भोपाल। प्रदेश में तेज गति से सड़क निर्माण के काम विभिन्न जिलों में चल रहे हैं. इनके साथ सड़क बनाने से पहले पोल शिफ्टिंग और विद्युतीकरण के काम भी किए जाते हैं. ऐसे चार प्रोजेक्ट में पोल शिफ्टिंग के दौरान बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं. पहला मामला गंजबासौदा-सिरोंज रोड का है. दूसरा मामला आरोन राघोगढ़ वाया विदौरिया रोड, तीसरा मामला अशोक नगर और चौथा रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज का है. ये सड़कें एमपीआरडीसी ने बनाई हैं और पोल शिफ्टिंग का काम दूसरे ठेकेदार के जरिए कराया जा रहा है.
ठेकेदारों ने की मनमानी : इन ठेकेदारों ने निम्न स्तर का काम किया है. जब बिजली कंपनी ने मौका मुआयना किया तो यह कमियां उजागर हो गईं. इसके बाद बिजली कंपनी की तरफ से एमपीआरडीसी के अफसरों को पत्र लिखा गया कि कमियों को ठीक किया जाए. इन पत्रों से पता चला कि जिस ठेकेदार ने यह पोल शिफ्ट किए हैं, उन्होंने अब तक मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को शिफ्टिंग में उपयोग किए गए मटेरियल की जानकारी तक नहीं दी है. न ही इन कामों की टेस्ट रिपोर्ट सबमिट की गई है. हाल यह है कि मप्र में तीन जगह काम पूरा होने के बाद मटेरियल खरीदना दिखा दिया गया है. जब ये मामले सामने आए तो अफसरों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया.
हल्के वजन के लगाए पोल : गंजबासौदा-सिरोंज रोड-पैकेज क्रमांक 14 (ईआरपी नंबर 435559) के तहत पोल शिफ्टिंग के काम का कम्पलीशन सर्टिफिकेट दिसंबर 2018 में दे दिया गया. लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए जो खरीदी बिल लगाए गए, वे फरवरी 2019 या उससे भी बाद के हैं. सबसे बड़ा यही काम है, जिसकी लागत लगभग 4.84 करोड़ रुपए है. अशोक नगर-पैकेज क्रमांक 14 (ईआरपी नंबर 692304) के तहत लगभग 9.996 किमी की सड़क से पोल शिफ्टिंग का यह काम एसएस इंटरप्राइेजेस ने किया है. करीब 3.72 करोड़ रुपए के इस काम का जब अफसरों ने मुआयना किया तो पता चला कि शिफ्टिंग के बाद जो पोल लगाए गए, वे हल्के वजन के हैं. उनमें क्रांकीट का उपयोग कम किया गया है. इससे पोल कभी गिर सकते हैं. इस मामले में मटेरियल के बिल नहीं हैं. करीब 90 फीसदी काम होने के बाद टेस्ट रिपोर्ट दी गई. इसमें डिस्टेल मटेरियल जमा नहीं किया गया है.
स्क्रैप मटेरियल ही गायब कर दिया : आरोन-राघौगढ़ व्हाया विदौरिया-पैकेज क्रमांक 14 (ईआरपी नंबर 682825) के तहत करीब 3.72 करोड़ रुपए लागत से यह काम हुआ है. इस काम में जब जानकारी मांगी तो पता चला कि ठेकेदार द्वारा पोल शिफ्टिंग में इस्तेमाल की गई सामग्री के खरीदी बिल, सप्लाई बिल, इरेक्शन बिल, ई-वे बिल आदि सबमिट ही नहीं किए गए हैं. इस मामले में काम पूरा होने के दो साल बाद भी कंडक्टर टेस्ट रिपोर्ट विभाग को नहीं दी गई. जो स्क्रैप मटेरियल शिफ्टिंग के बाद निकला, उसे भी एरिया स्टोर में जमा नहीं कराया गया है. औबेदुल्लागंज रोड-यहां करीब दो करोड़ रुपए की लागत से पोल शिफ्टिंग होना है. अभी ठेकेदार को अनुमति नहीं मिली, इसके पहले ही उसने 100 पोल खड़े कर दिए. मौके पर गए तो पुराने पोल को रंग रोगन करके लगाया जा रहा था. खेल यह है कि अब इसी काम को दिखाकर एडवांस राशि ले ली जाएगी और इसी को बाद में जमा करवा दिया जाएगा.
जिम्मेदार बोले- दूसरे करते हैं मॉनीटरिंग : पोल शिफ्टिंग में हो रही गड़बड़ियों को लेकर ईटीवी भारत ने एमपीआरडीसी के चीफ इंजीनियर गोपाल सिंह से बात की तो उन्होंने पहले कहा कि इस तरह कोई शिकायत उनके संज्ञान में नहीं है. फिर भी कोई दिक्कत है तो एमपीईबी से बात कर सकते हैं. यानी काम इनका और जवाब वो दें. जब उन्हें बताया कि हमने मौके पर जाकर निरीक्षण किया है तो जवाब मिला कि आप प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों से बात करें. शिकायतकर्ता नीरज यादव ने इस बारे में कई विभागों में शिकायतें की हैं. लेकिन अधिकारी इस मामले को एक-दूसरे पर डाल रहे हैं.