छतरपुर। एक तरफ जहां पूरा देश नवरात्रि पर मां दुर्गा के अनेक रूपों की पूजा की जा रही है. कन्याओं की विशेष रूप से पूजा की जा रही है, तो वहीं पांच बेटियां एक महिला के लिए मुसीबत बन गई है, बेटे की चाहत में पांच बेटियां पैदा करने वाली महिला को उसके पति ने ही घर से निकाल दिया. जिसके बाद महिला अपनी बेटियों को लेकर कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंची थी, वहां भी उसे तिरस्कार मिला. अब पीड़िता न्याय की आस में इधर-उधर भटक रही है.
छतरपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो बेटे- बेटी में फर्क करने वाली संकीर्ण सोच को दर्शाती है. साथ ही ये सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वास्तव में बुंदेलखंड में बेटियों-महिलाओं के प्रति दिखाई देने वाला सम्मान और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती हैं.
करीब 12 साल पहले महिला की शादी नौगांव थाना क्षेत्र के एक पुरवा में हुई थी, शादी के बाद महिला की छह बेटियां हुईं. जिनमें से एक बेटी की मौत हो गई, जबकि पांच बेटियां जीवित हैं, लेकिन एक भी बेटा नहीं हुआ, जिसकी वजह से पति ने उसे घर से निकाल दिया. जिससे हैरान-परेशान महिला आखिरकार अपने मायके चली गई, लेकिन गरीब मां-बाप अपनी बेटी और उसकी पांच बेटियों का बोझ उठाने में असमर्थ हैं. जिसके चलते पीड़ित महिला और उसके परिजन अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
एसपी ने पीड़ित महिला को मदद का भरोसा दिया है, साथ ही पीड़िता के पति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिये हैं. भले ही सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और लाडली लक्ष्मी योजना के अलावा बेटियों को बेटों के बराबर खड़ा करने के प्रयास किये जा रहे हैं. फिर भी ये सारे प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हाथी के दात साबित हो रहे हैं.