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मध्य प्रदेश में सक्रिय राजनीति के लिए सपा-बसपा बनती जा रहीं सीढ़ी - राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया

मध्य प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण है, जहां पर लोग बीएसपी और समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टियों को सीढ़ी की तरह उपयोग कर भाजपा या कांग्रेस की राजनीति करने लग जाते हैं.

SP and BSP is becoming a ladder for active politics and career in the madhya pradesh
सपा-बसपा बनती जा रहीं सीढ़ी
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Published : Dec 5, 2020, 8:11 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 11:15 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में राजनीति की मुख्य धारा में आने के लिए अक्सर युवा नेता बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य छोटी पार्टियों को सीढ़ी बनाकर अपना राजनीतिक करियर बनाते हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ने के बाद अगला पड़ाव इन नेताओं का मध्य प्रदेश की दो प्रमुख राजनीति भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस होती है, और इन पार्टियों में शामिल होकर यह नेता अपना राजनीतिक करियर बनाते हैं.

मध्य प्रदेश में सक्रिय राजनीति के लिए सपा-बसपा बनती जा रहीं सीढ़ी

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को सीढ़ी की तरह उपयोग करते हैं नेता !

मध्य प्रदेश में कई नेता ऐसे हैं, जिन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में आने के लिए बहुजन समाज पार्टी और समाज पार्टी का सहारा लिया और इन पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतरने के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का दामन थामने के लिए तैयार है, जिनमें कांग्रेस विधायक आरिफ अकील, बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी, पूर्व विधायक अर्जुन पलिया के अलावा इस दौड़ में विधायक संजीव कुशवाहा, राजेश शुक्ला बबलू , राम बाई शामिल हैं.

भोपाल से कद्दावर नेता और विधायक आरिफ अकील

सबसे पहले बात करें भोपाल के कद्दावर नेता और विधायक आरिफ अकील की जिन्होंने 1993 में जनता दल से चुनाव लड़ा और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए, जिसके बाद से लगातार उत्तर सीट से वह अपने राजनीतिक सफर कर रहे हैं, और भोपाल उत्तर सीट पर कब्जा कर रखा है, आरिफ दिग्विजय सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे थे और कमलनाथ सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे.

मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी

मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने साल 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था. उसके बाद कांग्रेस में शामिल होकर चुनावी मैदान में ताल ठोकी. हालांकि 2008 का चुनाव हारने के बाद 2013 में एक बार फिर चुनाव जीतकर विधायक बने. लेकिन इस्तीफा देकर 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए और तब से बीजेपी में स्थायित्व की तलाश में नारायण त्रिपाठी पार्टी के साथ काम कर रहे हैं.

बिजावर से युवा नेता बने विधायक

बिजावर से युवा नेता राजेश शुक्ला ने भी समाजवादी पार्टी से राजनीति में अपना करियर बनाया है. विधायक बनने के बाद राजेश शुक्ला ने अपना समर्थन कमलनाथ सरकार को दिया था. हालांकि सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजेश शुक्ला ने अपनी राजनीतिक थाह के लिए भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और तब से भारतीय जनता पार्टी के साथ ही हैं. यही नहीं शुक्ला ने पार्टी की गाइड लाइन से अलग जाकर फिर बीजेपी को अपना वोट दिया था ऐसे में यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में राजेश शुक्ला भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम ली विधानसभा चुनाव के मैदान में नजर आएंगे.

भिंड से बीएसपी से विधायक बने संजीव कुशवाहा

भिंड विधानसभा से अपना राजनीतिक कैरियर बनाने वाले युवा नेता संजीव सिंह कुशवाहा है. संजीव कुशवाहा पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और और सत्ता के साथ सफर तय करने के लिए संजीव कुशवाहा बीजेपी के साथ हो गए. सत्ता परिवर्तन के दौरान संजीव सिंह कुशवाहा भारतीय जनता पार्टी के साथ नजर आए. और तबसे कुशवाहा का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को है.

पथरिया विधायक राम बाई का बीजेपी की तरफ झुकाव

पथरिया विधायक राम बाई बहुजन समाज पार्टी से राजनीति में आई हैं. और विधायक बनने के बाद राम बाई का झुकाव कांग्रेस की तरफ था क्योंकि उस समय प्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी. हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद राम बाई ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. और अब राम बाई का झुकाओ भारतीय जनता पार्टी की तरफ हो रहा है राम बाई ने खुले तौर पर ऐलान किया था कि वह भारतीय जनता पार्टी से अगला चुनाव लड़ना चाहती हैं. और जब पार्टी का आदेश होगा वह बीजेपी में शामिल हो जाएंगी.

नेताओं के इस तरीके से राजनीति में सक्रिय होने को लेकर बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोन कासर का कहना है कि विचारधारा के आधार पर नेता पार्टी के प्रति समर्पित होते हैं और बीजेपी एक पार्टी है इसलिए लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं और हम अपनी विचारधारा के अनुसार ही उनका पार्टी में स्वागत करते हैं.

मध्यप्रदेश की प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस में ज्यादातर नेता अपना भविष्य तलाशते हैं. इसको लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कई बार युवा नेता सक्षम होते हैं. क्षेत्र में जनता में उनकी पकड़ मजबूत होती है. उनके चहेते होते हैं ऐसे में कहीं ना कहीं उन्हें प्लेटफार्म नहीं मिल पाता. शायद यही वजह है कि बीएसपी, सपा और अन्य पार्टी से चुनाव की राजनीति में भागीदारी निभाते हैं.

राजनीति में बेहतर करियर बनाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि मध्य प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण है, जहां पर लोग बीएसपी और समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टियों को सीढ़ी की तरह उपयोग कर भाजपा या कांग्रेस की राजनीति करने लग जाते हैं.

भोपाल: मध्यप्रदेश में राजनीति की मुख्य धारा में आने के लिए अक्सर युवा नेता बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य छोटी पार्टियों को सीढ़ी बनाकर अपना राजनीतिक करियर बनाते हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ने के बाद अगला पड़ाव इन नेताओं का मध्य प्रदेश की दो प्रमुख राजनीति भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस होती है, और इन पार्टियों में शामिल होकर यह नेता अपना राजनीतिक करियर बनाते हैं.

मध्य प्रदेश में सक्रिय राजनीति के लिए सपा-बसपा बनती जा रहीं सीढ़ी

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को सीढ़ी की तरह उपयोग करते हैं नेता !

मध्य प्रदेश में कई नेता ऐसे हैं, जिन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में आने के लिए बहुजन समाज पार्टी और समाज पार्टी का सहारा लिया और इन पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतरने के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का दामन थामने के लिए तैयार है, जिनमें कांग्रेस विधायक आरिफ अकील, बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी, पूर्व विधायक अर्जुन पलिया के अलावा इस दौड़ में विधायक संजीव कुशवाहा, राजेश शुक्ला बबलू , राम बाई शामिल हैं.

भोपाल से कद्दावर नेता और विधायक आरिफ अकील

सबसे पहले बात करें भोपाल के कद्दावर नेता और विधायक आरिफ अकील की जिन्होंने 1993 में जनता दल से चुनाव लड़ा और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए, जिसके बाद से लगातार उत्तर सीट से वह अपने राजनीतिक सफर कर रहे हैं, और भोपाल उत्तर सीट पर कब्जा कर रखा है, आरिफ दिग्विजय सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे थे और कमलनाथ सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे.

मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी

मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने साल 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था. उसके बाद कांग्रेस में शामिल होकर चुनावी मैदान में ताल ठोकी. हालांकि 2008 का चुनाव हारने के बाद 2013 में एक बार फिर चुनाव जीतकर विधायक बने. लेकिन इस्तीफा देकर 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए और तब से बीजेपी में स्थायित्व की तलाश में नारायण त्रिपाठी पार्टी के साथ काम कर रहे हैं.

बिजावर से युवा नेता बने विधायक

बिजावर से युवा नेता राजेश शुक्ला ने भी समाजवादी पार्टी से राजनीति में अपना करियर बनाया है. विधायक बनने के बाद राजेश शुक्ला ने अपना समर्थन कमलनाथ सरकार को दिया था. हालांकि सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजेश शुक्ला ने अपनी राजनीतिक थाह के लिए भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और तब से भारतीय जनता पार्टी के साथ ही हैं. यही नहीं शुक्ला ने पार्टी की गाइड लाइन से अलग जाकर फिर बीजेपी को अपना वोट दिया था ऐसे में यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में राजेश शुक्ला भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम ली विधानसभा चुनाव के मैदान में नजर आएंगे.

भिंड से बीएसपी से विधायक बने संजीव कुशवाहा

भिंड विधानसभा से अपना राजनीतिक कैरियर बनाने वाले युवा नेता संजीव सिंह कुशवाहा है. संजीव कुशवाहा पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और और सत्ता के साथ सफर तय करने के लिए संजीव कुशवाहा बीजेपी के साथ हो गए. सत्ता परिवर्तन के दौरान संजीव सिंह कुशवाहा भारतीय जनता पार्टी के साथ नजर आए. और तबसे कुशवाहा का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को है.

पथरिया विधायक राम बाई का बीजेपी की तरफ झुकाव

पथरिया विधायक राम बाई बहुजन समाज पार्टी से राजनीति में आई हैं. और विधायक बनने के बाद राम बाई का झुकाव कांग्रेस की तरफ था क्योंकि उस समय प्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी. हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद राम बाई ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. और अब राम बाई का झुकाओ भारतीय जनता पार्टी की तरफ हो रहा है राम बाई ने खुले तौर पर ऐलान किया था कि वह भारतीय जनता पार्टी से अगला चुनाव लड़ना चाहती हैं. और जब पार्टी का आदेश होगा वह बीजेपी में शामिल हो जाएंगी.

नेताओं के इस तरीके से राजनीति में सक्रिय होने को लेकर बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोन कासर का कहना है कि विचारधारा के आधार पर नेता पार्टी के प्रति समर्पित होते हैं और बीजेपी एक पार्टी है इसलिए लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं और हम अपनी विचारधारा के अनुसार ही उनका पार्टी में स्वागत करते हैं.

मध्यप्रदेश की प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस में ज्यादातर नेता अपना भविष्य तलाशते हैं. इसको लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कई बार युवा नेता सक्षम होते हैं. क्षेत्र में जनता में उनकी पकड़ मजबूत होती है. उनके चहेते होते हैं ऐसे में कहीं ना कहीं उन्हें प्लेटफार्म नहीं मिल पाता. शायद यही वजह है कि बीएसपी, सपा और अन्य पार्टी से चुनाव की राजनीति में भागीदारी निभाते हैं.

राजनीति में बेहतर करियर बनाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि मध्य प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण है, जहां पर लोग बीएसपी और समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टियों को सीढ़ी की तरह उपयोग कर भाजपा या कांग्रेस की राजनीति करने लग जाते हैं.

Last Updated : Dec 5, 2020, 11:15 PM IST
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