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इतिहास के पन्नों से... 'दोस्त' ने बसाया था भोपाल, मोहम्मद खान ने बचाई थी रानी कमलापति की जान

हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम रानी कमलापति के नाम पर होने के बाद भोपाल की अंतिम हिंदू और गोंड शासक रानी कमलापति (Gond Ruler Queen Kamalapati) और भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) का नाम चर्चा में आया है. आइए जानते है इन दोनों नामों से जुड़ा इतिहास...

Mohammad Khan had saved life of Rani Kamalapati
मोहम्मद खान ने बचाई थी रानी कमलापति की जान
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Published : Nov 18, 2021, 10:57 PM IST

भोपाल। भोपाल के वर्ल्ड क्लास हबीबगंज रेलवे स्टेशन (World Class Habibganj Railway Station) का नाम रानी कमलापति रेल्वे स्टेशन (Rani Kamalapati Railway Station) किए जाने के साथ ही इतिहास के पन्नों में दफन हो चुके दो किरदार फिर जीवंत हो उठे हैं. एक हैं भोपाल की अंतिम हिंदू और गोंड शासक रानी कमलापति (Gond Ruler Queen Kamalapati) और भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan).

इतिहास में वर्णित है कि मोहम्मद खान अपनी पत्नी फतेह बीबी (Fateh Bibi) से बेहद प्रेम करते थे. भोपाल को रियासत बनाने के साथ ही उन्होंने फतेह बीबी के नाम से फतेहगढ़ का किला (Fatehgarh Fort) बनाया था. दोस्त मोहम्मद की मृत्यु के बाद उन्हें इसी महल में दफनाया गया. फतेहगढ़ किला का नामोनिशान भले ही न बचा हो, लेकिन दोस्त मोहम्मद खान की मजार आज भी मौजूद है.

मोहम्मद खान ने बचाई थी रानी कमलापति की जान

कौन था दोस्त मोहम्मद खान?

इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पता चलता है कि दोस्त मोहम्मद खान एक पश्तूनी रईस थे, जो मौजूदा पाकिस्तान के कबायली क्षेत्र माना जाता है. शुरूआत में वह औंरगजेब के शास्त्रागार में रक्षक के रूप में भर्ती हुआ. कुछ ही समय में बाद औरंगजेब का भरोसेमंद बन गया. औरंगजेब की मृत्यु के बाद वह अपने 5000 पठानों के साथ मिलकर भाड़े पर छोटी रियासतों को सुरक्षा देने का काम करने लगा.

इसी दौरान मंगलगढ़ मालवा में एक छोटे राजपूत रियासत राजा आनंद सिंह सोलंकी ने दोस्त मोहम्मद खान को अपनी एक अन्य रियासत की संपत्ति की जिम्मेदारी सौंपी थी. इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी कुंवर सरदार बाई की दोस्त मोहम्मद से शादी कर दी. दोस्त मोहम्मद ने अपनी खुद की सामंती संपत्ति बनाने के लिए बैरसिया को 30 हजार अशर्फी सालाना भुगतान पर पट्टे पर लिया था. बाद में उन्होंने इस पर कब्जा कर लिया.

Tomb of Dost Mohammad Khan
दोस्त मोहम्मद खान की कब्र

जिस दोस्त मोहम्मद खान के चरित्र पर छिड़ा है विवाद! रानी कमलापति ने उससे ही लगाई थी मदद की गुहार

दोस्त मोहम्मद ने की थी रानी कमलापति की मदद

इतिहासकार रिजवान अंसारी बताते हैं कि स्थानीय गोंड सरदारों में उस समय सबसे मजबूत निजाम शाह (Nizam Shah) माने जाते थे. उनका शासन गिन्नोर गढ़ वर्तमान सीहोर जिला था. चौधरी किरपा रामचंद्र (Chaudhary Kirpa Ramachandra) की बेटी रानी कमलापति निजाम शाह की 7 पत्नियों में से एक थी. निजाम शाह को उनके भतीजे ने जहर दिया था, क्योंकि वह रानी कमलापति से शादी करना चाहता था.

रानी कमलापति ने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद खान को मदद के लिए कहा था. इसके बदले में रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपए देने का वादा किया था. दोस्त मोहम्मद खान की मदद से रानी कमलापति निजाम शाह के भतीजे से जीत गई. रानी के पास देने के लिए एक लाख रुपए नहीं थे, इसलिए उन्होंने आधी राशि दी और बाकी के बदले भोपाल में एक गांव दिया था.

दगाबाज या वफादार! पठान दोस्त मोहम्मद खान का जानें इतिहास, जिस पर छिड़ा है संग्राम

भोपाल में बनवाया फतेहगढ़ का किला

दोस्त मोहम्मद खान ने अपनी राजधानी इस्लाम नगर से अपनी राज्य पर शासन किया. बाद में उन्होंने पत्नी फतेह बीबी के लिए भोपाल में फतेहगढ़ किले का निर्माण कराया. इसकी नींव 30 अगस्त 1723 को रखी गई थी. बाद में दोस्त मोहम्मद खान और उनके परिवार ने धीरे-धीरे भोपाल को अपने मुख्य गढ़ के रूप में बदल दिया. 1728 में बीमारी के चलते दोस्त मोहम्मद खान की मृत्यु हो गई, जिन्हें फतेहगढ़ किले में ही दफनाया गया.

भोपाल। भोपाल के वर्ल्ड क्लास हबीबगंज रेलवे स्टेशन (World Class Habibganj Railway Station) का नाम रानी कमलापति रेल्वे स्टेशन (Rani Kamalapati Railway Station) किए जाने के साथ ही इतिहास के पन्नों में दफन हो चुके दो किरदार फिर जीवंत हो उठे हैं. एक हैं भोपाल की अंतिम हिंदू और गोंड शासक रानी कमलापति (Gond Ruler Queen Kamalapati) और भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan).

इतिहास में वर्णित है कि मोहम्मद खान अपनी पत्नी फतेह बीबी (Fateh Bibi) से बेहद प्रेम करते थे. भोपाल को रियासत बनाने के साथ ही उन्होंने फतेह बीबी के नाम से फतेहगढ़ का किला (Fatehgarh Fort) बनाया था. दोस्त मोहम्मद की मृत्यु के बाद उन्हें इसी महल में दफनाया गया. फतेहगढ़ किला का नामोनिशान भले ही न बचा हो, लेकिन दोस्त मोहम्मद खान की मजार आज भी मौजूद है.

मोहम्मद खान ने बचाई थी रानी कमलापति की जान

कौन था दोस्त मोहम्मद खान?

इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पता चलता है कि दोस्त मोहम्मद खान एक पश्तूनी रईस थे, जो मौजूदा पाकिस्तान के कबायली क्षेत्र माना जाता है. शुरूआत में वह औंरगजेब के शास्त्रागार में रक्षक के रूप में भर्ती हुआ. कुछ ही समय में बाद औरंगजेब का भरोसेमंद बन गया. औरंगजेब की मृत्यु के बाद वह अपने 5000 पठानों के साथ मिलकर भाड़े पर छोटी रियासतों को सुरक्षा देने का काम करने लगा.

इसी दौरान मंगलगढ़ मालवा में एक छोटे राजपूत रियासत राजा आनंद सिंह सोलंकी ने दोस्त मोहम्मद खान को अपनी एक अन्य रियासत की संपत्ति की जिम्मेदारी सौंपी थी. इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी कुंवर सरदार बाई की दोस्त मोहम्मद से शादी कर दी. दोस्त मोहम्मद ने अपनी खुद की सामंती संपत्ति बनाने के लिए बैरसिया को 30 हजार अशर्फी सालाना भुगतान पर पट्टे पर लिया था. बाद में उन्होंने इस पर कब्जा कर लिया.

Tomb of Dost Mohammad Khan
दोस्त मोहम्मद खान की कब्र

जिस दोस्त मोहम्मद खान के चरित्र पर छिड़ा है विवाद! रानी कमलापति ने उससे ही लगाई थी मदद की गुहार

दोस्त मोहम्मद ने की थी रानी कमलापति की मदद

इतिहासकार रिजवान अंसारी बताते हैं कि स्थानीय गोंड सरदारों में उस समय सबसे मजबूत निजाम शाह (Nizam Shah) माने जाते थे. उनका शासन गिन्नोर गढ़ वर्तमान सीहोर जिला था. चौधरी किरपा रामचंद्र (Chaudhary Kirpa Ramachandra) की बेटी रानी कमलापति निजाम शाह की 7 पत्नियों में से एक थी. निजाम शाह को उनके भतीजे ने जहर दिया था, क्योंकि वह रानी कमलापति से शादी करना चाहता था.

रानी कमलापति ने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद खान को मदद के लिए कहा था. इसके बदले में रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपए देने का वादा किया था. दोस्त मोहम्मद खान की मदद से रानी कमलापति निजाम शाह के भतीजे से जीत गई. रानी के पास देने के लिए एक लाख रुपए नहीं थे, इसलिए उन्होंने आधी राशि दी और बाकी के बदले भोपाल में एक गांव दिया था.

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भोपाल में बनवाया फतेहगढ़ का किला

दोस्त मोहम्मद खान ने अपनी राजधानी इस्लाम नगर से अपनी राज्य पर शासन किया. बाद में उन्होंने पत्नी फतेह बीबी के लिए भोपाल में फतेहगढ़ किले का निर्माण कराया. इसकी नींव 30 अगस्त 1723 को रखी गई थी. बाद में दोस्त मोहम्मद खान और उनके परिवार ने धीरे-धीरे भोपाल को अपने मुख्य गढ़ के रूप में बदल दिया. 1728 में बीमारी के चलते दोस्त मोहम्मद खान की मृत्यु हो गई, जिन्हें फतेहगढ़ किले में ही दफनाया गया.

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