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अनुसूचित जाति-जनजाति को बीजेपी के करीब लाने की कोशिश में दिग्गजों का महामंथन

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Published : Jun 26, 2021, 10:03 AM IST

बीजेपी में एससी-एसटी वर्ग की भागीदारी को लेकर महामंथन का दौर चल रहा है. पिछले विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और जनजाति का भरोसा गवां चुकी बीजेपी अब दोनों वर्गों में पैठ बढ़ाने के लिए भोपाल में महामंथन में जुटी है.

SC-ST Morcha meeting
एससी-एसटी मोर्चा की बैठक

भोपाल। बीजेपी मुख्यालय में अनुसूचित जाति मोर्चा के विधायक और सांसद समेत तमाम बड़े नेताओं की बैठक हुई. प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों के बीच गिरती बीजेपी की साख पर चिंतन किया. बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, सुहास भगत हितानंद शर्मा, नरोत्तम मिश्रा समेत कई बड़े नेता शामिल हुए.

एससी-एसटी (SC-ST) में कैसे बढ़ाई जाए पैठ?
इस बैठक में बीजेपी ने प्रदेश की अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी तक पैठ बढ़ाने की रणनीति बनाई है. इसके लिए बीजेपी जल्द प्रदेश भर में एक बड़ा अभियान चलाएगी. आपको बता दें कि बीजेपी को एससी-एसटी वर्ग से बीजेपी को लेकर निगेटिव फीडबैक की खबरें मिली थीं. जिसके बाद बीजेपी ने यह चिंतन बैठक बुलाई थी.

6 घन्टे पार्टी के दिग्गजों का चिंतन
बीजेपी में एससी-एसटी वर्ग की आबादी को लेकर महामंथन का दौर चल रहा है. पिछले विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और जनजाति का भरोसा गवां चुकी बीजेपी अब दोनों वर्गों में पैठ बढ़ाने के लिए भोपाल में महामंथन में जुटी है.

क्या कहते हैं आंकड़े?, 2013 बनाम 2018

2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अनुसूचित जाति की 11 सीटों का नुकसान हुआ. तो वही आदिवासी वर्ग की भी एक सीट गंवानी पड़ी. वहीं कांग्रेस के पाले में पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में एससी के 11 विधायक बढ़ गये. वहीं एसटी वर्ग की 15 की तुलना में 16 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. यही वजह है कि अब भाजपा इन दोनों वर्गों के सर्वांगीण विकास का दावा कर रही है.

एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की कोशिश
निचले स्तर तक योजनाओं को ले जाने का वादा

बीजेपी से एससी-एसटी के छिटकने के क्या हैं कारण?

  • सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ न मिलना
  • विपक्ष का प्रचार
  • भीम आर्मी का बढ़ता दबदबा
  • नेताओं के साथ प्रशासन की बेरूखी

एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की बीजेपी कर रही पुरजोर कोशिश
बीजेपी केन्द्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का फायदा दिलाने के बहाने एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.मप्र में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 23 फीसदी है. जबकि यहां अनूसूचित जनजाति वर्ग के 21 फीसदी लोग निवास करते हैं. पिछले कुछ सालों में दोनों ही वर्गों का विश्वास बीजेपी पर कमज़ोर हुआ है. अब बीजेपी इन दोनो ही वर्गों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कवायद में जुट गई है.

एससी-एसटी वर्ग दे सकता है दूरगामी राजनीतिक लाभ

इससे पहले बीजेपी की कार्यसमिति में तीन अहम प्रस्ताव पास किए गए थे. इन प्रस्तावों में सबसे अहम था पार्टी की तरफ से लाया गया राजनीतिक प्रस्ताव. कार्यसमिति की बैठक में पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से कार्यकर्ताओं को जो संदेश दिया गया उसमें 2023 को लेकर पार्टी चिंता साफ दिखाई दी थी. 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है और उसके ठीक अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होना है. चुनावी चिंता को लेकर कार्यसमिति की बैठक में यह साफ संकेत दिया गया था कि मजबूत संगठन ही पार्टी को सत्ता का रास्ता दिखाएगा. जिसके लिए मंडल से लेकर बूथ तक को मजबूत करने पर जोर दिया गया था.

भोपाल। बीजेपी मुख्यालय में अनुसूचित जाति मोर्चा के विधायक और सांसद समेत तमाम बड़े नेताओं की बैठक हुई. प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों के बीच गिरती बीजेपी की साख पर चिंतन किया. बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, सुहास भगत हितानंद शर्मा, नरोत्तम मिश्रा समेत कई बड़े नेता शामिल हुए.

एससी-एसटी (SC-ST) में कैसे बढ़ाई जाए पैठ?
इस बैठक में बीजेपी ने प्रदेश की अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी तक पैठ बढ़ाने की रणनीति बनाई है. इसके लिए बीजेपी जल्द प्रदेश भर में एक बड़ा अभियान चलाएगी. आपको बता दें कि बीजेपी को एससी-एसटी वर्ग से बीजेपी को लेकर निगेटिव फीडबैक की खबरें मिली थीं. जिसके बाद बीजेपी ने यह चिंतन बैठक बुलाई थी.

6 घन्टे पार्टी के दिग्गजों का चिंतन
बीजेपी में एससी-एसटी वर्ग की आबादी को लेकर महामंथन का दौर चल रहा है. पिछले विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति और जनजाति का भरोसा गवां चुकी बीजेपी अब दोनों वर्गों में पैठ बढ़ाने के लिए भोपाल में महामंथन में जुटी है.

क्या कहते हैं आंकड़े?, 2013 बनाम 2018

2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अनुसूचित जाति की 11 सीटों का नुकसान हुआ. तो वही आदिवासी वर्ग की भी एक सीट गंवानी पड़ी. वहीं कांग्रेस के पाले में पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में एससी के 11 विधायक बढ़ गये. वहीं एसटी वर्ग की 15 की तुलना में 16 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. यही वजह है कि अब भाजपा इन दोनों वर्गों के सर्वांगीण विकास का दावा कर रही है.

एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की कोशिश
निचले स्तर तक योजनाओं को ले जाने का वादा

बीजेपी से एससी-एसटी के छिटकने के क्या हैं कारण?

  • सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ न मिलना
  • विपक्ष का प्रचार
  • भीम आर्मी का बढ़ता दबदबा
  • नेताओं के साथ प्रशासन की बेरूखी

एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की बीजेपी कर रही पुरजोर कोशिश
बीजेपी केन्द्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का फायदा दिलाने के बहाने एससी-एसटी वर्ग को लुभाने की पुरजोर कोशिश कर रही है.मप्र में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 23 फीसदी है. जबकि यहां अनूसूचित जनजाति वर्ग के 21 फीसदी लोग निवास करते हैं. पिछले कुछ सालों में दोनों ही वर्गों का विश्वास बीजेपी पर कमज़ोर हुआ है. अब बीजेपी इन दोनो ही वर्गों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कवायद में जुट गई है.

एससी-एसटी वर्ग दे सकता है दूरगामी राजनीतिक लाभ

इससे पहले बीजेपी की कार्यसमिति में तीन अहम प्रस्ताव पास किए गए थे. इन प्रस्तावों में सबसे अहम था पार्टी की तरफ से लाया गया राजनीतिक प्रस्ताव. कार्यसमिति की बैठक में पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से कार्यकर्ताओं को जो संदेश दिया गया उसमें 2023 को लेकर पार्टी चिंता साफ दिखाई दी थी. 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है और उसके ठीक अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होना है. चुनावी चिंता को लेकर कार्यसमिति की बैठक में यह साफ संकेत दिया गया था कि मजबूत संगठन ही पार्टी को सत्ता का रास्ता दिखाएगा. जिसके लिए मंडल से लेकर बूथ तक को मजबूत करने पर जोर दिया गया था.

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