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खजुराहो में आदिवासी नृत्य और बुंदेली लोकगीतों की गूंज, रातभर थिरके विदेशी पर्यटक - KHAJURAHO DESHAJ FESTIVAL

खजुराहो में आयोजित 'देशज' समारोह में कला और संस्कृति का अद्भुत नजारा दिखा. रातभर सजी नृत्य व गीतों की महफिल.

Khajuraho Deshaj festival
खजुराहो में आदिवासी नृत्य की धूम (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 17, 2025, 2:19 PM IST

छतरपुर: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा 'देशज' समारोह का अद्भुत आयोजन किया गया. इसमें जनजतीय कला, नृत्य, गीतों की महफ़िल रातभर सजी रही. दुनिया भर के देशों के पर्यटक इस अनूठे आयोजन का आनंद लेते रहे.

पारंपरिक नृत्य व गीतों को जीवित रखने का प्रयास

खजुराहो में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'आदिवर्त' जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय बनाया गया है. इसमे स्थानीय लोक कला, नृत्य गीतों ओर संस्कृति को जीवित रखने के साथ विलुप्त होती जनजातियों को जनता तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है. इसके तहत हर रविवार, शनिवार को बुंदेली सहित अन्य जनजातियो के कलाकारों को अपनी कला दिखाने ओर निखारने का मौका दिया जाता. इसमे बुंदेलखंड, बघेलखंड, गौड़ जनजातीय के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया.

खजुराहो में आदिवासी नृत्य और बुंदेली लोकगीतों के कार्यक्रम (ETV BHARAT)

विदेशी पर्यटकों ने रातभर लिया गीतों का लुत्फ

इस कार्यक्रम में देश के कोने-कोने के साथ ही विदेश से आए पर्यटकों ने दर्शकों के रूप में हिस्सा लिया. कार्यक्रम ने बुंदेलखंड की लोकधारा को नई पहचान दी. दर्शकों को बुंदेलखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया गया. कार्यक्रम में बुंदेलखंड के लोकगीतों के साथ ही गजल-उपशास्त्रीय गायन और जनजातीय नृत्य का समागम हुआ, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्यों व गीतों को भव्य रूप से प्रस्तुत किया गया. भोपाल के मशहूर गायक विजय सप्रे ने गजल और उपशास्त्रीय गायन की प्रस्तुति से कार्यक्रम की रौनक को और बढ़ा दिया.

Khajuraho Deshaj festival
विदेशी पर्यटकों ने रातभर लिया गीतों का लुत्फ (ETV BHARAT)

आदिवासी कलाकारो ने मन मोहा

कमलेश प्रसाद डिंडोरी द्वारा गुदुम्बाजा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति दी गई. यह नृत्य गौंड जनजाति की ढुलिया उपजाति का पारंपरिक हिस्सा माना जाता है. गुदुम्बाजा नृत्य में ढफ, मंजीरा, शहनाई और टिमकी जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ लोक संगीत पर नृत्य प्रस्तुत किया जाता है. इस नृत्य का विशेष महत्व है. यह आमतौर पर विवाह और अन्य धार्मिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है. अंतिम प्रस्तुति में सुविता देवी अहिरवार टीकमगढ़ ने बुंदेली लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को स्थानीय संस्कृति के साथ जोड़ा.

छतरपुर: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा 'देशज' समारोह का अद्भुत आयोजन किया गया. इसमें जनजतीय कला, नृत्य, गीतों की महफ़िल रातभर सजी रही. दुनिया भर के देशों के पर्यटक इस अनूठे आयोजन का आनंद लेते रहे.

पारंपरिक नृत्य व गीतों को जीवित रखने का प्रयास

खजुराहो में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 'आदिवर्त' जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय बनाया गया है. इसमे स्थानीय लोक कला, नृत्य गीतों ओर संस्कृति को जीवित रखने के साथ विलुप्त होती जनजातियों को जनता तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है. इसके तहत हर रविवार, शनिवार को बुंदेली सहित अन्य जनजातियो के कलाकारों को अपनी कला दिखाने ओर निखारने का मौका दिया जाता. इसमे बुंदेलखंड, बघेलखंड, गौड़ जनजातीय के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया.

खजुराहो में आदिवासी नृत्य और बुंदेली लोकगीतों के कार्यक्रम (ETV BHARAT)

विदेशी पर्यटकों ने रातभर लिया गीतों का लुत्फ

इस कार्यक्रम में देश के कोने-कोने के साथ ही विदेश से आए पर्यटकों ने दर्शकों के रूप में हिस्सा लिया. कार्यक्रम ने बुंदेलखंड की लोकधारा को नई पहचान दी. दर्शकों को बुंदेलखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया गया. कार्यक्रम में बुंदेलखंड के लोकगीतों के साथ ही गजल-उपशास्त्रीय गायन और जनजातीय नृत्य का समागम हुआ, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्यों व गीतों को भव्य रूप से प्रस्तुत किया गया. भोपाल के मशहूर गायक विजय सप्रे ने गजल और उपशास्त्रीय गायन की प्रस्तुति से कार्यक्रम की रौनक को और बढ़ा दिया.

Khajuraho Deshaj festival
विदेशी पर्यटकों ने रातभर लिया गीतों का लुत्फ (ETV BHARAT)

आदिवासी कलाकारो ने मन मोहा

कमलेश प्रसाद डिंडोरी द्वारा गुदुम्बाजा जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति दी गई. यह नृत्य गौंड जनजाति की ढुलिया उपजाति का पारंपरिक हिस्सा माना जाता है. गुदुम्बाजा नृत्य में ढफ, मंजीरा, शहनाई और टिमकी जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ लोक संगीत पर नृत्य प्रस्तुत किया जाता है. इस नृत्य का विशेष महत्व है. यह आमतौर पर विवाह और अन्य धार्मिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है. अंतिम प्रस्तुति में सुविता देवी अहिरवार टीकमगढ़ ने बुंदेली लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को स्थानीय संस्कृति के साथ जोड़ा.

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