भोपाल। यूपीएससी (UPSC) के एग्जाम में देशभर में सेकंड रैंक हासिल करने वाली जागृति अवस्थी (jagriti awasthi) एक मध्यम वर्गीय परिवार (middle class family) से संबंध रखती हैं. जागृति कहती हैं कि बचपन में उनका सपना डॉक्टर और इंजीनियर बनने का था, लेकिन बीएचईएल (bhel) में सर्विस के दौरान एक बड़े अधिकारी को देखकर उन्होंने जाना कि किस तरह से दूसरों की सेवा और काम करते हैं. इस दौरान उन्होंने भी आगे बढ़ने की ठान ली. आइए बताते हैं महिला वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कुमारी जागृति से जुड़ी कुछ अनसुनी कहानियों के बारे में...
एक मध्यम परिवार से बिलॉन्ग करती हैं जागृति
भोपाल की जागृति अवस्थी की कई अनसुनी कहानियां है. ईटीवी भारत ने भी जागृति की कहानियां को समझने की कोशिश की. जब हम उनके घर पहुंचे और देखा कि एक मध्यम वर्ग के परिवार की बेटी ने किस तरह से कमाल कर यह मुकाम हासिल किया है. हमें इस दौरान जागृति खुद ही घर का काम करती नजर आई. जागृति बताती हैं कि वह भी घर का हर काम करती हैं, लेकिन पढ़ाई के दौरान सिर्फ उन्होंने काम से दूरी बनाई. जागृति के घर में ज्यादा सामान नहीं है, जो एक सामान्य घर में होता है, वहीं सामान यहां भी नजर आया. दरअसल, जागृति को इन चीजों का शौक भी नहीं है, वह एक साधारण जीवन जीने में विश्वास करती हैं. हां घर के अलमारी और कबर्ड उपलब्धियों के भरे इनामों से जरूर पटी पड़ी हैं. जागृति कहती हैं कि उनका जीवन भी सामान्य जीवन रहा और उन्होंने सिर्फ मेहनत कर इस मुकाम को हासिल किया है.
क्या था जागृति का सपना
आम लोगों की तरह ही जागृति का भी सपना बचपन से सिर्फ एक सरकारी नौकरी पाने का था, वह चाहती थी कि शुरुआती दौर में डॉक्टर या इंजीनियर बन जाएं. लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करें. ऐसे में धीरे-धीरे जब उनकों लगा कि इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं, तो उन्होंने इस मुकाम को चुना.
कब आया जीवन में परिवर्तन
जागृति के जीवन में परिवर्तन तब आया जब वह बीएचईएल (Bhel) में 2 साल पहले नौकरी कर रही थीं. उस दौरान एक अधिकारी वहां पर आए और वह हर छोटे-बड़े कर्मचारी से ऐसे बात कर रहे थे, जैसे वह उनके घर के ही हों. अधिकारी के इस व्यवहार को देखकर जागृति ने भी मन ही मन समाज सेवा करने की ठान ली, और इसके लिए उन्होंने यूपीएसी का चुनाव किया. इसके बात जागृति ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी, और मन लगाकर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. हालांकि, कई बार मन में नकारात्मक ख्याल भी आए, जैसे कि अगर सिलेक्शन नहीं हुआ तो क्या होगा. लोग किस तरह की बात करेंगे. समाज क्या कहेगा. जोकि हर तैयारी करने वाले छात्र के मन में आते हैं, लेकिन जागृति ने इन नकारात्मक विचारों को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया, उन्होंने पूरे विश्वास के साथ अपनी तैयारी जारी रखी.
किस क्षेत्र में काम करना चाहती हैं जागृति
अब जब एमपी की बिटिया का यूपीएससी में सिलेक्शन हो गया है तो जागृति की इच्छा है कि उनको रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने का मौका मिले. उन्होंने इसके लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को अपनी लिस्ट में शामिल किया है. उनका कहना है कि यूपी में भी जाकर वह बेहतर काम कर पाएंगी.
ब्यूरोक्रेसी को लेकर जागृति का क्या कहना है
ब्यूरोक्रेसी को लेकर जागृति के विचार है कि हर जगह कहीं ना कहीं करप्शन और तमाम चीजें तो होती हैं. यह तंत्र का हिस्सा है, लेकिन उसको खत्म करना बेहद जरूरी है. वह खुद भी कहती हैं कि वह इस दिशा में हर संभव सुधार की पूरी कोशिश करेंगी, ताकि इसको कम किया जा सके.
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यूपीएससी की तैयारी करने वालों के लिए
यूपीएससी की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए जागृति कहती हैं कि, वह कभी भी अपना हौसले को कम न होने दें. तैयारी के दौरान निराश हो सकती है, नकारात्मक विचार आ सकते हैं, लेकिन कभी भी उनकों अपने ऊपर हावी न होनें दें. पूरी मेहनत और लगन के साथ इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ते रहे. निश्चित ही आपको एक दिन सफलता मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इंसान की कोशिशों, परिश्रम और मेहनत पर निर्भर करता है कि वो कितना सफल और कितना असफल हो सकता है.