दो भाई और एक बहन हैं. मधुकर राव ठेंगे ने बताया कि अमित बचपन से ही देशभक्ति की भावना से काफी प्रभावित था. हमेशा देश भक्ति करने की बातें करता था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान सेना में भर्ती की वैकेंसी भरी थी.


जिसमें दूसरी बार में उसका सिलेक्शन हुआ. आर्मी में देहरादून में सैनिक की ट्रेनिंग के लिए 1 साल के लिए चला गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सेना में अमित की पोस्टिंग नॉर्थ रेंज में हुई. जहां जम्मू कश्मीर में 4 साल तक नौकरी करने के बाद 37RR पुंछ के मेंढर में पोस्टिंग हुई. बॉर्डर पर आतंकियों के सीमा के अंदर घुसने की सूचना मिलने के बाद सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ. जहां आतंकवादियों की दो गोलियां अमित को लगी. उसके बाद भी साहस से लड़ते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया. लिहाजा देश के लिए लड़ते हुए 13 जुलाई 2010 में अमित ने अपनी जान न्यौछावर कर दी.


शहीद अमित ठेंगे की मां ने बताया कि शहीद अमित ठेंगे उनका पुत्र है. उन्हें इस बात का गर्व है. साथ ही जब भी वह उनको याद करती हैं तो उनके दिल दिमाग में हमेशा शहीद बेटा ही बसा रहता है. बता दें छिंदवाड़ा में अमित ठेंगे की याद में एक प्रवेशद्वार बनाया गया है. मानसरोवर के सामने मुख्य चौक पर शहीद अमित ठेंगे की प्रतिमा लगाई गई.

छिंदवाड़ा। देश में ऐसा कोई कोना नहीं है जो वीर सपूतों के बलिदान की कहानियों से अछूता हो. देश में ना जाने कितने युवाओं ने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया है. ऐसे ही एक युवा मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से हैं. अमित ठेंगे जिन्होंने विदेश में नौकरी छोड़ देश की सेवा का रास्ता अपनाया और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया.

देश की रक्षा में अमित ने अपने प्राण न्यौछावर


एक छोटे से परिवार में पैदा हुए अमित ठेंगे का जन्म 19 अप्रैल 1982 में हुआ था. उनके पिता मधुकर राव ठेंगे शिक्षक थे. इनके घर में 5 सदस्य हैं. माता- पिता, दो भाई और एक बहन हैं. मधुकर राव ठेंगे ने बताया कि अमित बचपन से ही देशभक्ति की भावना से काफी प्रभावित था. हमेशा देश भक्ति करने की बातें करता था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान सेना में भर्ती की वैकेंसी भरी थी.


जिसमें दूसरी बार में उसका सिलेक्शन हुआ. आर्मी में देहरादून में सैनिक की ट्रेनिंग के लिए 1 साल के लिए चला गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सेना में अमित की पोस्टिंग नॉर्थ रेंज में हुई. जहां जम्मू कश्मीर में 4 साल तक नौकरी करने के बाद 37RR पुंछ के मेंढर में पोस्टिंग हुई. बॉर्डर पर आतंकियों के सीमा के अंदर घुसने की सूचना मिलने के बाद सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ. जहां आतंकवादियों की दो गोलियां अमित को लगी. उसके बाद भी साहस से लड़ते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया. लिहाजा देश के लिए लड़ते हुए 13 जुलाई 2010 में अमित ने अपनी जान न्यौछावर कर दी.


शहीद अमित ठेंगे की मां ने बताया कि शहीद अमित ठेंगे उनका पुत्र है. उन्हें इस बात का गर्व है. साथ ही जब भी वह उनको याद करती हैं तो उनके दिल दिमाग में हमेशा शहीद बेटा ही बसा रहता है. बता दें छिंदवाड़ा में अमित ठेंगे की याद में एक प्रवेशद्वार बनाया गया है. मानसरोवर के सामने मुख्य चौक पर शहीद अमित ठेंगे की प्रतिमा लगाई गई.

Intro:छिंदवाड़ा! विदेश में नौकरी ना कर कर देश में रहकर देश की सेवा करने को चुना और शहीद हो गया ,शहीद अमित ठेंगे 13 जुलाई 2010 में पूछ के मेंढर में शहीद हो गए थे


Body:छिंदवाड़ा के एक छोटे से परिवार में पैदा हुए अमित ठेंगे काजल 19 अप्रैल 1982 में हुआ था उनके पिता मधुकर राव ठेंगे में शिक्षक थे इनके घर में 5 सदस्य थे माता- पिता, दो भाई ,एक बहन,
मधुकर राव ठेंगे( शहीद अमित ठेंगे के पिता) ने बताया कि बचपन से ही देशभक्ति की भावना से काफी प्रभावित था और हमेशा देश भक्ति करने की बातें करता था इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान सेना में भर्ती की वैकेंसी भरी थी जिस में दूसरी बार में उसका सिलेक्शन हुआ आर्मी में देहरादून में सैनिक की ट्रेनिंग के लिए 1 साल के लिए चला गया ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सेना में उसकी पोस्टिंग नॉर्थ रेंज में हुई जहां जम्मू कश्मीर में 4 साल तक नौकरी करने के बाद 37rr पुछ के मेंढर में पोस्टिंग हुई, बॉर्डर पर आतंकियों के सीमा के अंदर घुसने की सूचना मिलने के बाद सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन घने जंगलों में चल रहा था जहां आतंकवादियों की दो गोलियां अमित ठेंगे को लगी, उसके बाद भी साहस से लड़ते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया ऑल लड़ते-लड़ते देश के लिए अपनी जान निछावर कर दी 13 जुलाई 2010 में शहीद हुए

शहीद अमित ठेंगे की माताजी ने बताया कि शहीद अमित ठेंगे उनका पुत्र है उन्हें इस बात का गर्व है साथ ही जब भी वह उनकी याद करती है तो उनके दिल दिमाग में हमेशा शहीद अमित ठेंगे ही बसा रहता है बचपन के कई कहानी किस्सा सुनाएं

छिंदवाड़ा में अमित ठेंगे की याद में एक प्रवेशद्वार बनाया गया, मानसरोवर के सामने मुख्य चौक पर शहीद अमित ठेंगे की प्रतिमा लगाई गई


Conclusion:देशभक्ति का जज्बा लिए हुए शहीद अमित ठेंगे देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए

बाईट-01- मधुकर राव ठेंगे ,शहीद अमित ठेंगे के पिता
बाईट -02 - श्रीमती लता ठेंगे, शहीद अमित ठेंगे की मां
Last Updated : Jan 25, 2020, 11:10 PM IST
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