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मदर्स डे: एक महिला ऐसी भी, पूरा जीवन और कमाई बेजुबानों पर समर्पित

बुरहानपुर जिले के नेपानगर में रहने वालीं रिटायर्ड शिक्षिका रागिनी सिन्हा जो बीते 20 सालों से घर में करीब दर्जनों कुत्ते, बिल्ली, गिलहरी, बंदर समेत कई बेजुबान जानवरों की देखभाल करती हैं.

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एक महिला ऐसी भी
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Published : May 10, 2020, 11:27 AM IST

Updated : May 10, 2020, 4:23 PM IST

बुरहानपुर। आज 10 मई 2020 है और आज का ये दिन मदर्स डे का दिन है. हमारे देश में मां और बच्चों के बीच का प्यार दुनिया का सबसे बड़ा प्यार होता है. लेकिन हम अब आपको एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बेजुबान जनवरों से बे-इन्तेहाँ प्यार करती हैं. इन्होंने बेजुबान आवारा जानवरों की सेवा में न सिर्फ अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. बल्कि इन पर पूरी कमाई भी न्यौछावर कर दी है.

एक महिला ऐसी भी

इस मां का ये काम वाकई किसी आश्चर्य से कम नहीं है. दरअसल हम बात कर रहे हैं बुरहानपुर जिले के नेपानगर में रहने रिटायर्ड शिक्षिका रागिनी सिन्हा की जो बीते 20 सालों से उन पुरुषों के लिए भी मिसाल बनी हुई हैं जो महिलाओं को आज भी कमतर आंकते हैं, रागिनी सिन्हा के घर में करीब दर्जनों कुत्ते, बिल्ली, गिलहरी, बंदर समेत कई बेजुबान जानवरों की फौज रहती है, रागिनी को देखकर इन जानवरों के हाव-भाव बदल जाते हैं, और रागिनी भी बच्चों की तरह इन्हें प्रेम करती हैं, इनकी हर जरूरत का ध्यान रखती हैं, समय पर दाना, पानी देती हैं.

इन बेजुबान जानवरों से उनके प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हादसों में गंभीर रूप से घायल कई आवारा कुत्तों को लेकर वे अपने बच्चों की तरह करीब 600 किलोमीटर दूर जबलपुर तक इलाज कराने जा पहुंची थी. दरअसल रागिनी सिन्हा को ये सभी जानवर गंभीर रूप से बीमार या घायल हालत मिले थे, लेकिन इन्होंने इन सभी को पकड़कर और बेहतर देखभाल के साथ एक नया जीवन दे दिया है.

रागिनी बताती हैं कि उनको इन बेजुबान जानवरों से लगाव करीब 20 साल पहले एक घायल गिलहरी के इलाज से शुरू हुई थी. इसके बाद यह सिलसिला तेजी से चल पड़ा, और अब तो पूरे क्षेत्र में ये दोनों बहने पशु प्रेमी मैडम के नाम से मशहूर हो चुकी है और नगरवासियों को जो भी जानवर घायल, लावारिस हालत मिलता है, वो इनके पास पहुंचा देते हैं.

लिहाजा जीवन के आखिरी पड़ाव में रागिनी सिन्हा और उनकी बहन ने शायद इसी वजह से शादी भी नहीं की है. जीवन के अंतिम पड़ाव में उनका बस एक ही सपना है कि किसी तरह सरकारी जमीन मिल जाए, जिसमें ऐसे आवारा और जानवरों के लिए पशु चिकित्सालय बना सके.

बुरहानपुर। आज 10 मई 2020 है और आज का ये दिन मदर्स डे का दिन है. हमारे देश में मां और बच्चों के बीच का प्यार दुनिया का सबसे बड़ा प्यार होता है. लेकिन हम अब आपको एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बेजुबान जनवरों से बे-इन्तेहाँ प्यार करती हैं. इन्होंने बेजुबान आवारा जानवरों की सेवा में न सिर्फ अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. बल्कि इन पर पूरी कमाई भी न्यौछावर कर दी है.

एक महिला ऐसी भी

इस मां का ये काम वाकई किसी आश्चर्य से कम नहीं है. दरअसल हम बात कर रहे हैं बुरहानपुर जिले के नेपानगर में रहने रिटायर्ड शिक्षिका रागिनी सिन्हा की जो बीते 20 सालों से उन पुरुषों के लिए भी मिसाल बनी हुई हैं जो महिलाओं को आज भी कमतर आंकते हैं, रागिनी सिन्हा के घर में करीब दर्जनों कुत्ते, बिल्ली, गिलहरी, बंदर समेत कई बेजुबान जानवरों की फौज रहती है, रागिनी को देखकर इन जानवरों के हाव-भाव बदल जाते हैं, और रागिनी भी बच्चों की तरह इन्हें प्रेम करती हैं, इनकी हर जरूरत का ध्यान रखती हैं, समय पर दाना, पानी देती हैं.

इन बेजुबान जानवरों से उनके प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हादसों में गंभीर रूप से घायल कई आवारा कुत्तों को लेकर वे अपने बच्चों की तरह करीब 600 किलोमीटर दूर जबलपुर तक इलाज कराने जा पहुंची थी. दरअसल रागिनी सिन्हा को ये सभी जानवर गंभीर रूप से बीमार या घायल हालत मिले थे, लेकिन इन्होंने इन सभी को पकड़कर और बेहतर देखभाल के साथ एक नया जीवन दे दिया है.

रागिनी बताती हैं कि उनको इन बेजुबान जानवरों से लगाव करीब 20 साल पहले एक घायल गिलहरी के इलाज से शुरू हुई थी. इसके बाद यह सिलसिला तेजी से चल पड़ा, और अब तो पूरे क्षेत्र में ये दोनों बहने पशु प्रेमी मैडम के नाम से मशहूर हो चुकी है और नगरवासियों को जो भी जानवर घायल, लावारिस हालत मिलता है, वो इनके पास पहुंचा देते हैं.

लिहाजा जीवन के आखिरी पड़ाव में रागिनी सिन्हा और उनकी बहन ने शायद इसी वजह से शादी भी नहीं की है. जीवन के अंतिम पड़ाव में उनका बस एक ही सपना है कि किसी तरह सरकारी जमीन मिल जाए, जिसमें ऐसे आवारा और जानवरों के लिए पशु चिकित्सालय बना सके.

Last Updated : May 10, 2020, 4:23 PM IST
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