दिल्ली/भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. इस दौरान सीएम ने तोमर से मध्य प्रदेश को बासमती चावल का Geographical indicator-GI ( भौगोलिक संकेतक) टैग दिलाने के संबंध में चर्चा की. इससे पहले मुख्यमंत्री ने प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग की सूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
-
आज नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री @nstomar जी से भेंटकर मध्य प्रदेश के बासमती चावल के #GI टैग के संबंध में अनुरोध किया। pic.twitter.com/BBfhFzlYPb
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 6, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">आज नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री @nstomar जी से भेंटकर मध्य प्रदेश के बासमती चावल के #GI टैग के संबंध में अनुरोध किया। pic.twitter.com/BBfhFzlYPb
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 6, 2020आज नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री @nstomar जी से भेंटकर मध्य प्रदेश के बासमती चावल के #GI टैग के संबंध में अनुरोध किया। pic.twitter.com/BBfhFzlYPb
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 6, 2020
मिली जानकारी के मुताबिक मद्रास उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को राज्य में उत्पादित बासमती चावल को जीआई टैग सूची से बाहर कर दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है. बता दें कि, प्रदेश के बासमती चावल के जीआई टैग की सूची में शामिल होने के बाद किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.
क्या होता है जीआई टैग
- किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को जियोग्रॉफिल इंडीकेशन टैग (जीआई टैग) से खास पहचान मिलती है. इससे पहले मध्यप्रदेश के अशोकनगर की चंदेरी की साड़ी को जीआई टैग मिल चुका है.
- जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसके अलग पहचान का सबूत है.
- जीआई टैग से तात्पर्य उन क्षेत्रों को चिह्नित करने से है, जहां बासमती की परंपरागत तौर पर खेती होती है. यहां के चावल की खुशबू और चावल की लंबाई अपने आप में अनोखी होती है. वहीं चावल का स्वाद भी अनूठा होता है. इसका ट्रेडमार्क और पेटेंट किया जाता है.