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पांच बेटियों के साथ पति ने पत्नी को घर से निकाला, कलेक्टर से मांगी मदद तो मिला तिरस्कार - mp news

छतरपुर जिले में एक महिला को पांच बेटियां पैदा होने पर उसके पति ने घर से बाहर निकाल दिया. जिसके बाद महिला अपनी बेटियों को लेकर कलेक्टर के सामने मदद की गुहार लगाने के लिए पहुंची, लेकिन वहां से उसे भगा दिया गया. पीड़ित महिला न्याय की आस में थाने पहुंची.

पांच बेटियों के साथ पति ने पत्नी को घर से निकाल दिया
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Published : Oct 1, 2019, 11:43 PM IST

छतरपुर। एक तरफ जहां पूरा देश नवरात्रि पर मां दुर्गा के अनेक रूपों की पूजा की जा रही है. कन्याओं की विशेष रूप से पूजा की जा रही है, तो वहीं पांच बेटियां एक महिला के लिए मुसीबत बन गई है, बेटे की चाहत में पांच बेटियां पैदा करने वाली महिला को उसके पति ने ही घर से निकाल दिया. जिसके बाद महिला अपनी बेटियों को लेकर कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंची थी, वहां भी उसे तिरस्कार मिला. अब पीड़िता न्याय की आस में इधर-उधर भटक रही है.

पांच बेटियों के साथ पति ने पत्नी को घर से निकाल दिया

छतरपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो बेटे- बेटी में फर्क करने वाली संकीर्ण सोच को दर्शाती है. साथ ही ये सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वास्तव में बुंदेलखंड में बेटियों-महिलाओं के प्रति दिखाई देने वाला सम्मान और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती हैं.

करीब 12 साल पहले महिला की शादी नौगांव थाना क्षेत्र के एक पुरवा में हुई थी, शादी के बाद महिला की छह बेटियां हुईं. जिनमें से एक बेटी की मौत हो गई, जबकि पांच बेटियां जीवित हैं, लेकिन एक भी बेटा नहीं हुआ, जिसकी वजह से पति ने उसे घर से निकाल दिया. जिससे हैरान-परेशान महिला आखिरकार अपने मायके चली गई, लेकिन गरीब मां-बाप अपनी बेटी और उसकी पांच बेटियों का बोझ उठाने में असमर्थ हैं. जिसके चलते पीड़ित महिला और उसके परिजन अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.

एसपी ने पीड़ित महिला को मदद का भरोसा दिया है, साथ ही पीड़िता के पति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये हैं. भले ही सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और लाडली लक्ष्मी योजना के अलावा बेटियों को बेटों के बराबर खड़ा करने के प्रयास किये जा रहे हैं. फिर भी ये सारे प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हाथी के दात साबित हो रहे हैं.

छतरपुर। एक तरफ जहां पूरा देश नवरात्रि पर मां दुर्गा के अनेक रूपों की पूजा की जा रही है. कन्याओं की विशेष रूप से पूजा की जा रही है, तो वहीं पांच बेटियां एक महिला के लिए मुसीबत बन गई है, बेटे की चाहत में पांच बेटियां पैदा करने वाली महिला को उसके पति ने ही घर से निकाल दिया. जिसके बाद महिला अपनी बेटियों को लेकर कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंची थी, वहां भी उसे तिरस्कार मिला. अब पीड़िता न्याय की आस में इधर-उधर भटक रही है.

पांच बेटियों के साथ पति ने पत्नी को घर से निकाल दिया

छतरपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो बेटे- बेटी में फर्क करने वाली संकीर्ण सोच को दर्शाती है. साथ ही ये सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वास्तव में बुंदेलखंड में बेटियों-महिलाओं के प्रति दिखाई देने वाला सम्मान और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती हैं.

करीब 12 साल पहले महिला की शादी नौगांव थाना क्षेत्र के एक पुरवा में हुई थी, शादी के बाद महिला की छह बेटियां हुईं. जिनमें से एक बेटी की मौत हो गई, जबकि पांच बेटियां जीवित हैं, लेकिन एक भी बेटा नहीं हुआ, जिसकी वजह से पति ने उसे घर से निकाल दिया. जिससे हैरान-परेशान महिला आखिरकार अपने मायके चली गई, लेकिन गरीब मां-बाप अपनी बेटी और उसकी पांच बेटियों का बोझ उठाने में असमर्थ हैं. जिसके चलते पीड़ित महिला और उसके परिजन अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.

एसपी ने पीड़ित महिला को मदद का भरोसा दिया है, साथ ही पीड़िता के पति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये हैं. भले ही सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और लाडली लक्ष्मी योजना के अलावा बेटियों को बेटों के बराबर खड़ा करने के प्रयास किये जा रहे हैं. फिर भी ये सारे प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हाथी के दात साबित हो रहे हैं.

Intro: बुंदेलखंड के छतरपुर में एक महिला को बेटियां पैदा करना है ना महंगा पड़ा की उसके पति ने उसे एक घर से निकाल दिया जिसके बाद महिला अपनी बेटियों को लेकर जिले के अधिकारियों के सामने मदद की गुहार लगाने लगे लेकिन किसी ने भी उसकी जब नहीं सुनी तो महिला ने पुलिस के सामने मदद की गुहार लगाई!


Body:तस्वीरों में आप जिस महिला को तीन बेटियों के साथ देख रहे हैं यह बुंदेलखंड का वह कड़वा सच है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे एक महिला को उसके पति ने सिर्फ इसलिए अपने घर से बाहर निकाल दिया कि उसने पांच बेटियों को जन्म दिया पति उससे एक बेटी की उम्मीद लगाए बैठा था लेकिन महिला उसे एक बेटा नहीं दे पाई और आखिरकार पति ने उसे अपने घर से बाहर कर दिया!

तस्वीरें मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से उस वक्त आई है जिस वक्त देश में नवरात्रि जैसा त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है एक और जहां पूरा देश नारी शक्ति को ना सिर्फ पूछता है बल्कि उनके सामने नतमस्तक हो जाता है ऐसे में एक महिला यह तस्वीर सोचने पर मजबूर कर देती है क्या वास्तव में बुंदेलखंड मैं बेटियों एवं महिलाओं के प्रति दिखाई देने वाला सम्मान सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित है!

आपको बता दें कि आज से लगभग 12 साल पहले मनोज नाम की महिला की शादी नौगांव थाना क्षेत्र के लहरा पुरवा में भज्जू उर्फ़ हरलाल कुशवाहा के साथ हुई थी शादी के बाद महिला मनोज को 6 बेटियां हुई जिनमें से एक बेटी की मौत हो गई!

लेकिन महिला का पति हरलाल कुशवाहा 6 बेटियां हो जाने के बाद अब अपनी पत्नी को अपने घर रखना नहीं चाहता है यही वजह है उसने उसे अपने घर से बाहर निकाल दिया हैरान-परेशान महिला आखिरकार अपने मायके जा पहुंची लेकिन गरीब मां-बाप अपनी बेटी एवं उसकी पांच बेटियों का बोझ उठाने में असमर्थ साबित हुए जिसके बाद उन्होंने जिले के सक्षम अधिकारियों के सामने मदद की गुहार लगाई!

बाइट_मनोज कुशवाहा पीड़ित महिला


लेकिन जब स्थानीय एवं कलेक्टर ने किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की तो महिला हार थक्कर पुलिस के पास अपनी मदद के लिए जा पहुंची जिसके बाद छतरपुर एसपी ने ना सिर्फ महिला को मदद का भरोसा दिलाया बल्कि नौगांव टीआई को पति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए और महिला एवं उसके बच्चों को नौगांव थाना पुलिस की जीप में पहुंचाया!

बाइट_एएसपी जयराज कुबेर

हालांकि पुलिस ने अपना काम तो कर दिया लेकिन कहीं ना कहीं एक पुरुषवादी सोच की वजह से मनोज कुशवाहा जैसी महिला नसीर परेशान है बल्कि पांच पांच बेटियों को लेकर दरबदर मदद के लिए भटक रही है!





Conclusion: बेटियों को लेकर मदद की गुहार लगाती मनोज कुशवाहा की कहानी यह बताती है कि आज भी बुंदेलखंड में पुरुष प्रधान सोच और बेटी को बेटी की अपेक्षा में अधिक तवज्जो देने वाली सोच साफ तौर पर दिखाई दे रही है भले ही मध्य प्रदेश सरकार तमाम प्रकार की योजनाएं चला रही हो जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं बेटियों को लक्ष्मी समझना एवं उन्हें बराबर सम्मान देने जैसे वाक्यों को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता ला रही हो लेकिन हकीकत आज भी कुछ और ही है!
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