भोपाल। नर्मदा भवन पर देर रात डूब प्रभावित आंदोलनकारियों ने मशाल जूलुस निकालकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है. आंदोलनकारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो ये आंदोलन और ज्यादा उग्र होगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी. बता दें कि नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में डूब प्रभावित अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकलने की वजह से देर रात डूब प्रभावितों ने मशाल जुलूस निकाला.
मशाल जुलूस रैली में लोगों ने जनगीत गाकर एक-दूसरे की हौसला अफजाई की. आंदोलनकारियों के नेतृत्व में तकरीबन एक हजार लोगों ने अचानक नगर चौराहे तक रैली निकाली, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के चलते आंदोलनकारियों को ज्यादा आगे बढ़ने नहीं दिया गया और बीच रास्ते में ही उन्हें रोक दिया गया.
डूब प्रभावित चाहते हैं लिखित सहमति
बता दें कि सरदार सरोवर बांध में अधिक ऊंचाई तक पानी भरने से जिन किसानों की फसलें खराब हुई हैं, उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है. सरकार की ओर से बार-बार उन्हें भरोसा दिलाया जा रहा है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन सभी डूब प्रभावित लिखित सहमति चाहते हैं. सरकार की ओर से कहा गया है कि बांध का जलस्तर कम नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें मध्यप्रदेश अकेला निर्णय नहीं ले सकता है. सरकार की तरफ से इस विषय पर केंद्र सरकार से बात की जाएगी.
अभी तक नहीं निकला समाधान
प्रदेश सरकार का कहना है कि आंदोलनकारियों की बाकी मांगों पर विचार किया जा रहा है. अलीराजपुर, धार, बड़वानी के लोगों की फसलें और मकान सरदार सरोवर बांध में ज्यादा जलभराव के कारण डूब गए हैं. प्रभावित इसके खिलाफ मेधा पाटकर के नेतृत्व में लगातार आंदोलन कर रहे हैं. ये सभी आंदोलनकारी नर्मदा भवन के सामने सड़क पर डटे हुए हैं. आंदोलनकारियों से सरकार लगातार बातचीत कर रही है, लेकिन अब तक इन चर्चाओं का कोई हल नहीं निकला है.
जारी रहेगा आंदोलन
आंदोलनकारियों का साफ कहना है कि उनके द्वारा रखी गई कुछ मांगों को सरकार के द्वारा माना गया है, लेकिन ज्यादातर मांगों पर अभी भी चर्चा बाकी है. जब तक सभी मांगों पर सहमति नहीं बनती है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.