भोपाल। शिवराज सरकार ने पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलटते हुए मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को दी गई पांच फीसदी महंगाई भत्ते की सौगात के निर्णय पर रोक लगा दी है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इस फैसले का विरोध करते हुए इसे शिवराज सरकार की कर्मचारी विरोधी सोच बताया है. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से तत्काल इस फैसले को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि अगर फैसला वापस नहीं लिया तो कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी.
कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा है कि हमारी सरकार ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की मांग को पूरा करते हुए उनके हित में एक ऐतिहासिक फैसला लिया था. हमने शासकीय सेवकों व स्थाई कर्मियों के महंगाई भत्ते में 1 जुलाई 2019 से वृद्धि कर इसे छठवें वेतनमान में 164 प्रतिशत और सातवें वेतनमान में 17 प्रतिशत तक किया था. इसका नकद भुगतान मार्च 2020 के वेतन से किये जाने का निर्णय कर्मचारी हित में लिया था. जिसका स्वागत लाखों कर्मचारियों ने किया था.लेकिन शिवराज सरकार ने आते ही इस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर अपनी कर्मचारी विरोधी सोच को उजागर कर दिया है.
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हमने शासकीय सेवको व स्थाई कर्मियों के महंगाई भत्ते में 1 जुलाई 2019 से वृद्धि कर इसे छठवें वेतनमान में 164 प्रतिशत व सातवें वेतनमान में 17 प्रतिशत महंगाई भत्ते की दर निर्धारित कर , इसका नगद भुगतान मार्च 2020 के वेतन से किये जाने का निर्णय कर्मचारी हित में लिया था।
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— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 3, 2020
2/4हमने शासकीय सेवको व स्थाई कर्मियों के महंगाई भत्ते में 1 जुलाई 2019 से वृद्धि कर इसे छठवें वेतनमान में 164 प्रतिशत व सातवें वेतनमान में 17 प्रतिशत महंगाई भत्ते की दर निर्धारित कर , इसका नगद भुगतान मार्च 2020 के वेतन से किये जाने का निर्णय कर्मचारी हित में लिया था।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 3, 2020
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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा की 'मैं शिवराज सरकार से मांग करता हूं कि वो तत्काल इस रोक को हटाएं और कर्मचारियों के हित के हमारी सरकार द्वारा लिये गये इस फैसले को अविलंब लागू करें अन्यथा कांग्रेस इस तानाशाही पूर्ण निर्णय का विरोध करेगी.
वहीं इस मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा की शिवराज सरकार ने प्रमाणित किया है कि वह छोटे कर्मचारी-अधिकारियों की विरोधी है, उनको किसी भी तरह की कोई भी मदद नहीं देना चाहती है. जिस तरह इस आदेश को स्थगित किया गया है, यह निंदनीय है. आज जहां कोरोना वायरस के संकट के समय कदम उठाते हुए हर वर्ग को आर्थिक पैकेज दिए जा रहे हैं. ऐसे समय में कर्मचारियों के डीए को रोका जाना निश्चित ही निंदनीय है.