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देश के बाहर कभी नहीं रखा कदम, फिर भी 40 देशों की करेंसी का बना दिया संग्रहालय - छतरपुर

छतरपुर जिले के बिजावर में रहने वाले केदारनाथ विश्ववारी सिक्कों का एक बड़ा संग्रहालय बनाया है. जिसमें लगभग 40 देशों के 1000 हजार से भी ज्यादा सिक्कें संग्रहित किए गए हैं.

सिक्कों का संग्रहालय
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Published : Jul 18, 2019, 7:51 PM IST

छतरपुर। तस्वीरों में दिख रहे ये सिक्के मामूली नहीं, बल्कि बेहद खास हैं क्योंकि ये सिक्के जापान, इग्लैण्ड, अमेरिका, थाइलैंड जैसे देशों के हैं. जिन्हें सहेजने का काम कर रहे हैं बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी, सभी देशों की करेंसी जुटाने का शौक ही इन्हें खास बनाती है.

40 देशों की करेंसी संग्रहालय

केदारनाथ विश्ववारी ने सिक्कों का एक बड़ा संग्रहालय बनाया है. जिसमें 40 देशों के करीब एक हजार से भी ज्यादा सिक्कों को सहेज कर रखा गया है. इनमें भारती की आजादी के पहले और बाद के सिक्के भी शामिल हैं, जबकि विदेशी सिक्कों के तौर पर यूएसए में चलने वाली सेंट मुद्रा, जापान की येन, यूरोप की यूरो, यूके की पौंड और पेन्स जैसे बड़े देशों के सिक्के इस संग्रहालय में मौजूद हैं.

kedarnath vishwari
केदारनाथ विश्ववारी

बिजावर में किराने की दुकान चलाने वाले केदारनाथ बताते हैं कि सिक्के जमा करने का उनका शौक कब जुनून में बदल गया, उन्हें खुद भी पता नहीं चला. सिक्के जुटाने का जुनून ऐसा चढ़ा कि जो भी विदेश यात्रा पर जाता, वह उनसे वहां के सिक्के लाने के लिए कह देते और कई सिक्कों की खोजकर उन्होंने खुद उसे संग्रहालय में रखा है.

केदारनाथ के सिक्कों के इस अद्भुत कलेक्शन को देखने अक्सर लोग उनके संग्रहालय पहुंचते है क्योंकि इसमें अकबर, शाहजहां से लेकर ब्रिटिश शासनकाल के सिक्के आज भी देखने को मिल जाते हैं. केदारनाथ ने अलग-अलग देशों के इन सिक्कों को सहेजने का जो काम किया है. वह वाकई अद्भुत और सराहनीय है.

छतरपुर। तस्वीरों में दिख रहे ये सिक्के मामूली नहीं, बल्कि बेहद खास हैं क्योंकि ये सिक्के जापान, इग्लैण्ड, अमेरिका, थाइलैंड जैसे देशों के हैं. जिन्हें सहेजने का काम कर रहे हैं बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी, सभी देशों की करेंसी जुटाने का शौक ही इन्हें खास बनाती है.

40 देशों की करेंसी संग्रहालय

केदारनाथ विश्ववारी ने सिक्कों का एक बड़ा संग्रहालय बनाया है. जिसमें 40 देशों के करीब एक हजार से भी ज्यादा सिक्कों को सहेज कर रखा गया है. इनमें भारती की आजादी के पहले और बाद के सिक्के भी शामिल हैं, जबकि विदेशी सिक्कों के तौर पर यूएसए में चलने वाली सेंट मुद्रा, जापान की येन, यूरोप की यूरो, यूके की पौंड और पेन्स जैसे बड़े देशों के सिक्के इस संग्रहालय में मौजूद हैं.

kedarnath vishwari
केदारनाथ विश्ववारी

बिजावर में किराने की दुकान चलाने वाले केदारनाथ बताते हैं कि सिक्के जमा करने का उनका शौक कब जुनून में बदल गया, उन्हें खुद भी पता नहीं चला. सिक्के जुटाने का जुनून ऐसा चढ़ा कि जो भी विदेश यात्रा पर जाता, वह उनसे वहां के सिक्के लाने के लिए कह देते और कई सिक्कों की खोजकर उन्होंने खुद उसे संग्रहालय में रखा है.

केदारनाथ के सिक्कों के इस अद्भुत कलेक्शन को देखने अक्सर लोग उनके संग्रहालय पहुंचते है क्योंकि इसमें अकबर, शाहजहां से लेकर ब्रिटिश शासनकाल के सिक्के आज भी देखने को मिल जाते हैं. केदारनाथ ने अलग-अलग देशों के इन सिक्कों को सहेजने का जो काम किया है. वह वाकई अद्भुत और सराहनीय है.

Intro: स्पेशल-
बिजावर म प्र - म्यूजियम में नही होंगे इतने वर्ष पुराने दुर्लभ सिंक्के संग्रह, देश विदेश के सिंक्के और नोट,

अजब एमपी का गजब शौक बना जुनून,1000 हजार सिक्के हुए संग्रह, पुरातन काल और मुगलकालीन से लगाकर अब तक चलन के सिक्को को जमा किया,
छतरपुर जिले की बिजावर तहसील में केदारनाथ विश्ववारी बिजावर के वार्ड नंबर 7 में रहने वाले साधारण से दिखते है एंटीक सिक्के संग्रह की ऐसी रुचि 40 वर्ष पहले बड़ी जिनमें उन्होंने पुरातन कालीन सेकैडो साल पुराने एवं कई देशों के सिक्कों को कलेक्ट करना शुरू किया,जिसके बाद आज केदारनाथ बिश्वारी के पास एक हजार से अधिक बेहद दुर्लभ सिक्को का संग्रह है
जिनमे पुरातन कालीन में भारत वर्ष में चलने वाले से लेकर अब तक चल रहे सिंक्के उन्होंने जमा किये,कुछ सिक्के बहुत ही दुर्लभ है और बहुमूल्य भी है



Body:
जिनमे मुख्य मुगल कालीन के सिक्के,इंद्रा गांधी के समय के सिक्के,
उर्दू लिखे सिक्के,पुराने समय मे चलने वाले एक आना दो आना एल्युमिनियम, ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेजो के समय के चांदी के सिक्के, और तांबे के सिंक्के,पीतल के सिंक्के,
यू.एस.ए में चलने वाले सेंट सिंक्के,जापान में चलने वाले येन सिंक्के,यूरोप में चलने वाले यूरो एवं येन सिंक्के, यू.के में चलने वाले पोंड और पेन्स,यूएई में चलने वाले सिंक्के,हांग-कांग में चलन के सिंक्के,
कागज के नोट एवं बिदेशी डॉलर,
पुराने समय मे चलने वाले कागज के 1 रुपये,2 रुपये,5 रुपये,10 रुपये के जितने भी नोट भारत वर्ष में चलन में रहे वो सभी दुर्लभ नोट आज भी सुरक्षित रखे हुए है





Conclusion:
केदारनाथ विश्वारी ने बताया कि 40 वर्ष में सिंक्के जमा करने का यह शौक कब जुनून बन गया पता ही नही चला,जब उनसे यह जाना गया कि इतने विदेशी सिंक्के उन तक कैसे पहुचे तो उन्होंने बताया कि देश विदेश में रिस्तेदार या परिचित व्यक्तियों के आने जाने पर अपने लिए सिंक्के डॉलर लाने के लिए कह देते थे साथ उनकी इस रुचि में उनके रिस्तेदार और परिवार के लोग भी साथ देते है और यहाँ वहाँ से लाकर परिवार के लोग उनको दे देते है सिंक्के,
केदारनाथ के अद्दभुत कलेक्शन को देखने अक्सर लोग आते जाते रहते है जो आस-पास क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी है

बाईट-1- केदारनाथ विशवारी
बाईट-२- गोल्डी बिशबारी (केदारनाथ की बेटी)
स्पेशल -

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