भोपाल। राजधानी में यह पहला मौका है, जब भोपाल नगर निगम का बजट नगर निगम प्रशासक के द्वारा अनुमोदित हो रहा है, क्योंकि वर्तमान स्थिति में भोपाल नगर निगम में महापौर और पार्षद नहीं हैं. इन सभी का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो चुका है और नगर निगम के चुनाव कोरोना संक्रमण के चलते होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. यही वजह है कि, राज्य सरकार ने नगर निगम प्रशासक की जवाबदारी फिलहाल संभाग आयुक्त कविंद्र कियावत को दी हुई है. हर साल की तरह इस साल भी वित्तीय व्यवस्थाओं के लिए नगर निगम का बजट निर्धारित कर दिया गया है.
संभाग आयुक्त एवं नगर निगम प्रशासक कविंद्र कियावत ने भोपाल नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट अनुमोदित कर दिया है. इस बार नगर निगम का बजट 2,495 करोड़ रुपए का होगा. बीते वित्तीय वर्ष का बजट 2,976 करोड़ रुपए का था. पूंजीगत आए 919 करोड़ रुपए दिखाई गई है, जबकि खर्च 1083 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. पिछले साल तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा के द्वारा बजट पेश किया गया था, जिसमें लोगों पर किसी भी तरह का टैक्स का भार नहीं डाला गया था.
संपत्ति नामांतरण का नया प्रावधान
इस बार बजट में संपत्ति के नामांतरण को लेकर नया प्रावधान किया गया है, दरअसल प्रॉपर्टी का नामांतरण ना करवाने वालों पर अधिभार के माध्यम से नगर निगम अपनी आय को बढ़ाने का प्रयास करेगा. यह अधिभार 10 से 15 फ़ीसदी तक लगाया जाएगा. शहर में अधिकांश लोग नामांतरण नहीं करवाते हैं, जिसकी वजह से नगर निगम को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन अब नामांतरण को लेकर नगर निगम ने सख्त रुख अपना लिया है और ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
तीन महीने के अंदर नामांतरण कराने पर कोई अधिभार नहीं
बीते वर्ष 66 हजार रजिस्ट्री हुई थी, इसमें से करीब 20 प्रतिशत लोगों ने अपना नामांतरण नहीं कराया था, लेकिन अब नए प्रावधान के मुताबिक संपत्ति खरीदने के 3 महीने के अंदर ही नामांतरण कराने पर कोई अधिभार नहीं लगेगा, लेकिन अगले 3 से 6 माह में 10 फ़ीसदी अधिभार लगाया जाएगा, फिर अगले 6 माह में यह अधिभार 15 फ़ीसदी कर दिया जाएगा. वार्ड प्रभारियों व जोनल अधिकारियों को नामांतरण जमा कराने का दायित्व सौंपा गया है.
इस बार अतिरिक्त टैक्स कलेक्शन का अनुमान
बीते वित्तीय वर्ष में नगर निगम को 260 करोड़ रुपए टैक्स के तौर पर राजस्व की प्राप्ति हुई थी, लेकिन इस बार 300 करोड़ रुपए कर के माध्यम से अतिरिक्त आय का अनुमान लगाया गया है. नगर निगम का ध्यान इस बार पुराने बकाए पर भी टिका हुआ है, हालांकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में लॉकडाउन के कारण नगर निगम की राजस्व वसूली कम हो पाई है, नगर निगम ने दुकानों की छतों को भी लीज पर देने एवं रिक्त भूमि को व्यावसायिक उपयोग में लाने का भी निर्णय लिया है.
'हाउसिंग फॉर ऑल' योजना पर निगम का ध्यान
नगर निगम इस वित्तीय वर्ष में सरकारी आवास योजना के तहत 'हाउसिंग फॉर ऑल' पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है. इसमें 1412 करोड़ों रुपए खर्च का ब्यौरा तैयार किया गया है, जबकि बजट में राजस्व आय के तौर पर 1576 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है.
प्राइवेट कॉलोनियों का हस्तांतरण
इसके अलावा शहर की सभी कॉलोनियां, जिनका विकास कार्य पूरा हो चुका है वह नगर निगम में हस्तांतरित हो सकेंगी. शहर में कई प्राइवेट कॉलोनियां ऐसी है, जो अभी तक नगर निगम में हस्तांतरण किए जाने की मांग कर रही हैं, बहुत सी कॉलोनियों की फाइले अभी भी नगर निगम में अटकी पड़ी हुई हैं, जिसका अब तक कोई निदान नहीं हो पाया है, लेकिन अब नगर निगम इस पर भी विशेष ध्यान देगा, नगर निगम सर्वे कर निर्धारित शुल्क के साथ इन सभी कॉलोनियों को नगर निगम में हस्तांतरित करने का प्रयास करेगा.
इसके अलावा नगर निगम को हैंड ओवर करने के लिए निजी एवं सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्मित कॉलोनियों के लिए अलग-अलग नियम नहीं होंगे. जिन कॉलोनियों में आंतरिक सड़क का कार्य, ओपन ड्रेन, क्रॉस ड्रेन, पुलिया, सीवर लाइन, सेक्टिक टैंक, एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट),पार्क, खेल मैदान ,जल प्रदाय व्यवस्था के तहत ओवरहेड टैंक, विद्युत व्यवस्था के लिए ट्रांसफार्मर, लाइन, स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था पूरी की गई हो, इन सभी को नगर निगम में शामिल किया जाएगा. इस मामले में सबसे खास बात ये है कि, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को कॉलोनियों के लिए अनिवार्य किया गया है. इसका उद्देश्य केवल यही है कि, पानी की ज्यादा से ज्यादा बचत हो सके और भूजल स्तर को बढ़ाया जा सके.