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जब मोदी ने नहीं सीखा था सियासत का ककहरा तब से चाय बेच रही हैं ये बीजेपी नेता यादों में हैं पार्टी के कई किस्से - पीएम मोदी

छतरपुर जिले के खजुराहो में 102 साल की हरबी बाई जिंदादिली एक मिसाल है. जो इतनी उम्र में भी चाय बेचकर अपना गुजारा करती है. उम्र के इस पड़ाव पर उनके हौसले को देखकर अनुपम खेर भी उनके मुरीद हो गए.

हरबी बाई
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Published : Mar 18, 2019, 8:22 PM IST

छतरपुर। तस्वीरों में फिल्म अभिनेता अनुपम खेर जिस महिला से बात करते दिख रहे हैं, वह जिंदादिली की ऐसी मिसाल है, जिसके जज्बे को हर कोई सलाम करता है. सड़क किनारे बरगद के पेड़ के नीचे 102 साल की उम्र में भी खजुराहो घूमने आए पर्यटकों को चाय पिलाने वाली इस महिला का नाम हरबी बाई है. उम्र के इस पड़ाव पर उनके हौसले को देखकर अनुपम खेर भी उनके मुरीद हो गए.

खुद को बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता बताने वाली हरबी बाई और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में समानता यह है कि उन्होंने भी अपने बचपन में चाय बेची और हरबी बाई भी पिछले 50 सालों से चाय बेच रही हैं. उनके दिल में आज भी पार्टी के लिए जगह है और जब लोग उन्हें नेता कह कर बुलाते हैं तो वे बेहद खुश होती हैं. लेकिन, मोदी से भी पहले बीजेपी से जुड़ने वाली इस नेता की तरफ शायद उसकी पार्टी का ध्यान ही नहीं गया क्योंकि पार्टी से उन्हें शायद वो सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थीं.

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हरबी बाई बताती हैं कि वे शुरू से ही बीजेपी की सर्मथक रही हैं. जेल भरो आंदोलन में उमा भारती के साथ गिरफ्तार हुई थीं और कई दिनों तक जेल में रही थीं. यही वजह है कि खजुराहो के लोग उन्हें नेता कहकर बुलाते हैं. खास बात यह है कि जिस उम्र में लोग अपना नाम भी भूलने लगते हैं उस उम्र में हरबी को देश के सियासी इतिहास की पूरी जानकारी है. वे बताती हैं कि देश के पहले चुनाव से लेकर अब तक हर चुनाव में उन्होंने अपने मत का प्रयोग किया है. उन्होंने बताया कि जिस समय चुनाव की शुरूआत हुई थी, तब बीजेपी यानी जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था और कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैल थे, जो शायद आज इन पार्टियों के नेताओं को भी ठीक से याद नहीं होगा.


हरबी बाई पिछले 50 सालों से खजुराहो में मतंगेश्वर मंदिर के सामने बरगद के पेड़ के नीचे छोटी सी चाय की दुकान लगाती हैं, जिससे होने वाली आमदनी से वह अपना गुजारा करती हैं. उनके ज्यादातर रिश्तेदारों की मौत हो चुकी है. फिर भी उनका हौसला कम नहीं हुआ है. 102 साल की उम्र में भी जिंदगी को जी भरके जी रही हरबी बाई के इसी जज्बे को देखकर जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर जैसे फिल्म अभिनेता भी उनके कायल हैं.

छतरपुर। तस्वीरों में फिल्म अभिनेता अनुपम खेर जिस महिला से बात करते दिख रहे हैं, वह जिंदादिली की ऐसी मिसाल है, जिसके जज्बे को हर कोई सलाम करता है. सड़क किनारे बरगद के पेड़ के नीचे 102 साल की उम्र में भी खजुराहो घूमने आए पर्यटकों को चाय पिलाने वाली इस महिला का नाम हरबी बाई है. उम्र के इस पड़ाव पर उनके हौसले को देखकर अनुपम खेर भी उनके मुरीद हो गए.

खुद को बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता बताने वाली हरबी बाई और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में समानता यह है कि उन्होंने भी अपने बचपन में चाय बेची और हरबी बाई भी पिछले 50 सालों से चाय बेच रही हैं. उनके दिल में आज भी पार्टी के लिए जगह है और जब लोग उन्हें नेता कह कर बुलाते हैं तो वे बेहद खुश होती हैं. लेकिन, मोदी से भी पहले बीजेपी से जुड़ने वाली इस नेता की तरफ शायद उसकी पार्टी का ध्यान ही नहीं गया क्योंकि पार्टी से उन्हें शायद वो सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थीं.

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हरबी बाई बताती हैं कि वे शुरू से ही बीजेपी की सर्मथक रही हैं. जेल भरो आंदोलन में उमा भारती के साथ गिरफ्तार हुई थीं और कई दिनों तक जेल में रही थीं. यही वजह है कि खजुराहो के लोग उन्हें नेता कहकर बुलाते हैं. खास बात यह है कि जिस उम्र में लोग अपना नाम भी भूलने लगते हैं उस उम्र में हरबी को देश के सियासी इतिहास की पूरी जानकारी है. वे बताती हैं कि देश के पहले चुनाव से लेकर अब तक हर चुनाव में उन्होंने अपने मत का प्रयोग किया है. उन्होंने बताया कि जिस समय चुनाव की शुरूआत हुई थी, तब बीजेपी यानी जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था और कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैल थे, जो शायद आज इन पार्टियों के नेताओं को भी ठीक से याद नहीं होगा.


हरबी बाई पिछले 50 सालों से खजुराहो में मतंगेश्वर मंदिर के सामने बरगद के पेड़ के नीचे छोटी सी चाय की दुकान लगाती हैं, जिससे होने वाली आमदनी से वह अपना गुजारा करती हैं. उनके ज्यादातर रिश्तेदारों की मौत हो चुकी है. फिर भी उनका हौसला कम नहीं हुआ है. 102 साल की उम्र में भी जिंदगी को जी भरके जी रही हरबी बाई के इसी जज्बे को देखकर जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर जैसे फिल्म अभिनेता भी उनके कायल हैं.

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