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प्लास्टिक के खिलाफ सरिता तीन दशक से लड़ रहीं जंग, देश-विदेश में फैला रहीं जागरूकता का संदेश

मंडला जिले की सरिता अग्निहोत्री तीन दशकों से प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं. देश से लेकर विदेश तक उन्होंने न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, बल्कि इसके खिलाफ वो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं.

Sarita aganihotri is making people aware against plastic
प्लास्टिक के खिलाफ सरिता तीन दशक से लड़ रहीं जंग
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Published : Dec 11, 2019, 10:56 PM IST

Updated : Dec 12, 2019, 8:38 AM IST

मण्डला। जिले में रहने वाली सरिता अग्निहोत्री तब से प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं, जब इसके खतरे का किसी को अंदाजा भी नहीं था. देश से लेकर विदेश तक उन्होंने न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, बल्कि इसके खिलाफ वो हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं. जिसका नतीजा ये हुआ कि प्लास्टिक यूज करने के रूल्स और रेग्युलेशन भी बने.

प्लास्टिक के खिलाफ सरिता तीन दशक से लड़ रहीं जंग

प्लास्टिक से जल, जंगल और जमीन की रक्षा का संकल्प

मण्डला जिले की सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण विद, प्यूपिल फार एनिमल संस्था की पूर्व अध्यक्ष बीते 30 सालों से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए है. सरिता ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई के दिनों में जब उनका नेपाल जाना हुआ और उन्होंने प्लास्टिक के पाउच में प्रसाद के साथ ही प्लास्टिक से फैलने वाली गंदगी देखी तो ये सोच लिया कि भारत में ये न हो और उन्होंने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई का आगाज कर दिया. इसी दौरान गोटेगांव में एक हाथी की मौत हुई जिसके पेट के भीतर बड़ी मात्रा में प्लास्टिक भरा था जो आरी की मदद से काट कर निकाला गया, लेकिन ये प्लास्टिक उस हाथी की मौत का कारण बना. इस हादसे के बाद सरिता अग्निहोत्री ने ठान लिया कि प्लास्टिक के खतरे से जल, जंगल और जमीन के साथ ही जीव-जंतुओं को बचाने जिस भी हद तक जाना पड़े, वो जाएंगी.

सरिता का जागरुकता अभियान

जिला हो प्रदेश हो अन्य प्रदेश या फिर पूरा देश हर जगह जहां भी सरिता को जाने का मौका मिला, उन्होंने हर जगह प्लास्टिक के थैले के बजाय कागज या कपड़े के थैले की वकालत की. वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव बताते हुए स्कूलों-कॉलेज और हर मंच से जनता को जागरूक करने का प्रयास किया. सरिता की ये यात्रा भारत से निकल कर न्यूजीलैंड, दुबई और न जाने कितने देशों तक पहुंची, जहां सरिता ने प्लास्टिक के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाया. सरिता का कहना है कि सरकार और न्यायपालिका ने नियम कानून तो बना दिए हैं, लेकिन समाज का हर व्यक्ति जब तक नहीं चाहेगा, तब तक प्लास्टिक हमारा दुश्मन बना रहेगा. इसके खतरे से आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा.

ईटीवी भारत के द्वारा चलाई जा रही प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम का समर्थन और इसकी तरीफ करते हुए सरिता अग्निहोत्री ने कहा कि वो ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ हैं और जिस तरह का भी सहयोग हो सकता है वो इस मुहिम को लेकर जरूर करेंगी. सरिता अग्निहोत्री को अब तक दर्जनों अवार्ड भी मिल चुके हैं.

सरिता के अवार्ड-

  • सन 1999 महिष्मति सम्मान संस्कृति,सामाजिक पर्यावरण हेतु
  • 2003 wwf द्वारा पर्यावरण क्षेत्र के पुरस्कार 2003 नर्मदा अलंकार
  • 2003 अखिल भारतीय दिव्य सम्मान सामाजिक कार्य पॉलिथीन के खिलाफ
  • 2003 डिस्ट्रिक्ट ऑफ द ईयर महिलाओं के उत्थान जागरुकता हेतू
  • 2004 अभियंता दिवस पर सम्मान
  • 2005 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में नेहरू युवा केंद्र द्वारा सम्मानित
  • 2005 ज्ञानयुग दिवस सम्मान महर्षि महेश योगी सामाजिक एवं पर्यावरण हेतु
  • 2005 लेडी फॉर इनवायरमेंट जनपरिषद द्वारा 2006 आयुर्वेदिक एवं एक्यूप्रेशर द्वारा स्वस्थ सुधार पर
  • 2007 मोस्ट आउटस्टैंडिंग पर्सनालिटी-जनपरिषद, पर्यावरण और समाज सुधार
  • 2007 काव्य सम्मान,कविता के माध्यम से सर्जनात्मक गतिविधियों के लिए

मण्डला। जिले में रहने वाली सरिता अग्निहोत्री तब से प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं, जब इसके खतरे का किसी को अंदाजा भी नहीं था. देश से लेकर विदेश तक उन्होंने न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, बल्कि इसके खिलाफ वो हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं. जिसका नतीजा ये हुआ कि प्लास्टिक यूज करने के रूल्स और रेग्युलेशन भी बने.

प्लास्टिक के खिलाफ सरिता तीन दशक से लड़ रहीं जंग

प्लास्टिक से जल, जंगल और जमीन की रक्षा का संकल्प

मण्डला जिले की सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण विद, प्यूपिल फार एनिमल संस्था की पूर्व अध्यक्ष बीते 30 सालों से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए है. सरिता ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई के दिनों में जब उनका नेपाल जाना हुआ और उन्होंने प्लास्टिक के पाउच में प्रसाद के साथ ही प्लास्टिक से फैलने वाली गंदगी देखी तो ये सोच लिया कि भारत में ये न हो और उन्होंने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई का आगाज कर दिया. इसी दौरान गोटेगांव में एक हाथी की मौत हुई जिसके पेट के भीतर बड़ी मात्रा में प्लास्टिक भरा था जो आरी की मदद से काट कर निकाला गया, लेकिन ये प्लास्टिक उस हाथी की मौत का कारण बना. इस हादसे के बाद सरिता अग्निहोत्री ने ठान लिया कि प्लास्टिक के खतरे से जल, जंगल और जमीन के साथ ही जीव-जंतुओं को बचाने जिस भी हद तक जाना पड़े, वो जाएंगी.

सरिता का जागरुकता अभियान

जिला हो प्रदेश हो अन्य प्रदेश या फिर पूरा देश हर जगह जहां भी सरिता को जाने का मौका मिला, उन्होंने हर जगह प्लास्टिक के थैले के बजाय कागज या कपड़े के थैले की वकालत की. वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव बताते हुए स्कूलों-कॉलेज और हर मंच से जनता को जागरूक करने का प्रयास किया. सरिता की ये यात्रा भारत से निकल कर न्यूजीलैंड, दुबई और न जाने कितने देशों तक पहुंची, जहां सरिता ने प्लास्टिक के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाया. सरिता का कहना है कि सरकार और न्यायपालिका ने नियम कानून तो बना दिए हैं, लेकिन समाज का हर व्यक्ति जब तक नहीं चाहेगा, तब तक प्लास्टिक हमारा दुश्मन बना रहेगा. इसके खतरे से आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा.

ईटीवी भारत के द्वारा चलाई जा रही प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम का समर्थन और इसकी तरीफ करते हुए सरिता अग्निहोत्री ने कहा कि वो ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ हैं और जिस तरह का भी सहयोग हो सकता है वो इस मुहिम को लेकर जरूर करेंगी. सरिता अग्निहोत्री को अब तक दर्जनों अवार्ड भी मिल चुके हैं.

सरिता के अवार्ड-

  • सन 1999 महिष्मति सम्मान संस्कृति,सामाजिक पर्यावरण हेतु
  • 2003 wwf द्वारा पर्यावरण क्षेत्र के पुरस्कार 2003 नर्मदा अलंकार
  • 2003 अखिल भारतीय दिव्य सम्मान सामाजिक कार्य पॉलिथीन के खिलाफ
  • 2003 डिस्ट्रिक्ट ऑफ द ईयर महिलाओं के उत्थान जागरुकता हेतू
  • 2004 अभियंता दिवस पर सम्मान
  • 2005 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में नेहरू युवा केंद्र द्वारा सम्मानित
  • 2005 ज्ञानयुग दिवस सम्मान महर्षि महेश योगी सामाजिक एवं पर्यावरण हेतु
  • 2005 लेडी फॉर इनवायरमेंट जनपरिषद द्वारा 2006 आयुर्वेदिक एवं एक्यूप्रेशर द्वारा स्वस्थ सुधार पर
  • 2007 मोस्ट आउटस्टैंडिंग पर्सनालिटी-जनपरिषद, पर्यावरण और समाज सुधार
  • 2007 काव्य सम्मान,कविता के माध्यम से सर्जनात्मक गतिविधियों के लिए
Intro:मण्डला में रहने वाली सरिता अग्निहोत्री तब से प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं जब इसके खतरे का किसी को अंदाजा भी नहीं था, देश से लेकर विदेश तक इन्होंने न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया बल्कि इसके खिलाफ हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम तक पहुँच गईं जिसका नतीजा ये हुआ हुआ कि रूल्स और रेग्युलेशन भी बने।


Body:मण्डला जिले की सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण विद,प्यूपिल फार एनिमल संस्था की पूर्वअध्यक्ष बीते 30 सालों से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं जिनके अनुसार कॉलेज की पढ़ाई के दिनों में जब उनका नेपाल जाना हुआ और उन्होंने प्लास्टिक के पाउच में प्रसाद के साथ ही पालस्टिक से फैलने वाली गंदगी देखी तो यह सोच लिया कि भारत मे यह न हो और उन्होनें प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई का आगाज कर दिया इसी दौरान गोटेगांव में एक हाथी की मौत हुई जिसके पेट के भीतर बड़ी मात्रा में प्लास्टिक भरा था जो आरी की मदद से काट कर निकाला गया लेकिन यह पालस्टिक उस हाथी की मौत का कारण बना जिसके बाद तो सरिता अग्निहोत्री ने ठान लिया कि प्लास्टिक के खतरे से जल,जंगल और जमीन के साथ ही जीव जंतुओं को बचाने जिस भी हद तक जाना पड़े लेकिन प्लास्टिक का पीछा वो छोड़ने वाली नहीं और यही वजह थी कि सरिता ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका तक दायर कर दी सरिता वर्सेस मध्यप्रदेश शासन के आपेक्षित परिणाम भी आए और माननीय उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक को लेकर रूल्स और रेग्युलेशन भी तय किये यह लड़ाई यहीं नहीं थमी,जिला हो प्रदेश हो अन्य प्रदेश या फिर पूरा देश हर जगह जहाँ भी सरिता को जाने का मौका मिला हर जगह इन्होंने प्लास्टिक के थैले को बजाय काग़ज़ या कपड़े के थैले को वकालत की वहीं सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभाव बताते हुए स्कूलों कॉलेज और हर मंच से जनता को जागरूक करने का प्रयास किया यह यात्रा भारत से निकल कर न्यूजीलैंड, दुबई और न जाने कितने देशों तक पहुँची जहाँ सरिता ने प्लास्टिक के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाया,सरिता का कहना है कि सरकार और न्यायपालिका ने नियम कानून तो बना दिये हैं लेकिन समाज का हर व्यक्ति जब तक नहीं चाहेगा प्लास्टिक हमारा दुश्मन बना रहेगा इसके खतरे से आने वाली पीढ़ी को बचाने अब हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा।


Conclusion:ईटीवी भारत के द्वारा चलाई जा रही प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम का समर्थन और इसकी तरीफ करते हुए सरिता अग्निहोत्री ने कहा कि वे ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ हैं और जिस तरह का भी सहयोग हो सकता है वे इस मुहिम को लेकर जरूर जरूर देंगीं इसके लिए ईटीवी भारत की पूरी टीम बधाई की पात्र है।सरिता अग्निहोत्री को अब तक दर्जनों अवार्ड भी उनके किये गए कार्यो को लेकर मिल चुके हैं।

अवार्ड--

सन 1999 महिष्मति सम्मान संस्कृति,सामाजिक पर्यावरण हेतु
2003 wwf द्वारा पर्यावरण क्षेत्र के पुरस्कार 2003 नर्मदा अलंकार
2003 अखिल भारतीय दिव्य सम्मान सामाजिक कार्य पॉलिथीन के खिलाफ
2003 डिस्ट्रिक्ट ऑफ द ईयर महिलाओं के उत्थान जागरुकता हेतू
2004 अभियंता दिवस पर सम्मान
2005 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस में नेहरू युवा केंद्र द्वारा सम्मानित
2005 ज्ञानयुग दिवस सम्मान महर्षि महेश योगी सामाजिक एवं पर्यावरण हेतु
2005 लेडी फ़ॉर इनवायरमेंट जनपरिषद द्वारा 2006 आयुर्वेदिक एवं एक्यूप्रेशर द्वारा स्वस्थ सुधार पर
2007 मोस्ट आउटस्टैंडिंग पर्सनालिटी-जनपरिषद, पर्यावरण और समाज सुधार
2007 काव्य सम्मान,कविता के माध्यम से सर्जनात्मक गतिविधियों के लिए


1--टू--1 सरिता अग्निहोत्री, मयंक तिवारी
Last Updated : Dec 12, 2019, 8:38 AM IST
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