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शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस जारी, 1 जून को मुख्यमंत्री जाएंगे दिल्ली - Union Minister Narendra Singh Tomar

शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार पर अब नई तारीख सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि अब 2 जून को मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी. 1 जून को मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगे और लौटने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल लालजी टंडन से नए मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने का आग्रह करेंगे.

Suspense continues regarding Shivraj's cabinet expansion
शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस जारी
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Published : May 31, 2020, 3:31 PM IST

भोपाल। प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अब तक ठीक से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार सियासी खींचतान और दांवपेच का दौर चल रहा है. सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक लगातार राजधानी में बने हुए हैं और प्रत्येक दिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं, ताकि उन्हें जल्द से जल्द मंत्री बनाया जा सके. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी मंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार में तारीख पर तारीख

हालांकि पिछले दो माह से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तारीख पर तारीख की दी जा रही हैं. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई तक नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाने की बात कही थी, लेकिन अब नई तारीख 2 जून बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि 1 जून को मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगे और लौटने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल लालजी टंडन से नए मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने का आग्रह करेंगे.

ग्वालियर-चंबल की चुनौती

वहीं दूसरी ओर नए चेहरों के नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पा रही है. समीकरण ऐसे बन गए हैं, जिसे सुलझाना भी बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ग्वालियर-चंबल में जहां पार्टी को 16 सीटों पर उपचुनाव का सामना करना है. कई समीकरण कमोवेश हर संभाग में दिखाई दे रहे हैं, कुछ जिलों में सियासी और जातीय समीकरण बिगड़ता दिख रहा है, सीएम इन सभी मुद्दों पर संघ और बीजेपी के संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकर बातचीत कर चुके हैं. अब दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा.

सिंधिया समर्थकों के विभागों पर मंथन

बताया जा रहा है कि सिंधिया खेमे से पूर्व मंत्री इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभु राम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम मंत्री बनाए जाने में सबसे आगे शामिल किया गया है, इसके अलावा बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, इंदल सिंह कंसाना और रणवीर जाटव भी शिवराज कैबिनेट में संभावित चेहरे हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को उनके मनपसंद विभाग दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, क्योंकि कमलनाथ सरकार के दौरान इन पूर्व मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था. जिसमें तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को जगह दी गई थी, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को किसी महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री नहीं बनाया गया है. यही वजह है कि सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक अभी से महत्वपूर्ण विभाग लेने की जुगत में जुट गए हैं.

इन नामों को लेकर पार्टी पर दबाव

वहीं दूसरी ओर बीजेपी के द्वारा जबलपुर से अशोक रोहाणी का नाम मंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया गया है. वही अजय विश्नोई भी क्षेत्र से प्रबल दावेदार हैं, बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन की जगह पार्टी अब नई पीढ़ी के रामकिशोर कांवरे को देना चाहती है. दोनों ही ओबीसी वर्ग से आते हैं. उज्जैन संभाग से पारस जैन की जगह जैन वर्ग से ही चैतन्य कश्यप का नाम पार्टी की ओर से बढ़ाया गया है, वहीं इंदौर से उषा ठाकुर और रमेश मेंदोला के नाम पर जमकर खींचतान चल रही है. विवाद नहीं सुलझा तो मालिनी गौड़ के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी. नए चेहरों में भोपाल से संगठन के द्वारा विष्णु खत्री का नाम बढ़ाया जा रहा है, लेकिन संघ और अन्य दिग्गजों ने रामेश्वर शर्मा की सिफारिश भी की है. रीवा संभाग से ओबीसी राम खिलावन पटेल और आदिवासी कुंवर सिंह टेकाम के नाम संगठन ने आगे बढ़ाएं हैं, लेकिन केदार शुक्ला और गिरीश गौतम की दावेदारी को लेकर भी लगातार पार्टी के ऊपर दबाव बना हुआ है.

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सामने आएगी नेताओं की नाराजगी

हाल की शिवराज सरकार के ऊपर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार दबाव बना हुआ है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी फिर से मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं, तो वहीं दो बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके विधायक भी लगातार मंत्री बनाए जाने को लेकर कतार में खड़े हुए हैं.

वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी परेशानी उन 22 पूर्व विधायकों को संतुष्ट करना है जिनके कारण बीजेपी सत्ता तक पहुंची है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख लगातार बढ़ती जा रही है. बीजेपी संगठन लगातार सिंधिया समर्थक इन 22 विधायकों के साथ समन्वय बिठाने की कोशिश में जुटा हुआ है.

हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जितनी बेचैनी बीजेपी के अंदर दिखाई दे रही है. उससे कहीं ज्यादा उत्सुकता कांग्रेस में भी दिखाई दे रही है. कांग्रेस भी मंत्रिमंडल विस्तार पर नजर बनाए हुए हैं. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कई नेता खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी को विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है.

भोपाल। प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अब तक ठीक से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार सियासी खींचतान और दांवपेच का दौर चल रहा है. सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक लगातार राजधानी में बने हुए हैं और प्रत्येक दिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं, ताकि उन्हें जल्द से जल्द मंत्री बनाया जा सके. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी मंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार में तारीख पर तारीख

हालांकि पिछले दो माह से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तारीख पर तारीख की दी जा रही हैं. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई तक नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाने की बात कही थी, लेकिन अब नई तारीख 2 जून बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि 1 जून को मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगे और लौटने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल लालजी टंडन से नए मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने का आग्रह करेंगे.

ग्वालियर-चंबल की चुनौती

वहीं दूसरी ओर नए चेहरों के नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पा रही है. समीकरण ऐसे बन गए हैं, जिसे सुलझाना भी बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ग्वालियर-चंबल में जहां पार्टी को 16 सीटों पर उपचुनाव का सामना करना है. कई समीकरण कमोवेश हर संभाग में दिखाई दे रहे हैं, कुछ जिलों में सियासी और जातीय समीकरण बिगड़ता दिख रहा है, सीएम इन सभी मुद्दों पर संघ और बीजेपी के संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकर बातचीत कर चुके हैं. अब दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा.

सिंधिया समर्थकों के विभागों पर मंथन

बताया जा रहा है कि सिंधिया खेमे से पूर्व मंत्री इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभु राम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम मंत्री बनाए जाने में सबसे आगे शामिल किया गया है, इसके अलावा बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, इंदल सिंह कंसाना और रणवीर जाटव भी शिवराज कैबिनेट में संभावित चेहरे हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को उनके मनपसंद विभाग दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, क्योंकि कमलनाथ सरकार के दौरान इन पूर्व मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था. जिसमें तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को जगह दी गई थी, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को किसी महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री नहीं बनाया गया है. यही वजह है कि सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक अभी से महत्वपूर्ण विभाग लेने की जुगत में जुट गए हैं.

इन नामों को लेकर पार्टी पर दबाव

वहीं दूसरी ओर बीजेपी के द्वारा जबलपुर से अशोक रोहाणी का नाम मंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया गया है. वही अजय विश्नोई भी क्षेत्र से प्रबल दावेदार हैं, बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन की जगह पार्टी अब नई पीढ़ी के रामकिशोर कांवरे को देना चाहती है. दोनों ही ओबीसी वर्ग से आते हैं. उज्जैन संभाग से पारस जैन की जगह जैन वर्ग से ही चैतन्य कश्यप का नाम पार्टी की ओर से बढ़ाया गया है, वहीं इंदौर से उषा ठाकुर और रमेश मेंदोला के नाम पर जमकर खींचतान चल रही है. विवाद नहीं सुलझा तो मालिनी गौड़ के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी. नए चेहरों में भोपाल से संगठन के द्वारा विष्णु खत्री का नाम बढ़ाया जा रहा है, लेकिन संघ और अन्य दिग्गजों ने रामेश्वर शर्मा की सिफारिश भी की है. रीवा संभाग से ओबीसी राम खिलावन पटेल और आदिवासी कुंवर सिंह टेकाम के नाम संगठन ने आगे बढ़ाएं हैं, लेकिन केदार शुक्ला और गिरीश गौतम की दावेदारी को लेकर भी लगातार पार्टी के ऊपर दबाव बना हुआ है.

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सामने आएगी नेताओं की नाराजगी

हाल की शिवराज सरकार के ऊपर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार दबाव बना हुआ है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी फिर से मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं, तो वहीं दो बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके विधायक भी लगातार मंत्री बनाए जाने को लेकर कतार में खड़े हुए हैं.

वहीं सरकार के सामने सबसे बड़ी परेशानी उन 22 पूर्व विधायकों को संतुष्ट करना है जिनके कारण बीजेपी सत्ता तक पहुंची है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख लगातार बढ़ती जा रही है. बीजेपी संगठन लगातार सिंधिया समर्थक इन 22 विधायकों के साथ समन्वय बिठाने की कोशिश में जुटा हुआ है.

हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जितनी बेचैनी बीजेपी के अंदर दिखाई दे रही है. उससे कहीं ज्यादा उत्सुकता कांग्रेस में भी दिखाई दे रही है. कांग्रेस भी मंत्रिमंडल विस्तार पर नजर बनाए हुए हैं. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कई नेता खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी को विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है.

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