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बुंदेलखंड में छुआछूत का दंश,पानी संकट के कारण छतरपुर जिले में दलितों ने बंद कर दिए शौचालय

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Published : May 23, 2023, 7:08 AM IST

बुंदेलखंड में तेजी से बढ़ती गर्मी अब अपना असर दिखाने लगी है. ऐसे में छतरपुर जिले के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत के चलते दलित ग्रामीणों ने अपने शौचालय बंद कर खुले में जाना शुरू कर दिया है. दलितों का कहना है कि पानी के लिए संघर्ष करते हुए उन्हें छुआछूत का सामना करना पड़ता है.

Dalits closed toilets in Chhatarpur district water crisis
पानी संकट के कारण छतरपुर जिले में दलितों ने बंद कर दिए शौचालय

छतरपुर। मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बनगांय में लोगों को पानी के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस गांव की दलित बस्ती में रहने वाले दलितों को पानी के लिए छुआछूत का दंश भी झेलना पड़ रहा है. आलम यह है कि दलित समुदाय के ज्यादातर घरों ने पानी की किल्लत के चलते शौचालय बंद हैं. हालत यह है कि अब किसी के शौचालयों में कंडे, किसी में कबाड़ तो कोई भूसा भरकर रखे हुए है.

सिर्फ 2 हैंडपंप : गांव में रहने वाली दलित महिलाओं का कहना है कि दलित बस्ती में पानी की बहुत कमी है. गांव के बाहर लगभग एक किलोमीटर दूर दो सरकारी हैंडपंप लगे हैं. जहां से हम लोग पानी भरते हैं. पानी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. उसी हैंडपंप पर ऊंची जाति के लोग आ जाते हैं तो हमें हैडपंप छोड़कर जाना पड़ता है. कई बार तो जातिगत तंज भी किए जाते है. गांव में रहने वाली दलित महिला सुनीता अहिरवार का कहना है कि सरकार ने शौचालय तो बनवा दिए लेकिन गर्मियों में पानी की इतनी कमी है कि पानी की व्यवस्था कर पाना मुश्किल है.

पाइपलाइन व टंकी काम नहीं करती : अहिरवारगांव में ही रहने वाली युवती रवीना अहिरवार भी पानी को लेकर इसी तरह परेशान है. रवीना का कहना है कि उसके परिवार में उसकी बुजुर्ग दादी हैं. छोटे भाई बहन हैं. उसे ही घर का पानी भरना पड़ता है. पानी भरने में कई घंटे चले जाते हैं. ऊपर से ऊंची जाति के लोगों का तंज भी झेलना पड़ता है. रवीना के अलावा गांव में रहने वाली भगुंतिया एवं जमुना की भी यही पीड़ा है. बनगांय पंचायत की कुल आबादी लगभग 6 हजार है, जिसमें से 3 हजार वोटर हैं. बनगांय में लगभग 700 दलित हैं. गांव में 2007-8 में पाइप लाइन डाली गई थी. टंकी सरकारी टंकी भी बनी हुई है लेकिन अब वह काम नही करती है.

  1. MP Chhatarpur स्कूल में छुआछूत का मामला गर्माया, बच्चों को फेंककर देते हैं मिडडे मील
  2. MP के गांव के तालाब में बने हैं हर जाति के लिए अलग-अलग घाट, लोगों का दावा- ये है हमारी परंपरा

क्या कहते हैं जिम्मेदार : इस मामले में स्वच्छ भारत अभियान के अधिकारी ब्रजेश परिहार का कहना है ग्रामीणों के शौचालय पानी की वजह से बंद करने की जानकारी लगी है. जल्द ही वहां टीम भेजी जाएगी और पानी की व्यवस्था कराई जाएगी. वहीं, विधायक आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या पहले से ही रही है. लेकिन वर्तमान में पानी की समस्या को हल करने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिस गांव की आप बात कर रहे हैं, वहां पानी की कमी है. हम जल्द ही उस गांव मे जाकर देखेंगे और पानी की समस्या को हल करने का प्रयास करेंगे.

छतरपुर। मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बनगांय में लोगों को पानी के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस गांव की दलित बस्ती में रहने वाले दलितों को पानी के लिए छुआछूत का दंश भी झेलना पड़ रहा है. आलम यह है कि दलित समुदाय के ज्यादातर घरों ने पानी की किल्लत के चलते शौचालय बंद हैं. हालत यह है कि अब किसी के शौचालयों में कंडे, किसी में कबाड़ तो कोई भूसा भरकर रखे हुए है.

सिर्फ 2 हैंडपंप : गांव में रहने वाली दलित महिलाओं का कहना है कि दलित बस्ती में पानी की बहुत कमी है. गांव के बाहर लगभग एक किलोमीटर दूर दो सरकारी हैंडपंप लगे हैं. जहां से हम लोग पानी भरते हैं. पानी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. उसी हैंडपंप पर ऊंची जाति के लोग आ जाते हैं तो हमें हैडपंप छोड़कर जाना पड़ता है. कई बार तो जातिगत तंज भी किए जाते है. गांव में रहने वाली दलित महिला सुनीता अहिरवार का कहना है कि सरकार ने शौचालय तो बनवा दिए लेकिन गर्मियों में पानी की इतनी कमी है कि पानी की व्यवस्था कर पाना मुश्किल है.

पाइपलाइन व टंकी काम नहीं करती : अहिरवारगांव में ही रहने वाली युवती रवीना अहिरवार भी पानी को लेकर इसी तरह परेशान है. रवीना का कहना है कि उसके परिवार में उसकी बुजुर्ग दादी हैं. छोटे भाई बहन हैं. उसे ही घर का पानी भरना पड़ता है. पानी भरने में कई घंटे चले जाते हैं. ऊपर से ऊंची जाति के लोगों का तंज भी झेलना पड़ता है. रवीना के अलावा गांव में रहने वाली भगुंतिया एवं जमुना की भी यही पीड़ा है. बनगांय पंचायत की कुल आबादी लगभग 6 हजार है, जिसमें से 3 हजार वोटर हैं. बनगांय में लगभग 700 दलित हैं. गांव में 2007-8 में पाइप लाइन डाली गई थी. टंकी सरकारी टंकी भी बनी हुई है लेकिन अब वह काम नही करती है.

  1. MP Chhatarpur स्कूल में छुआछूत का मामला गर्माया, बच्चों को फेंककर देते हैं मिडडे मील
  2. MP के गांव के तालाब में बने हैं हर जाति के लिए अलग-अलग घाट, लोगों का दावा- ये है हमारी परंपरा

क्या कहते हैं जिम्मेदार : इस मामले में स्वच्छ भारत अभियान के अधिकारी ब्रजेश परिहार का कहना है ग्रामीणों के शौचालय पानी की वजह से बंद करने की जानकारी लगी है. जल्द ही वहां टीम भेजी जाएगी और पानी की व्यवस्था कराई जाएगी. वहीं, विधायक आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या पहले से ही रही है. लेकिन वर्तमान में पानी की समस्या को हल करने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिस गांव की आप बात कर रहे हैं, वहां पानी की कमी है. हम जल्द ही उस गांव मे जाकर देखेंगे और पानी की समस्या को हल करने का प्रयास करेंगे.

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