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14 गैर विधायकों को मंत्री बनाने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में 14 गैर-विधायकों को मंत्री बनाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.

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Published : Oct 6, 2020, 5:00 PM IST

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली/भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में 14 गैर-विधायकों को मंत्री बनाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. याचिका वकील अराधना भार्गव ने दायर की है.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील विपिन नायर ने कोर्ट से कहा कि, कांग्रेस से बीजेपी आए विधायकों की अयोग्यता की अर्ज़ी स्पीकर के पास लंबित थी. उन्हें मंत्री बना दिया गया. तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा.

बता दें कि, पिछले 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर से ये बताने का निर्देश दिया था कि, वो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल 22 विधायकों की अयोग्यता पर कब तक फैसला करेंगे. इस पर मध्यप्रदेश के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि, 10 और 15 मार्च को 22 तत्कालीन कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर 12 जून को तत्कालीन प्रोटेम स्पीकर ने फैसला कर दिया है. प्रोटेम स्पीकर का फैसला सुप्रीम कोर्ट के तीन महीने के अंदर फैसला करने के अनुरुप था.

नई दिल्ली/भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में 14 गैर-विधायकों को मंत्री बनाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. याचिका वकील अराधना भार्गव ने दायर की है.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील विपिन नायर ने कोर्ट से कहा कि, कांग्रेस से बीजेपी आए विधायकों की अयोग्यता की अर्ज़ी स्पीकर के पास लंबित थी. उन्हें मंत्री बना दिया गया. तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा.

बता दें कि, पिछले 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर से ये बताने का निर्देश दिया था कि, वो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल 22 विधायकों की अयोग्यता पर कब तक फैसला करेंगे. इस पर मध्यप्रदेश के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि, 10 और 15 मार्च को 22 तत्कालीन कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर 12 जून को तत्कालीन प्रोटेम स्पीकर ने फैसला कर दिया है. प्रोटेम स्पीकर का फैसला सुप्रीम कोर्ट के तीन महीने के अंदर फैसला करने के अनुरुप था.

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