भोपाल। भगवान राम की दूसरी नगरी यानी ओरछा रामनवमी पर 10 लाख दीपों से जगमगाएगी. अयोध्या में भगवान राम अपने बाल स्वरूप में पूजे जाते हैं, जबकि बेतवा नदी किनारे स्थापित ओरछा में भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. यही वजह है कि ओरछा को रामराजा सरकार की नगरी भी कहा जाता है. (program on ramnavmi in orcha)
![Orchha Ram Nagari](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bho-02-orcha-pkg-7205554_06042022121330_0604f_1649227410_401.jpg)
यह कलाकार रामलीला में करेंगे अभिनयः रामनवमी के मौके पर ओरछा में रंगमंच और फिल्म जगत के कलाकार रामलीला का मंच करने जा रहे हैं. 10 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर आयोजित रामलीला में कई फिल्म और टीवी कलाकार भूमिकाएं निभा रहे हैं. रामलीला में माता-सीता की भूमिका टीवी कलाकार परिधि शर्मा निभाएंगी. सुनील शर्मा भगवान राम का किरदार निभाएंगे. देवर्ष नागर लक्ष्मण की भूमिका को जीवंत करेंगे. कई फिल्मों में काम कर चुके पुनीत इस्सर रावण और बिंदु दारा सिंह हनुमानजी का रोल करेंगे. फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव भी रामलीला में दिखाई देंगे. (ramlila hero in orcha)
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एक दिया जलाने की अपीलः रामनवमी के मौके पर ओरछा में 10 लाख दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए लोगों से अपील की जा रही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ओरछा पहुंचेंगे. सीएम ने लोगों से अपील की है कि लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचे. बुंदेलखंडी से जुड़े रहे बाॅलीवुड कलाकार गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी सहित कई कलाकारों ने भी लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की है. (history of orcha)
![Orchha Ram Nagari](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bho-02-orcha-pkg-7205554_06042022121330_0604f_1649227410_1014.jpg)
रानी कुंवर गणेश सरयु नदी से लाई थीं प्रतिमाः पौराणिक कथाओं के मुताबिक ओरछा की महारानी कुंवर गणेश राम भक्त थीं, जबकि औरछा नरेश मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे. इसको लेकर दोनों में हमेशा विवाद होता था. एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन कुंवर गणेश ने इसे विनम्रता पूर्वक अस्वीकार करते हुए अयोध्या जाने की इच्छा जताई.
![Orchha Ram Nagari](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bho-02-orcha-pkg-7205554_06042022121330_0604f_1649227410_70.jpg)
महारानी द्वारा प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने पर नरेश मधुकरशाह ने तंज कसते हुए कहा कि यदि वे भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं, तो भगवान को ओरछा लाकर दिखाओ. इसके बाद महारानी कुंवर गणेश अयोध्या रवाना हुईं और करीब 21 दिनों तक भगवान राम की तपस्या की. जब भगवान प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने सरयु नदी में छलांग लगा दी. महारानी की भक्ती देख भगवान राम उनकी गोद में आ गए.
तब महारानी ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया, लेकिन भगवान राम ने उनसे इस शर्त के साथ चलने के लिए कहा कि मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा वहां से फिर नहीं उठूंगा. उन्हें ओरछा तक पैदल ले जाना होगा और ओरछा के राजा के रूप में स्थापित होने के बाद वहां किसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी. इसके बाद भगवान राम की प्रतिभा को अयोध्या से लाकर ओरछा में स्थापित किया गया.