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MP Contract Workers Angry: नई शर्तों पर एमपी के संविदा कर्मचारी हुए नाराज, बोले- क्या यही था CM का वादा

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी संविदा कर्मचारी-अधिकारियों के लिए जारी की गई नई नीति को लेकर आक्रोश है. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि सीएम शिवराज द्वारा की गई घोषणाओं के विपरीत यह नीति है.

MP Contract Workers Angry
संविदा कर्मी शिवराज से नाराज
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Published : Jul 23, 2023, 6:53 PM IST

भोपाल। राज्य सरकार द्वारा जारी की गई संविदा कर्मचारी, अधिकारियों के लिए नई नीति विवादों में घिर गई है. नई संविदा नीति में कर्मचारियों के वार्षिक मूल्यांकन और इसके आधार पर सेवा समाप्ति का अधिकार अफसरों ने अपने पास रखा है. इसके अलावा कई और प्रावधान है. जिसको लेकर कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है. कर्मचारियों ने कहा है कि "यह नीति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणाओं के बिल्कुल विपरीत है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि संविदा कर्मियों का अनुबंध खत्म किया जाएगा, लेकिन इस नई नीति में वार्षिक कार्य मूल्यांकन के आधार पर अधिकारी द्वारा अनुबंध खत्म करने का प्रावधान किया गया है. जबकि मुख्यमंत्री ने अनुबंध खत्म करने का ऐलान किया था."

नई संविदा नीति में यह किए गए हैं प्रावधान: सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई सेवा शर्तों के पैरा 9.8 के अनुसार संविदा अधिकारी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने वाले अधिकारी इनका हर साल मूल्यांकन करेंगे. काम संतोषजनक ना पाए जाने की स्थिति में संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जा सकेगी. संविदा कर्मचारी जैसे नियमित समकक्ष पद के लिए आवेदन करेंगे. उसके बराबर या उच्चतर संविदा पद पर वह जितने साल कार्यरत रहा, उतने साल की छूट उसे निर्धारित अधिकतम आयु में मिलेगी. आयु संबंधी सभी छूट 55 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

ऐसे संविदा कर्मचारी जिनकी संविदा नियुक्ति 1 अप्रैल 2018 के पहले हुई है और जो नियुक्ति दिनांक से लगातार संविदा पर कार्यरत होंगे, उनके वेतन का निर्धारण इस तरह होगा. कर्मचारी का 1 अप्रैल 2018 की स्थिति में नियमित पद के शासकीय सेवक के लिए सातवें वेतनमान के अंतर्गत संबंधित पे मैट्रिक्स लेवल के न्यूनतम वेतन के 100% के बराबर काल्पनिक आधार पर तय किया जाएगा.

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कर्मचारी संगठनों ने जताई नाराजगी: उधर राज्य शासन द्वारा जारी की गई संविदा शर्तों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है. संविदा कर्मचारियों के संयुक्त संघर्ष मंच के प्रदेश संयोजक दिनेश तोमर ने नई नीति को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि "जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से अनुबंध की व्यवस्था खत्म करने का ऐलान किया था तो फिर इस नई शर्त में इस घोषणा के विरुद्ध मूल्यांकन को कैसे जोड़ दिया गया. मुख्यमंत्री ने कहा था कि मैं तुम्हारे जीवन से अनिश्चितता समाप्त कर दूंगा, लेकिन नीति की शर्तों के अनुसार शिकायत होने पर ही सेवा से हटाने का प्रावधान रखा गया है. इसके आधार पर कर्मचारी अधिकारियों को कभी भी किसी भी समय बर्खास्त किया जा सकता है. यह साफ है कि अनुबंध प्रथा खत्म नहीं हुई है, हर महीने में 1:30 दिन की छुट्टी लीव के रूप में देनी थी, यह भी नहीं दी गई है. विशेष अपराध होने पर सिर्फ 2 माह का वेतन का 50% राहत भत्ता मिलेगा.

कांग्रेस ने उठाया सवाल: उधर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सैयद जफर ने आरोप लगाया है कि "मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को धोखा दिया है. मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने की मांग आज भी अधूरी है, लेकिन संविदा कर्मचारी शिवराज सरकार में हमेशा संविदा पर ही परमानेंट रहेंगे. राज्य सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को ठगने का काम किया है.

भोपाल। राज्य सरकार द्वारा जारी की गई संविदा कर्मचारी, अधिकारियों के लिए नई नीति विवादों में घिर गई है. नई संविदा नीति में कर्मचारियों के वार्षिक मूल्यांकन और इसके आधार पर सेवा समाप्ति का अधिकार अफसरों ने अपने पास रखा है. इसके अलावा कई और प्रावधान है. जिसको लेकर कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है. कर्मचारियों ने कहा है कि "यह नीति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणाओं के बिल्कुल विपरीत है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि संविदा कर्मियों का अनुबंध खत्म किया जाएगा, लेकिन इस नई नीति में वार्षिक कार्य मूल्यांकन के आधार पर अधिकारी द्वारा अनुबंध खत्म करने का प्रावधान किया गया है. जबकि मुख्यमंत्री ने अनुबंध खत्म करने का ऐलान किया था."

नई संविदा नीति में यह किए गए हैं प्रावधान: सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई सेवा शर्तों के पैरा 9.8 के अनुसार संविदा अधिकारी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने वाले अधिकारी इनका हर साल मूल्यांकन करेंगे. काम संतोषजनक ना पाए जाने की स्थिति में संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जा सकेगी. संविदा कर्मचारी जैसे नियमित समकक्ष पद के लिए आवेदन करेंगे. उसके बराबर या उच्चतर संविदा पद पर वह जितने साल कार्यरत रहा, उतने साल की छूट उसे निर्धारित अधिकतम आयु में मिलेगी. आयु संबंधी सभी छूट 55 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

ऐसे संविदा कर्मचारी जिनकी संविदा नियुक्ति 1 अप्रैल 2018 के पहले हुई है और जो नियुक्ति दिनांक से लगातार संविदा पर कार्यरत होंगे, उनके वेतन का निर्धारण इस तरह होगा. कर्मचारी का 1 अप्रैल 2018 की स्थिति में नियमित पद के शासकीय सेवक के लिए सातवें वेतनमान के अंतर्गत संबंधित पे मैट्रिक्स लेवल के न्यूनतम वेतन के 100% के बराबर काल्पनिक आधार पर तय किया जाएगा.

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कांग्रेस ने उठाया सवाल: उधर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सैयद जफर ने आरोप लगाया है कि "मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को धोखा दिया है. मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने की मांग आज भी अधूरी है, लेकिन संविदा कर्मचारी शिवराज सरकार में हमेशा संविदा पर ही परमानेंट रहेंगे. राज्य सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को ठगने का काम किया है.

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