कोच्चि: शनिवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील पेरिया जुड़वां हत्याकांड में चौदह आरोपियों को दोषी ठहराया, जिनमें से अधिकतर कथित सीपीआई (एम) कार्यकर्ता हैं, जिनमें पूर्व उडुमा विधायक के.वी. कुंजुरामन भी शामिल हैं. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एन. शेषाद्रिनाथन ने उन्हें दोषी पाया, साथ ही 10 अन्य को भी बरी कर दिया क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा.
जिन लोगों को अदालत ने दोषी पाया है, वे हैं पीतांबरन (पहला आरोपी), साजी जॉर्ज (दूसरा आरोपी), सुरेश (तीसरा आरोपी) अनिलकुमार (चौथा आरोपी) जिजिन (पांचवां आरोपी) श्रीराग (छठा आरोपी), अश्विन (सातवां आरोपी) सुधीश (आठवां आरोपी), रेन्जिथ (नौवां आरोपी) सुरेंद्रन (दसवां आरोपी) मणिकंदन (14वां आरोपी), के.वी, कुंजुरामन (20वां आरोपी ), वेलुथोली राघवन (21वां आरोपी) और एवी. भास्करन (22वां आरोपी)
अदालत ने आरोपियों को हत्या, गैरकानूनी सभा, आपराधिक साजिश, दंगा और गलत तरीके से रोकने सहित विभिन्न अपराधों का दोषी पाया. आरोपियों को सजा 3 जनवरी को सुनाई जाएगी. कुंजुरामन और तीन अन्य को आईपीसी की धारा 225 के तहत किसी व्यक्ति की वैध गिरफ्तारी में बाधा डालने या विरोध करने के अपराध का दोषी पाया गया. अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि राजनीतिक दुश्मनी के कारण कन्नडिप्पारा, कल्लियोट, पेरिया में माकपा कार्यकर्ताओं ने दोनों की बेरहमी से हत्या कर दी थी.
आरोपियों ने 14 फरवरी, 2019 को पेरिया के इचिलाडुक्कम बस स्टॉप पर आपस में मिलकर युवा कांग्रेस नेताओं कृपेश (21) और सरथ लाल (23) की हत्या की साजिश रची. यह हमला कथित तौर पर मुन्नद कॉलेज में एसएफआई और केएसयू कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के सिलसिले में हुआ था. मामले की जांच करने वाली सीबीआई के अनुसार, इलाके के लोगों के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए सरथ लाल और कृपेश के सक्रिय काम को रोकने के लिए हत्या की गई थी.
पहले इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश के. कामनीस के समक्ष हुई थी, जो बाद में त्रिशूर की अदालत में चले गए. वाई. बॉबी जोसेफ इस मामले में सीबीआई के विशेष अभियोजक थे. इस मामले की शुरुआत में क्राइम ब्रांच ने जांच की थी, लेकिन मारे गए बच्चों के माता-पिता द्वारा केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद इसे सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई जांच का आदेश देने वाले उच्च न्यायालय ने होसदुर्ग ट्रायल कोर्ट में क्राइम ब्रांच द्वारा दायर आरोपपत्र को भी खारिज कर दिया था.
केरल उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई की याचिका का विरोध करने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया. इस दोहरे हत्याकांड के बाद सीपीआई(एम) और राज्य सरकार की कड़ी आलोचना हुई थी.