भोपाल। उत्तर प्रदेश में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरण और चुनावी प्रबंधन संभालने के लिए पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भेजे जा रहे हैं. मप्र की सीमा से लगे यूपी के 15 जिलों में पूर्णकालिक कार्यकर्ता चुनावी मोर्चा संभालेंगे. इन जिलों में 61 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में मप्र से कार्यकर्ता भेजे गए थे, ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड अंचल में मप्र के करीब डेढ़ दर्जन जिले ऐसे हैं, जोकि सांस्कृतिक और सियासी तौर पर उप्र से प्रभावित रहते हैं. यहां का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना भी यूपी से मेल खाता है. इन जिलों में करीब 200 पूर्णकालिक और मैदानी कार्यकर्ताओं भेजने का फैसला पार्टी ने किया है, दिसंबर के अंत तक हर जिले में 2 प्रभारी और हर विधानसभा स्तर पर 2 पूर्णकालिक कार्यकर्ता तैनात कर दिए जाएंगे, ये सभी कार्यकर्ता जिला और नेताओं का फीडबैक देंगे.
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चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देती है BJP-RSS
राज्य में चुनावी ड्यूटी के पहले इन मैदानी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा संगठन कामकाज की ट्रेनिंग (RSS-BJP training for election managers) भी देता है, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में मालवा, ग्वालियर और बुंदेलखंड संभाग के नेता-कार्यकर्ता भेजे गए थे. इस बार यूपी के मिर्जापुर, सोनभद्र, उरई और मऊरानीपुर सहित कई अन्य जिलों में भी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई जाएगी.
यूपी विधानसभा चुनाव का प्रबंधन देखेंगे एमपी के भाजपाई
भाजपा का कहना है कि चुनाव प्रचार अभियान के लिए बड़े नेताओं को बाद में भेजा जाएगा, अभी जाने वाले कार्यकर्ता मूलतः चुनावी प्रबंधन और समन्वय का काम देखेंगे. स्थानीय और प्रांतीय नेताओं को ये सभी कार्यकर्ता फीडबैक और चुनावी परिदृश्य के संदर्भ में हर दिन की रिपोर्ट सौंपेंगे. पिछले विधानसभा और लोकसभा में चुनाव मप्र से वरिष्ठ नेताओं में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया सहित बुंदेलखंड व ग्वालियर-चंबल अंचल के नेताओं की ड्यूटी लगाई गई थी.
बंगाल चुनाव में भी लगी थी मप्र के कार्यकर्ताओं की ड्यूटी
कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में घूमने-प्रवास करने के लिए गाड़ी के अलावा संचार सुविधा और ठहरने की व्यवस्था (UP assembly election management) जिला इकाई की ओर से उपलब्ध कराई जाती है, पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगले पखवाड़े तक पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सूची बनाकर उन्हें उनके प्रभार वाले जिलों और विधानसभा क्षेत्रों का आवंटन कर दिया जाएगा, चुनाव होने तक ये कार्यकर्ता यूपी में ही रहेंगे.