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खजुराहो का अनोखा शिव मंदिर जहां हर साल बढ़ता है शिवलिंग, हर मनोकामना होती है पूरी - 18 फीट ऊंची शिवलिंग

छतरपुर के खजुराहो में एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है जहां गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग जितना ऊपर है उतना ही जमीन के नीचे भी. इसके अलावा यहां हर साल चावल के दाने के बराबर शिवलिंग बढ़ता है.

matangeshwar temple
अनूठी शिवलिंग
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Published : Jul 10, 2020, 3:13 PM IST

छतरपुर। प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के साथ-साथ विश्वभर में शिल्पकला ओर मूर्तिकला के लिए मशहूर खजुराहो में वैसे तो महादेव के कई मंदिर हैं, लेकिन यहां एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. ये मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीन-प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है, जिसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है. ये खजुराहो का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है. जहां भगवान शिव की पूजा हर रोज की जाती है. ऐसा माना जाता है कि खजुराहो पुराने समय में शिव नगरी के नाम से जाना जाता था और यहां लगभग 8 से 10 मंदिर भगवान शिव के थे, लेकिन आक्रमणकारियों ने मंदिरों को खंडित कर दिया.

हर साल बढ़ती है शिवलिंग


1000 साल पुराना मंदिर
कहा जाता है कि मतंगेश्वर मंदिर एक हजार साल पुराना है, जिसके पीछे कई चुनौतियां और कहानियां मौजूद हैं. वैसे तो खजुराहो में कई प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, लेकिन ये एक मात्र ऐसा मंदिर जहां भोलेनाथ की रोजाना आराधना होती है. बता दें शहर में मौजूद प्राचीन शिव मंदिरों में मूर्तियां खंडित हैं, जिस वजह से वहां पूजा नहीं होती है. वहीं लोगों का मानना है कि मतंगेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. हालांकि भूगर्भ शास्त्री ऐसी किसी भी बात को मानने से इंकार करते हैं.

matangeshwar temple
अनोखा शिव मंदिर

18 फीट ऊंची शिवलिंग

इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की एक बड़ी सी शिवलिंग मौजूद है. साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरा मंदिर जहां भक्त दर्शन करने जाते हैं वह योनि पर बना हुआ है. कहते हैं भगवान शिव की शिवलिंग 18 फीट है जो कि 9 फीट ऊपर दिखाई देती है और 9 फीट जमीन के नीचे है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की नीचे मरकत मणि है और यही वजह है कि इस शिवलिंग को छू लेने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

matangeshwar temple
अनूठी शिवलिंग

मणि पर स्थापित है शिवलिंग
पुरानी कथाओं की मानें तो इस मंदिर के नीचे एक मरकत मणि है जो कि सभी मनोकामनाओं को पूरी करता है. ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई भक्त इस शिवलिंग को छूकर कोई मनोकामना करता है तो वह अवश्य ही पूरी होती है. खजुराहो मंदिरों में गाइड का काम करने वाले श्यामलाल बताते हैं कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसकी योनि इतनी बड़ी है कि उसी पर बैठकर सब लोग पूजा करते हैं.

क्यों है मतंगेश्वर नाम

पुजारी प्रदीप गौतम बताते हैं कि उनका परिवार पीढ़ियों से यहां पूजा कर रहा है. ऐसा माना जाता है कि जो मरकत मणि मंदिर में मौजूद है, वो मणि मतंग ऋषि ने राजा हर्षवर्धन को दी थी. वहीं यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती. यही वजह है कि इसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. रोज शाम 6 बजे यहां भगवान शिव की भव्य आरती की जाती है और अन्य त्योहारों में यहां पर भगवान शिव को विशेष तैयार कर उनकी महाआरती होती है. शिवरात्रि के दिन इस मंदिर की छटा निराली होती है. देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते हैं.

सोने की कील ठोक किया सीमित

पुजारी प्रदीप गौतम ने बताया कि इस शिवलिंग के पीछे एक और किवदंती है. ऐसा माना जाता है कि हर साल यह शिवलिंग एक इंच बढ़ती है, वहीं लगातार शिवलिंग बढ़ने की वजह से शिवलिंग के ऊपर सोने की एक कील ठोक दी गई जिससे ये शिवलिंग आगे ना बढ़े और मंदिर में ही सीमित रह जाए.

होती है हर मनोकामना पूरी

स्थानीय निवासी नरेंद्र कुमार द्विवेदी बताते हैं कि वह पिछले सात से आठ सालों से लगातार मतंगेश्वर मंदिर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां मांगी हुई उनकी हर एक मनोकामना पूरी हुई है. वे कहते हैं यहां जो भी आकर सच्चे मन से प्रार्थना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

नहीं है कोई प्रमाण

मतंगेश्वर मंदिर के बारे में प्रचलित किवदंतियों के बारे में भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर प्रदीप जैन का कहना है कि शिवलिंग के बढ़ने और शिवलिंग की नीचे मरकत मणि होने का ऐसा कोई प्रमाण नहीं है. ना तो आज तक शिवलिंग को इससे पहले मापा गया है और ना ही इस प्रकार की कोई घटना का जिक्र किया गया है.

हालांकि भले ही विज्ञान इन तमाम बातों को न माने, लेकिन कहते हैं जहां लोगों की आस्था होती है वहां विज्ञान भी झुक जाता है. मतंगेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल लाखों लोग आते हैं और सभी की मनोकामना पूरी होती है. हजारों साल बीत जाने के बाद भी मंदिर की चमक और उसकी बनावट जस की तस बनी हुई है.

छतरपुर। प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के साथ-साथ विश्वभर में शिल्पकला ओर मूर्तिकला के लिए मशहूर खजुराहो में वैसे तो महादेव के कई मंदिर हैं, लेकिन यहां एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. ये मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीन-प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है, जिसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है. ये खजुराहो का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है. जहां भगवान शिव की पूजा हर रोज की जाती है. ऐसा माना जाता है कि खजुराहो पुराने समय में शिव नगरी के नाम से जाना जाता था और यहां लगभग 8 से 10 मंदिर भगवान शिव के थे, लेकिन आक्रमणकारियों ने मंदिरों को खंडित कर दिया.

हर साल बढ़ती है शिवलिंग


1000 साल पुराना मंदिर
कहा जाता है कि मतंगेश्वर मंदिर एक हजार साल पुराना है, जिसके पीछे कई चुनौतियां और कहानियां मौजूद हैं. वैसे तो खजुराहो में कई प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, लेकिन ये एक मात्र ऐसा मंदिर जहां भोलेनाथ की रोजाना आराधना होती है. बता दें शहर में मौजूद प्राचीन शिव मंदिरों में मूर्तियां खंडित हैं, जिस वजह से वहां पूजा नहीं होती है. वहीं लोगों का मानना है कि मतंगेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. हालांकि भूगर्भ शास्त्री ऐसी किसी भी बात को मानने से इंकार करते हैं.

matangeshwar temple
अनोखा शिव मंदिर

18 फीट ऊंची शिवलिंग

इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की एक बड़ी सी शिवलिंग मौजूद है. साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरा मंदिर जहां भक्त दर्शन करने जाते हैं वह योनि पर बना हुआ है. कहते हैं भगवान शिव की शिवलिंग 18 फीट है जो कि 9 फीट ऊपर दिखाई देती है और 9 फीट जमीन के नीचे है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की नीचे मरकत मणि है और यही वजह है कि इस शिवलिंग को छू लेने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

matangeshwar temple
अनूठी शिवलिंग

मणि पर स्थापित है शिवलिंग
पुरानी कथाओं की मानें तो इस मंदिर के नीचे एक मरकत मणि है जो कि सभी मनोकामनाओं को पूरी करता है. ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई भक्त इस शिवलिंग को छूकर कोई मनोकामना करता है तो वह अवश्य ही पूरी होती है. खजुराहो मंदिरों में गाइड का काम करने वाले श्यामलाल बताते हैं कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसकी योनि इतनी बड़ी है कि उसी पर बैठकर सब लोग पूजा करते हैं.

क्यों है मतंगेश्वर नाम

पुजारी प्रदीप गौतम बताते हैं कि उनका परिवार पीढ़ियों से यहां पूजा कर रहा है. ऐसा माना जाता है कि जो मरकत मणि मंदिर में मौजूद है, वो मणि मतंग ऋषि ने राजा हर्षवर्धन को दी थी. वहीं यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती. यही वजह है कि इसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. रोज शाम 6 बजे यहां भगवान शिव की भव्य आरती की जाती है और अन्य त्योहारों में यहां पर भगवान शिव को विशेष तैयार कर उनकी महाआरती होती है. शिवरात्रि के दिन इस मंदिर की छटा निराली होती है. देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते हैं.

सोने की कील ठोक किया सीमित

पुजारी प्रदीप गौतम ने बताया कि इस शिवलिंग के पीछे एक और किवदंती है. ऐसा माना जाता है कि हर साल यह शिवलिंग एक इंच बढ़ती है, वहीं लगातार शिवलिंग बढ़ने की वजह से शिवलिंग के ऊपर सोने की एक कील ठोक दी गई जिससे ये शिवलिंग आगे ना बढ़े और मंदिर में ही सीमित रह जाए.

होती है हर मनोकामना पूरी

स्थानीय निवासी नरेंद्र कुमार द्विवेदी बताते हैं कि वह पिछले सात से आठ सालों से लगातार मतंगेश्वर मंदिर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां मांगी हुई उनकी हर एक मनोकामना पूरी हुई है. वे कहते हैं यहां जो भी आकर सच्चे मन से प्रार्थना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

नहीं है कोई प्रमाण

मतंगेश्वर मंदिर के बारे में प्रचलित किवदंतियों के बारे में भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर प्रदीप जैन का कहना है कि शिवलिंग के बढ़ने और शिवलिंग की नीचे मरकत मणि होने का ऐसा कोई प्रमाण नहीं है. ना तो आज तक शिवलिंग को इससे पहले मापा गया है और ना ही इस प्रकार की कोई घटना का जिक्र किया गया है.

हालांकि भले ही विज्ञान इन तमाम बातों को न माने, लेकिन कहते हैं जहां लोगों की आस्था होती है वहां विज्ञान भी झुक जाता है. मतंगेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल लाखों लोग आते हैं और सभी की मनोकामना पूरी होती है. हजारों साल बीत जाने के बाद भी मंदिर की चमक और उसकी बनावट जस की तस बनी हुई है.

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