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मध्य प्रदेश की नर्स को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, कोरोना काल में बेसहाराओं को दिया था सहारा

देवास जिला अस्पताल की हेड नर्स रश्मि पांडेकर को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार 2020 (National Florence Nightingale Award 2020) से सम्मानित किया गया. रश्मि पांडेकर मध्य प्रदेश की एक मात्र महिला है जिन्हें इस बार यह पुरस्कार मिला है. कोरोना काल के दौरान रश्मि ने कई बेसहाराओं को सहारा दिया था.

Head Nurse Rashmi Pandekar
हेड नर्स रश्मि पांडेकर
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Published : Sep 16, 2021, 3:53 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 4:46 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास की हेड नर्स रश्मि पांडेकर (Head Nurse Rashmi Pandekar) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार 2020 (National Florence Nightingale Award 2020) से सम्मानित किया. देश भर 51 महिलाओं में शामिल रश्मि मध्य प्रदेश से इकलौती महिला नर्स हैं, जिन्हें इस बार यह पुरस्कार मिला है. ईटीवी भारत (ETV Bharat) से खास बातचीत में रश्मि ने कोरोना काल के दौरान किए गए अपने कार्यों को साझा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह से अंगूरी और रेखा नाम की निशक्त महिलाओं की सेवा की. उन्हें सही कर उनके घरों तक पहुंचाया.

रश्मि पांडेकर, हेड नर्स, देवास

40 साल से लोगों की कर रही सेवा- पांडेकर

नर्सिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली नर्सेज को यह राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है. इस वर्ष मध्य प्रदेश की हेड नर्स रश्मि पांडेकर को भी इस सम्मान से नवाजा गया. रश्मि पांडेकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपने जीवन के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि 40 साल से वह नर्सिंग के माध्यम से सेवा कर रही हैं. इस दौरान जब कोविड-19 (COVID-19) था तो इन्होंने कई निशक्त और निर्धन महिलाओं की सेवा की. रश्मि ने अपने जीवन से जुड़े संघर्ष की कई कहानियां भी सुनाई.

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पीड़ितों की सेवा कर किया ठीक

हेड नर्स रश्मि पांडेकर ने बताया कि कोरोना काल (Corona Period) के दौरान अंगूरी और रेखा नाम की दो महिलाएं अस्पताल में गेट के बाहर पड़ी हुई थी. जो बोल भी नहीं पा रही थी. ऐसे में अंगूरी कि इनकी 10 माह तक सेवा की. खाने से लेकर हर काम रश्मि खुद करती थी. जिसके बाद अंगूरी ठीक हुई. उसके घरवालों ने उसे पहचाना और वह अपने घर चली गई.

कुछ इसी तरह से रेखा नाम की एक महिला की कहानी बताते हुए रश्मि पांडेकर ने बताया कि रेखा भी अस्पताल के बाहर इन्हें मिली थी. उसकी भी सेवा कर इन्होंने उसको सही किया. उसके घर वालों के पास भेजा. रश्मि कहती हैं कि दोनों महिलाओं की हालत बहुत खराब थी. सेवा और समर्पण के कारण ही ये महिलाएं जीवित बच सकी.

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कोरोना के दौरान खुद को भी सुरक्षित रखा

रश्मि बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान काम करना बहुत ही कठिन हो गया था. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि कहीं वह खुद भी बीमार ना हो जाए. परिवार में यह बीमारी न फैल जाए. लेकिन ऊपर वाले के आशीर्वाद और नियमों का पालन कर उन्होंने अपने आप को बचाया और घर वालों को भी.

भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास की हेड नर्स रश्मि पांडेकर (Head Nurse Rashmi Pandekar) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार 2020 (National Florence Nightingale Award 2020) से सम्मानित किया. देश भर 51 महिलाओं में शामिल रश्मि मध्य प्रदेश से इकलौती महिला नर्स हैं, जिन्हें इस बार यह पुरस्कार मिला है. ईटीवी भारत (ETV Bharat) से खास बातचीत में रश्मि ने कोरोना काल के दौरान किए गए अपने कार्यों को साझा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह से अंगूरी और रेखा नाम की निशक्त महिलाओं की सेवा की. उन्हें सही कर उनके घरों तक पहुंचाया.

रश्मि पांडेकर, हेड नर्स, देवास

40 साल से लोगों की कर रही सेवा- पांडेकर

नर्सिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली नर्सेज को यह राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है. इस वर्ष मध्य प्रदेश की हेड नर्स रश्मि पांडेकर को भी इस सम्मान से नवाजा गया. रश्मि पांडेकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपने जीवन के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि 40 साल से वह नर्सिंग के माध्यम से सेवा कर रही हैं. इस दौरान जब कोविड-19 (COVID-19) था तो इन्होंने कई निशक्त और निर्धन महिलाओं की सेवा की. रश्मि ने अपने जीवन से जुड़े संघर्ष की कई कहानियां भी सुनाई.

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पीड़ितों की सेवा कर किया ठीक

हेड नर्स रश्मि पांडेकर ने बताया कि कोरोना काल (Corona Period) के दौरान अंगूरी और रेखा नाम की दो महिलाएं अस्पताल में गेट के बाहर पड़ी हुई थी. जो बोल भी नहीं पा रही थी. ऐसे में अंगूरी कि इनकी 10 माह तक सेवा की. खाने से लेकर हर काम रश्मि खुद करती थी. जिसके बाद अंगूरी ठीक हुई. उसके घरवालों ने उसे पहचाना और वह अपने घर चली गई.

कुछ इसी तरह से रेखा नाम की एक महिला की कहानी बताते हुए रश्मि पांडेकर ने बताया कि रेखा भी अस्पताल के बाहर इन्हें मिली थी. उसकी भी सेवा कर इन्होंने उसको सही किया. उसके घर वालों के पास भेजा. रश्मि कहती हैं कि दोनों महिलाओं की हालत बहुत खराब थी. सेवा और समर्पण के कारण ही ये महिलाएं जीवित बच सकी.

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कोरोना के दौरान खुद को भी सुरक्षित रखा

रश्मि बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान काम करना बहुत ही कठिन हो गया था. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि कहीं वह खुद भी बीमार ना हो जाए. परिवार में यह बीमारी न फैल जाए. लेकिन ऊपर वाले के आशीर्वाद और नियमों का पालन कर उन्होंने अपने आप को बचाया और घर वालों को भी.

Last Updated : Sep 16, 2021, 4:46 PM IST

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