छतरपुर। जिले के चंदला विधानसभा क्षेत्र के बारीगढ़ से जनपद कार्यालय गौरिहार आने के बाद वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी दफ्तर भी यहां स्थापित हुआ. वर्तमान में इसका संचालन कृषि विभाग के मृदा परीक्षण भवन में हो रहा है, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. यह कार्यालय महज एक लिपिक व चपरासी के सहारे संचालित है. लवकुशनगर में पदस्थ वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी उमाशंकर गुप्ता के पास यहां का भी प्रभार है, जो महीने में चार दिन ही गौरिहार आ पाते हैं.
बिजली को तरसे : एक बाबू और चपरासी के भरोसे संचालित कृषि विभाग के कार्यालय में दो वर्ष में विद्युत व्यवस्था तक नहीं हो सकी है. प्रभारी अधिकारी ने विभाग को कई बार पत्र लिखे लेकिन नतीजा ढांक के तीन पात ही रहा. प्रभारी अधिकारी के अनुसार कई बार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखे गये. साथ ही इस विषय में विद्युत विभाग से भी बातचीत हुई, जिनके द्वारा बताया गया कि आपके वरिष्ठ कार्यालय से कनेक्शन में लगने वाली डिपॉजिट राशि जमा होने के बाद ही कनेक्शन संभव है.
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प्रशासनिक नाकामी का उदाहरण: ये प्रशासनिक व्यवस्था का एक उदाहरण है जो ग्रामीण क्षेत्रों में खोले जाने वाले शासकीय दफ्तरों का हाल बता रहा है. दावे किए जाते हैं कि ऐसे दफ्तर खोलने से ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. लेकिन जब स्टाफ ही तैनात नहीं होगा तो ग्रामीणों की मदद कौन करेगा. कौन ग्रामीणों व किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देगा. दफ्तर खोलने से पहले बिजली-पानी तक व्यवस्था नहीं की गई तो आगे के हालात समझे जा सकते हैं.