ETV Bharat / state

मंदिरों में 4-5 अगस्त को रामधुन-सुंदरकाण्ड का होगा पाठ, ओरछा में भी खास हलचल - bhopal news

5 अगस्त को अयोध्या में पीएम मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे, जिसके चलते मध्यप्रदेश के शासकीय मंदिरों में रामधुन और सुंदरकाण्ड का आयोजन किया जाएगा.

Ramraja Temple Orchha
रामराजा मंदिर ओरछा
author img

By

Published : Aug 4, 2020, 8:15 AM IST

Updated : Aug 4, 2020, 9:39 AM IST

भोपाल। राज्य शासन ने शासकीय देवस्थान और मंदिरों में 4 एवं 5 अगस्त 2020 को कोरोना संक्रमण से सावधानी और संबंधित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए रामधुन और सुंदरकाण्ड के आयोजन की अनुमति दी है. श्रीराम जन्मभूमि पूजन कार्यक्रम के अवसर पर शासकीय देवस्थान एवं मंदिरों द्वारा अनुमति मांगी गई थी.

उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की शिला रखे जाने के साथ नए युग की शुरुआत करने को आतुर है तो वहीं बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा में भी खासी हलचल है. इस मौके पर रामराजा मंदिर की विशेष तौर पर साज-सज्जा की गई है. मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं.

बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा वह नगरी है जिसका अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता है. यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं, यही कारण है कि चार बार होने वाली आरती के समय उन्हें पुलिस जवानों द्वारा सलामी दी जाती है. कहा तो यहां तक जाता है कि श्रद्धालु राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं. प्रसाद के तौर पर भोग के साथ पान का बीड़ा, इत्र की बाती (इत्र से भीगी हुई रूई का फाहा) भी श्रद्धालुओं को दी जाती है.

उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि ओरछा राजवंश के राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे और उनकी पत्नी कुंअर गणेश राम भक्त. दोनों में इसको लेकर तर्क-वितर्क जारी रहता था. मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने को कहा तो रानी ने अयोध्या जाने की बात कही. इस पर राजा ने व्यंग्य में कहा कि "अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लेकर आओ."

कहा जाता है कि कुंअर गणेश ओरछा से अयोध्या गईं और 21 दिन तक उन्होंने तप किया, मगर राम जी प्रकट नहीं हुए तो उन्हें निराशा हुई और वह सरयू नदी में कूद गईं, तभी उनकी गोद में राम जी आ गए. कुंअर गणेश ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया. इस पर भगवान राम ने उनके सामने तीन शर्त रखीं. ओरछा में राजा के तौर पर विराजित होंगे, जहां एक बार बैठ जाएंगे तो फिर वहां से उठेंगे नहीं और सिर्फ पुण्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही ओरछा जाएंगे. रानी ने तीनों शर्तें मानीं.

कुंअर गणेश अपने आराध्य राम को लेकर जब अयोध्या से ओरछा पहुंची तब भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा था, इस स्थिति में रानी ने राम जी को राजनिवास की रसोई में बैठा दिया, फिर वहां से राम जी अपनी शर्त के मुताबिक उठे नहीं. फिर रसोई को ही मंदिर में बदल दिया गया. यहां राजा राम के तौर पर हैं, यही कारण है कि कोई भी नेता, मंत्री या अधिकारी ओरछा की चाहरदीवारी क्षेत्र में जलती हुई बत्ती वाली गाड़ी से नहीं आते और उन्हें सलामी भी नहीं दी जाती है. यहां सिर्फ रामजी को ही सलामी दी जाती है. राम ओरछा में राजा हैं, दिन में तो वह यहां रहते हैं लेकिन शयन करने के लिए अयोध्या जाते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि "रामराजा सरकार के दो निवास है खास, दिवस ओरछा रहत है रैन अयोध्या वास."

अयोध्या में राम मंदिर की आधार शिला रखने के मौके पर ओरछा के रामराजा मंदिर को भी भव्य रूप दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, "राम राजा की जय! ओरछा में श्री रामराजा विराजते हैं, यह ही राजा हैं प्रदेश के. चार व पांच अगस्त को रामराजा मंदिर को विशेष रूप से सजाया जायेगा और पुजारीगण द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी. कोरोना संक्रमण न फैले, इसके लिए सभी ओरछावासी घर पर ही रहकर रामराजा की आराधना कर दीपोत्सव मनाएं."

शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास का वक्त चित्रकूट में व्यतीत किया है. भगवान श्रीराम और भरत का मिलाप भी यहीं हुआ था. कामदगिरी पर्वत, सीतापुर, हनुमानधारा, कामतानाथ मंदिर यहां के प्रमुख स्थल हैं. राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर चित्रकूट में भी खास आयोजन किए जाएंगे.

भोपाल। राज्य शासन ने शासकीय देवस्थान और मंदिरों में 4 एवं 5 अगस्त 2020 को कोरोना संक्रमण से सावधानी और संबंधित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए रामधुन और सुंदरकाण्ड के आयोजन की अनुमति दी है. श्रीराम जन्मभूमि पूजन कार्यक्रम के अवसर पर शासकीय देवस्थान एवं मंदिरों द्वारा अनुमति मांगी गई थी.

उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की शिला रखे जाने के साथ नए युग की शुरुआत करने को आतुर है तो वहीं बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा में भी खासी हलचल है. इस मौके पर रामराजा मंदिर की विशेष तौर पर साज-सज्जा की गई है. मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं.

बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा वह नगरी है जिसका अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता है. यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं, यही कारण है कि चार बार होने वाली आरती के समय उन्हें पुलिस जवानों द्वारा सलामी दी जाती है. कहा तो यहां तक जाता है कि श्रद्धालु राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं. प्रसाद के तौर पर भोग के साथ पान का बीड़ा, इत्र की बाती (इत्र से भीगी हुई रूई का फाहा) भी श्रद्धालुओं को दी जाती है.

उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि ओरछा राजवंश के राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे और उनकी पत्नी कुंअर गणेश राम भक्त. दोनों में इसको लेकर तर्क-वितर्क जारी रहता था. मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने को कहा तो रानी ने अयोध्या जाने की बात कही. इस पर राजा ने व्यंग्य में कहा कि "अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लेकर आओ."

कहा जाता है कि कुंअर गणेश ओरछा से अयोध्या गईं और 21 दिन तक उन्होंने तप किया, मगर राम जी प्रकट नहीं हुए तो उन्हें निराशा हुई और वह सरयू नदी में कूद गईं, तभी उनकी गोद में राम जी आ गए. कुंअर गणेश ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया. इस पर भगवान राम ने उनके सामने तीन शर्त रखीं. ओरछा में राजा के तौर पर विराजित होंगे, जहां एक बार बैठ जाएंगे तो फिर वहां से उठेंगे नहीं और सिर्फ पुण्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही ओरछा जाएंगे. रानी ने तीनों शर्तें मानीं.

कुंअर गणेश अपने आराध्य राम को लेकर जब अयोध्या से ओरछा पहुंची तब भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा था, इस स्थिति में रानी ने राम जी को राजनिवास की रसोई में बैठा दिया, फिर वहां से राम जी अपनी शर्त के मुताबिक उठे नहीं. फिर रसोई को ही मंदिर में बदल दिया गया. यहां राजा राम के तौर पर हैं, यही कारण है कि कोई भी नेता, मंत्री या अधिकारी ओरछा की चाहरदीवारी क्षेत्र में जलती हुई बत्ती वाली गाड़ी से नहीं आते और उन्हें सलामी भी नहीं दी जाती है. यहां सिर्फ रामजी को ही सलामी दी जाती है. राम ओरछा में राजा हैं, दिन में तो वह यहां रहते हैं लेकिन शयन करने के लिए अयोध्या जाते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि "रामराजा सरकार के दो निवास है खास, दिवस ओरछा रहत है रैन अयोध्या वास."

अयोध्या में राम मंदिर की आधार शिला रखने के मौके पर ओरछा के रामराजा मंदिर को भी भव्य रूप दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, "राम राजा की जय! ओरछा में श्री रामराजा विराजते हैं, यह ही राजा हैं प्रदेश के. चार व पांच अगस्त को रामराजा मंदिर को विशेष रूप से सजाया जायेगा और पुजारीगण द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जायेगी. कोरोना संक्रमण न फैले, इसके लिए सभी ओरछावासी घर पर ही रहकर रामराजा की आराधना कर दीपोत्सव मनाएं."

शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास का वक्त चित्रकूट में व्यतीत किया है. भगवान श्रीराम और भरत का मिलाप भी यहीं हुआ था. कामदगिरी पर्वत, सीतापुर, हनुमानधारा, कामतानाथ मंदिर यहां के प्रमुख स्थल हैं. राम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर चित्रकूट में भी खास आयोजन किए जाएंगे.

Last Updated : Aug 4, 2020, 9:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.