छतरपुर। कोरोना काल में लाखों परिवारों के घर उजड़ गए हैं. जीने का जरिया खत्म हो चुका है. आलम ये है कि दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है. खासकर प्रवासी मजदूरों के लिए ये समय किसी त्रासदी से कम नहीं है. संकट इतना गहरा है कि मजदूरों ने इसके खत्म होने की उम्मीद ही छोड़ दी है और अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं. कोई पैदल ही निकल गया है तो कोई अपने साधनों से ऐसे ही एक परिवार से ईटीवी भारती ने मुलाकात की. जो आगरा से 400 किलोमीटर का सफर कर रहा है. इस लंबे सफर को तय करने के लिए इस परिवार ने मिलकर स्कूटर को मॉडिफाई किया. जिससे एक ही स्कूटर पर 9 सदस्य अपने घर जा रहे हैं.
परिवार के मुखिया नरेंद्र बताते हैं कि वे आगरा में परिवार के साथ रहते थे. मजदूरी करके गुजारा होता था. जैसे ही लॉकडाउन लगा रोजगार छिन गया. उसके बाद काफी इंतजार किया. हालात सामान्य हो जाएं, लेकिन कोई उम्मीद नहीं दिखी. उसके बाद प्रशासन से भी को मदद नहीं मिल पाई. घर तो वापस जाना ही था, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था. आखिरकार स्कूटर को मॉडिफाई करने का विचार आया है. फिर 35 दिनों की मेहनत रंग लाई और जुगाड़ से ये इंतजाम हो पाया.
ये परिवार बंडा तहसील का रहने वाला है. नरेंद्र की पत्नी सपना ने कहा ये मुश्किलों भरा सफर जैसे-तैसे पूरा होने वाला है. घर के पास पहुंचकर सुकून मिल रहा है. आज रात तक हम अपने घर पहुंच जाएंगे.