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मुफलिसी का शिकार 'मिट्टी का जादूगर', परिवार चलाने के लिए बना दिहाड़ी मजदूर

मिट्टी के जादूगर कहे जाने वाले टीकाराम प्रजापति को राज्य से लेकर केंद्र सरकार सम्मानित कर चुकी है. उनकी बनाई हुई कलाकृतियां हर किसी को आकर्षित करती हैं, लेकिन अब यह कलाकार अर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं.

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Published : Aug 3, 2019, 10:09 AM IST

मुफलिसी का शिकार 'मिट्टी का जादूगर'

छतरपुर। जिले के शिवराजपुर गांव में एक ऐसा कलाकार है, जिसकी ऊंगलियां मिट्टी पर पड़ते ही उनमें अपने आप जैसे जान आ जाती है. उसकी बनाई प्रतिमाएं ऐसा लगता है कि बस अब बोल उठेंगी. इस कलाकार का नाम है टीकाराम प्रजापति, जो मिट्टी से सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां बनाते हैं. टीकाराम को अपनी इस कला के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान भी मिल चुके हैं, लेकिन अफसोस की बात ये है कि अब वे अर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ रही है.

मुफलिसी का शिकार 'मिट्टी का जादूगर'

मिट्टी के जादूगर कहे जाने वाले टीकाराम प्रजापति पन्ना रोड पर अपने घर में ही एक खजुराहो पॉटरी नाम की दुकान चलाते हैं. यहां उनके द्वारा बनाई हुई विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां मौजूद हैं. अपने कला के दम पर ही प्रजापति पिछले कई सालों से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन इन कलाकृतियों को बेचकर टीकाराम एक महीने में 5 से 6 हजार ही कमा पाते हैं, जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता है. कई बार तो उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी भी करनी पड़ती है.

टीकाराम राष्ट्रीय स्तर के कलाकार हैं, उन्हें अपनी इस कला के लिए केंद्र सरकार से कई प्रमाण पत्र मिल चुके हैं. वे मध्य प्रदेश सरकार में रजिस्टर्ड कलाकार भी हैं, लेकिन इन सबके बावजूद उन्हें अर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. बता दें कि टीकाराम ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से स्नातक किया हुआ है. टीकाराम का कहना है कि उन्हें यह काम करने में बहुत मजा आता है. पैसे भले ही कम मिलते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अपने पिता के काम को आगे बढ़ा रहे हैं. साथ उन्होनें बताया कि मिट्टी की बनी हुई कलाकृतियां मुझे बेहद सुकून देती हैं.

छतरपुर। जिले के शिवराजपुर गांव में एक ऐसा कलाकार है, जिसकी ऊंगलियां मिट्टी पर पड़ते ही उनमें अपने आप जैसे जान आ जाती है. उसकी बनाई प्रतिमाएं ऐसा लगता है कि बस अब बोल उठेंगी. इस कलाकार का नाम है टीकाराम प्रजापति, जो मिट्टी से सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां बनाते हैं. टीकाराम को अपनी इस कला के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान भी मिल चुके हैं, लेकिन अफसोस की बात ये है कि अब वे अर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ रही है.

मुफलिसी का शिकार 'मिट्टी का जादूगर'

मिट्टी के जादूगर कहे जाने वाले टीकाराम प्रजापति पन्ना रोड पर अपने घर में ही एक खजुराहो पॉटरी नाम की दुकान चलाते हैं. यहां उनके द्वारा बनाई हुई विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां मौजूद हैं. अपने कला के दम पर ही प्रजापति पिछले कई सालों से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन इन कलाकृतियों को बेचकर टीकाराम एक महीने में 5 से 6 हजार ही कमा पाते हैं, जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता है. कई बार तो उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी भी करनी पड़ती है.

टीकाराम राष्ट्रीय स्तर के कलाकार हैं, उन्हें अपनी इस कला के लिए केंद्र सरकार से कई प्रमाण पत्र मिल चुके हैं. वे मध्य प्रदेश सरकार में रजिस्टर्ड कलाकार भी हैं, लेकिन इन सबके बावजूद उन्हें अर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. बता दें कि टीकाराम ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से स्नातक किया हुआ है. टीकाराम का कहना है कि उन्हें यह काम करने में बहुत मजा आता है. पैसे भले ही कम मिलते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अपने पिता के काम को आगे बढ़ा रहे हैं. साथ उन्होनें बताया कि मिट्टी की बनी हुई कलाकृतियां मुझे बेहद सुकून देती हैं.

Intro:छतरपुर जिले के छोटे से गांव शिवराजपुर में रहने वाले टीकाराम प्रजापति मिट्टी के बजा दो घर हैं जिनकी उंगलियां पढ़ते ही मिट्टी में अपने आप जान आ जाती है और वह बोल उठती है विक्रम प्रजापति एक पोट्रेट कलाकार हैं और पिछले कई सालों से मिट्टी की कलाकृतियों को बनाते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं! लेकिन पिछले कई सालों से अबे मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं जिसके चलते उन्हें दिहाड़ी करनी पड़ रही है!


Body:छतरपुर से पन्ना जाते वक्त सड़क का इलाका एक बोर्ड खजुराहो पॉटरी ना चाहते हुए भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है!रोड के पास ही मिट्टी की बनी कलाकृतियां रुकने को मजबूर कर देती है यह घर है मिट्टी के जादूगर टीकाराम प्रजापति का अंदर घुसते ही घर में रखी मिट्टी की कलाकृतियां मानो जैसे बोल रही हो कमरे के चारों ओर रखी विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां यह बताने के लिए काफी है कि पढ़ते ही देती हैं!

राष्ट्रीय स्तर के कलाकार हैं और उन्हें इस विधा में महारत हासिल है इसके चलते उन्हें देश के कई प्रमाण पत्र मिल चुके हैं मध्य प्रदेश के विभाग में रजिस्टर्ड कलाकार भी हैं लेकिन राष्ट्र कलाकार के दौर से गुजर रहा है बताते हैं कि मध्यप्रदेश शासन का है उसी समय पैसे मिल जाते हैं बाकी के महीनों में आते हैं पास में परिवार का भरण पोषण नहीं हो पाता है यही वजह है कि उन्हें परिवार के भरण-पोषण के लिए मजदूरी भी करनी पड़ती है!

इकराम 51 वर्ष के हैं और भोपाल के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक किया हुआ है घर में उनकी मां पिता और एक बेटा है उनका बेटा एक पेट्रोल पंप की दुकान पर मजदूरी करता है विक्रम बताते हैं कि उन्हें यह काम करने में बहुत मजा आता है पैसे भले ही कम मिलते हैं लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अपने पिताजी के काम को आगे बढ़ा रहे हैं और मिट्टी की बनी हुई कलाकृतियां उन्हें बेहद सुकून देती हैं!




Conclusion:इकराम इन दिनों में पुलिस के दौर से गुजर रहे हैं जिस घर में रह रहे हैं अभी कच्चा है और पांच से 6 हजार में ही अपना घर चला रहे हैं कई बार तो उन्हें परिवार का भरण पोषण करने के लिए दिहाड़ी भी करनी पड़ती है लेकिन मध्यप्रदेश शासन की तरफ से ऐसे कलाकारों को कोई भी आर्थिक सहयोग नहीं दिया जा रहा है यही वजह है कि टीका राम जैसे मिट्टी के जादूगर मध्यप्रदेश शासन की उपेक्षा का शिकार है!
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