भोपाल। पुलिस अकादमी में सिखाई कई ट्रेनिंग फील्ड पर ज्यादा काम नहीं आती है, जिसे ध्यान में रखते हुए सागर प्रभारी हर्ष शर्मा यह ट्रेनिंग खुद पुलिस विभाग के कर्मचारियों को दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अकादमी में थ्योरी और एकेडमिक पार्ट पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, लेकिन फील्ड में प्रैक्टिकल नॉलेज ही काम आता है. इसी के चलते प्रदेश भर में पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है और उनसे फीडबैक भी लिया जा रहा है.
पुलिस कर्मियों को दी जा रही ट्रेनिंग
इन सब में पुलिस विभाग के लिए साइबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती है. अपराध होते हैं, लेकिन उन अपराधों की तह तक जाने के लिए जरूरत होती है एक सटीक इन्वेस्टिगेशन की. जो पुलिसकर्मी अकादमी से नए-नए आते हैं, उनके लिए क्राइम स्पॉट की तहकीकात करना काफी मुश्किल हो जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि उन्हें दी जाने वाली ट्रेनिंग फील्ड पर ज्यादा काम नहीं आती है. साइबर क्राइम के लिए खासकर पुलिस विभाग में इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की कमी है और यही कारण है कि पुलिसकर्मियों को यह ट्रेनिंग दी जा रही है.
इंवेस्टिगेशन की सिखाई जा रहीं बारीकियां
खुद पुलिस के अधिकारी भी यह मानते हैं कि अकैडमी में दी जाने वाली ट्रेनिंग ज्यादा काम नहीं आती है और ऐसे में क्राइम की तहकीकात कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. ट्रेनिंग के साथ साथ सभी कर्मियों से फीडबैक भी लिया जा रहा है, तो साथ ही साइबर क्राइम और अपराध की जगह को किस तरीके से इंवेस्टिगेट करना है, इसकी बारीकियां सिखाई जा रही है.
ट्रेनिंग है काफी जरुरी
पुलिस विभाग में कोई भी कॉन्स्टेबल इंवेस्टिगेशन ऑफिसर नहीं होता, लेकिन जब कोई कॉन्स्टेबल प्रमोट होता है और हेड कांस्टेबल की पोजीशन पर आता है. वहीं कोई दूसरा कर्मी इस इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की पोस्ट पर आता है, तो ऐसे कर्मियों को इंवेस्टिगेशन की पूरी तरीके से ट्रेनिंग नहीं दी जाती है, लेकिन जब वह प्रमोट होते हैं तो उनके लिए वोटिंग काफी जरूरी हो जाती है.