भोपाल। शिवराज सरकार की घोषणाओं को देखते हुए प्रदेश के अन्य विभागों के कर्मचारी भी लामबंद हो गए हैं. जिनको अभी तक सरकार ने कोई तोहफा नहीं दिया है. प्रदेश के साढ़े 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर 25 अगस्त को काम बंद रखेंगे. पुरानी पेंशन, ग्रेड-पे में सुधार सहित 39 सूत्रीय मांगों को लेकर एमपी के छह बड़े कर्मचारी संगठनों एक दिन काम बंद रखने वाले हैं. इनकी संख्या तीन लाख से ज्यादा है. इस हड़ताल की तैयारी के चलते कर्मचारियों ने शुक्रवार को जिला न्यायालय भोपाल, लोक निर्माण और महिला एवं बाल विकास संचालनालय में भोजनावकाश के दौरान रणनीति बनाई है. कर्मचारियों का कहना है कि आंदोलन के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए अब आंदोलन उग्र किया जाएगा.
39 सूत्री मांगों के साथ प्रदर्शन: तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि "मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ते का बकाया एरियर, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 4% महंगाई राहत, पुरानी पेंशन बहाल करने, लिपिकों के ग्रेड पे में विसंगति को दूर करने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदनाम देने, वाहन चालकों की भर्ती एवं टैक्सी प्रथा खत्म करने, सातवें वेतनमान के अनुसार वाहन भत्ता एवं मकान किराया भत्ता देने, सीपीसीटी खत्म कर आउटसोर्स प्रथा बंद करने, शिक्षकों एवं सहायक शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान एवं नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देने, अस्थायी कर्मियों को नियमित करने, कर्मचारियों की पदोन्नति करने, धारा 49 समाप्त करने, पेंशन हेतु अंशदायी पेंशन की गणना 25 वर्ष करने, आंगनबाड़ी अंशकालीन, स्टेनोग्राफर, जिला न्यायालय, राजस्व कर्मचारियों की मांगों सहित 39 सूत्री मांगों को लेकर मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संघ मोर्चा एवं 6 संगठनों के आह्वान पर 25 अगस्त को सभी कर्मचारी एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल पर रहेंगे.
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कर्मचारियों की अन्य मांगें: प्रदेश के लिपिक कर्मचारियों को 2400–2800–3200 के स्थान पर मंत्रालय के समान 2800 3600 4200 ग्रेड पे का लाभ दिया जाए. पुरानी पेंशन बहाल की जाए. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को केंद्रीय तिथि से ही महंगाई राहत दी जाए. पूर्व का बकाया भी प्रदान किया जाए. वाहन भत्ता एवं मकान किराया, भत्ता सातवें वेतनमान केंद्र अनुसार किया जाए. 11 साल से वाहन एवं मकान किराए भत्ते में वृद्धि नहीं हुई है. महंगाई भत्ते की बकाया राशि खातों में जमा की जाए. कर्मचारियों को परीक्षा अवधि पूर्व की भांति की जाए. 2 वर्ष बाद पूरा वेतन प्रदाय किया जाए. सीपीसीटी का बंधन समाप्त किया जाए. आउटसोर्स प्रथा बंद कर नियमित नियुक्ति पर कर्मचारियों को रखा जाए.