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एक मंदिर ऐसा जहां मरीजों का होता है इलाज, दवा की पर्ची और दुआ की अर्जी साथ-साथ

छतरपुर के एक मंदिर में मरीजों का इलाज किया जाता है. कहा जाता है यहां जो भी आता है वह ठीक होकर ही यहां से जाता है.

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Published : Apr 24, 2019, 1:28 PM IST

माता का मंदिर

छतरपुर। जिले के एक छोटे से गांव में कई गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है. यहां होने वाले इलाज का तरीका लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. जिन लोगों को इस इलाज से लाभ पहुंच रहा है, वह इसे एक चमत्कार मान रहे हैं.


छतरपुर जिले से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कर्री के पास दिरमदा पुरवा है. यहां बगराजन मंदिर है. इस मंदिर में देवी-देवता आशीष ही नहीं देते, बल्कि लकवे, जोड़ों के दर्द, गठिया, वात, आम वात जैसे कई रोगों का इलाज यहां होता है. दरअसल इस मंदिर में पुजारी बैजनाथ कुशवाहा बीमारी का इलाज करते हैं. लोगों की मान्यता है कि इलाज तो पुजारी करते हैं, लेकिन मरीजों को ठीक मां बगराजन ही करती हैं. उन्हीं के आर्शीवाद से लोग रोग मुक्त हो जाते हैं.

इस मंदिर में होता है इलाज


वैसे तो यहां मरीजों का इलाज सप्ताह भर चलता है, लेकिन विशेष रविवार और बुधवार को मरीज यहां आते हैं. लोगों का कहना है कि यहां लकवे से पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाता है, हाथ-पैर हिलने लगते हैं. जो लकवे के कारण बोल नहीं सकते, वह भी धीरे-धीरे बोलना शुरू कर देते हैं. पुजारी बैजनाथ कुशवाहा कहते हैं कि वे माता के आशीर्वाद से ही मरीजों का इलाज करते हैं और लोग ठीक होकर ही यहां से घर जाते हैं.


चमत्कार की कई कहानियां हैं प्रचलित
इलाज करने वाले पुजारी बैजनाथ कुशवाहा का कहना है कि जब वे 15 साल के थे, तो 3 साल के लिए अज्ञातवास में रहे. वहीं से जड़ी-बूटियों का ज्ञान अर्जित किया. उन्होंने कहा कि लोगों का इलाज करते हुए मां के आशीर्वाद से 40 साल से ज्यादा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि वे जड़ी-बूटियों और मां के आशीर्वाद से सभी रोगों का इलाज करते हैं.


रहने और खाने की व्यवस्था
इस मंदिर में इलाज करवाने आए मरीजों और उनके परिजनों के रुकने और खाने की व्यवस्था मंदिर निःशुल्क करता है. वहीं भक्त भी अपनी इच्छा से मंदिर में दान करते हैं. यह पैसे माता के मंदिर में और जन सेवा में लगाए जाते हैं

छतरपुर। जिले के एक छोटे से गांव में कई गंभीर बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है. यहां होने वाले इलाज का तरीका लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. जिन लोगों को इस इलाज से लाभ पहुंच रहा है, वह इसे एक चमत्कार मान रहे हैं.


छतरपुर जिले से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कर्री के पास दिरमदा पुरवा है. यहां बगराजन मंदिर है. इस मंदिर में देवी-देवता आशीष ही नहीं देते, बल्कि लकवे, जोड़ों के दर्द, गठिया, वात, आम वात जैसे कई रोगों का इलाज यहां होता है. दरअसल इस मंदिर में पुजारी बैजनाथ कुशवाहा बीमारी का इलाज करते हैं. लोगों की मान्यता है कि इलाज तो पुजारी करते हैं, लेकिन मरीजों को ठीक मां बगराजन ही करती हैं. उन्हीं के आर्शीवाद से लोग रोग मुक्त हो जाते हैं.

इस मंदिर में होता है इलाज


वैसे तो यहां मरीजों का इलाज सप्ताह भर चलता है, लेकिन विशेष रविवार और बुधवार को मरीज यहां आते हैं. लोगों का कहना है कि यहां लकवे से पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाता है, हाथ-पैर हिलने लगते हैं. जो लकवे के कारण बोल नहीं सकते, वह भी धीरे-धीरे बोलना शुरू कर देते हैं. पुजारी बैजनाथ कुशवाहा कहते हैं कि वे माता के आशीर्वाद से ही मरीजों का इलाज करते हैं और लोग ठीक होकर ही यहां से घर जाते हैं.


चमत्कार की कई कहानियां हैं प्रचलित
इलाज करने वाले पुजारी बैजनाथ कुशवाहा का कहना है कि जब वे 15 साल के थे, तो 3 साल के लिए अज्ञातवास में रहे. वहीं से जड़ी-बूटियों का ज्ञान अर्जित किया. उन्होंने कहा कि लोगों का इलाज करते हुए मां के आशीर्वाद से 40 साल से ज्यादा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि वे जड़ी-बूटियों और मां के आशीर्वाद से सभी रोगों का इलाज करते हैं.


रहने और खाने की व्यवस्था
इस मंदिर में इलाज करवाने आए मरीजों और उनके परिजनों के रुकने और खाने की व्यवस्था मंदिर निःशुल्क करता है. वहीं भक्त भी अपनी इच्छा से मंदिर में दान करते हैं. यह पैसे माता के मंदिर में और जन सेवा में लगाए जाते हैं

Intro:जिले के एक छोटे से गांव में अनेक गंभीर बीमारीओ का अनोखे तरीके से इलाज होना लोगों में न सिर्फ चर्चाओं का विषय बना हुआ है बल्कि जिन लोगों को इस इलाज से लाभ पहुंच रहा है वह इससे एक चमत्कार मान रहे हैं! एक नियत तिथि पर कई सारे लोग जो इस आनेको रोगों से पीड़ित हैं वह मंदिर पहुंचते हैं और बीमारी का इलाज कराते हैं!Body:{ *_दवा की पर्ची, दुआ की अर्जी साथ-साथ_* }
अगर दवा और दुआ एक ही जगह हो तो..। मजलूम और मरीज, दोनों का भरोसा मजबूत हो जाता है।
मध्य प्रदेश की धरती पर एक ऐसा मंदिर भी है जहां देवी देवता आशीष ही नहीं बल्कि लकवे, जोड़ों दर्द ,गठिया वात , आम वात आदि के रोगो से माँ बगराजन रोग मुक्त कर देती हैं इस मंदिर में दूर-दूर से मरीज अपनों के सहारे आते हैं पर जाते हैं खुद के सहारे कलयुग में ऐसे चमत्कार को नमन है जहां विज्ञान फेल हो जाता है और चमत्कार रंग लाता है तो ईश्वर में आस्था और अधिक बढ़ जाती हैं
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कर्री के समीप दिरमदा पुरवा है जहां का सिद्ध स्थल बगराजन माता मंदिर के नाम से जाना जाता है
( *परिक्रमा और हवन कुण्ड की भभूति ही है दवा* )
इस मंदिर में बीमारी का इलाज मां बगराजन खुद करती हैं वैसे तो यहां मरीजों का इलाज सप्ताह भर चलता है लेकिन विशेष रविवार और बुधवार मरीज के साथ आना होता है इसके बाद धीरे-धीरे लकवे की बीमारी दूर होने लगती है हाथ पैर हिलने लगते हैं ,जो लकवे के कारण बोल नहीं सकते वह भी धीरे धीरे बोलना शुरू कर देते हैं
{ *कैसे होता है चमत्कार* }
बैजनाथ कुशवाहा (वैद्य जी) का कहना है जब हम 15 साल के थे तो 3 साल के लिए अज्ञातवास में रहे वहीं से जड़ी बूटियों का ज्ञान अर्जित किया और वैध जी का कहना है मां के आशीर्वाद से हमें लगातार 40 वर्ष से अधिक हो गया है लोगों का इलाज करते हुए उन्होंने कहा हम जड़ी बूटियों और मां के आशीर्वाद से सभी रोगों का इलाज करते हैं और कहते है यह तो सिर्फ माता का आशीर्वाद हम कुछ नहीं करते
( *रहने और खाने की व्यवस्था* )
इस मंदिर में इलाज करवाने आए मरीजों और उनके परिजनों की रुकने और खाने की व्यवस्था मंदिर निशुल्क करता है
( *दान में आते हैं प्रबंध के रुपए* )
मंदिर की इसी कीर्ति और महिमा देखकर भक्त दान भी करते हैं और यह पैसा माता के मंदिर में और जन सेवा में लगाया जाता हैConclusion:भले ही आधुनिक विज्ञान के युग में इस तरह से रोगों के इलाज करने को लोग अजीब मानते हो लेकिन जिन लोगों को यहां इलाज के बाद राहत मिली है वह इस तरीके के इलाज को कारगर मानते हैं वल्कि इसे एक चमत्कार के रूप में भी देखते हैं
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