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जन्म देते ही हुई मां की मौत, 18 दिन की कोरोना संक्रमित बच्ची ने जीती जिंदगी की जंग

भोपाल के निजी अस्पताल में इलाज करवा रही गर्भवती महिला ने बच्ची को जन्म देने के बाद दम तोड़ दिया था. बच्ची की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची के इलाज का जिम्मा उठाया, और 18 दिन तक इलाज करने के बाद बच्ची को स्वस्थ करने में कामयाबी हासिल की.

18-day-old Corona-infected girl won the battle for life
18 दिन की कोरोना संक्रमित बच्ची ने जीती जिंदगी की जंग
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Published : May 20, 2021, 9:01 PM IST

भोपाल। आज से करीब 17 दिन पहले प्रयागराज में इलाज ना मिल पाने के कारण रूही खान करीब 700 किलोमीटर की दूरी तय कर इलाज के लिए भोपाल के निजी मेडिकल कॉलेज में आई थी. उस समय वह गर्भवती थी. महिला की RT-PCR रिपोर्ट में वह कोरोना पॉजिटिव थी और ऑक्सीजन सैचुरेशन 80 के करीब था. बच्ची को जन्म देने के बाद मां ने कोरोना संक्रमण के चलते अपनी जान गवां दी थी. इसके बाद अस्पताल वालों ने ही नवजात बच्ची की देखभाल की और इलाज किया. गुरुवार को पूरी तरह स्वस्थ बच्ची को 18 दिन बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने रिश्तेदारों को सौंपा. अस्पताल के स्टाफ की हौसला अफजाई करते हुए मंत्री ने कहा कि हमें ऐसे कोरोना योद्धाओं पर गर्व है.

18 दिन की कोरोना संक्रमित बच्ची ने जीती जिंदगी की जंग
  • जन्म से ही बच्ची को था कोरोना संक्रमण

बच्ची जब पैदा हुई तो वह बहुत कमजोर थी, और उसकी कोरोना की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी. निजी हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रिचा राठौर की देखरेख में उसका इलाज चालू हुआ. आज करीब 18 दिन बाद बच्ची ठीक होकर अपने परिजन के पास जा रही है. इस दौरान पीपुल्स हॉस्पिटल की नर्सिंग सुपरिटेंडेंट गिरजा उन्नी के नेतृत्व में नर्सिंग स्टाफ ने बच्चे की बहुत अच्छे से देखभाल की. जिसके परिणाम स्वरूप बच्ची पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई.

  • अस्पताल ने की अच्छी देखभाल

बच्ची के पिता हाशिम ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उसे हॉस्पिटल में छोड़ इलाहाबाद वापस चला गया था. यहां पर बच्ची की देखभाल के लिए परिवार के अन्य सदस्य थे. निजी हॉस्पिटल वालों ने हमारी अनुपस्थिति में बिना मां के बच्चे का बहुत अच्छे से ध्यान रखा. मेरे परिवार जनों को किसी प्रकार का कोई प्रेशर नहीं दिया. आज हमारी बच्ची स्वस्थ हो गई है और वह पहली बार अपने घर जा रही है.

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  • हौसले के साथ इलाज करके बच्ची को बचाया

अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ऋचा ने बताया जब बच्ची पैदा हुई थी, तब उसका वजन बहुत कम था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन हमारी डॉक्टरों की टीम, नर्सिंग स्टाफ के साथ अपने कार्य में लगी रही. जब RT-PCR रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई तो मेरी टीम थोड़ा घबरा गई, हम सभी ने मिलकर एक दूसरे का हौसला बढ़ाया और बच्ची का इलाज करते रहे. आज बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है. उसकी RT-PCR रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई. आज हम सभी को बहुत खुशी हो रही है, कि हमने जस्ट बोर्न बेबी को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने में सफलता प्राप्त की. उस बच्ची का वजन अभी 2.5 kg है जो एक स्वस्थ बच्चे का होता है.

  • मंत्री सारंग में जताई खुशी, हौसले की तारीफ की

इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बच्ची को उसके पिता हाशमी को सौंपते हुए कहा कि हमें बहुत खुशी ही नहीं बल्कि हॉस्पिटल के डॉक्टर्स, नर्सिंग पेरामेडिकल और अन्य सहयोगी कर्मचारियों पर गर्व हो रहा है, कि उनहोने बहुत अच्छा कार्य किया.

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  • समाज सेवकों को ट्रेनिंग देकर करेंगे मदद

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने कहा कि कोविड के दौरान हमारे समाज सेवकों ने गरीब और असहाय वर्ग के लोगों को भोजन पहुंचाने का कार्य किया. वह अविस्मरणीय है. हम लोग एक योजना बना रहे हैं, जिसके तहत हम समाज सेवकों को थोड़ी सी ट्रेनिंग भी देंगे, ताकि वह मरीज को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान कर सकें. हमें संतोष है कि मरीजों की संख्या में कमी आई है. लेकिन जैसा हम सुन रहे हैं कि तीसरी लहर के तहत उसमें बच्चों पर ज्यादा असर होगा हमें उसके लिए तैयार रहना है.

भोपाल। आज से करीब 17 दिन पहले प्रयागराज में इलाज ना मिल पाने के कारण रूही खान करीब 700 किलोमीटर की दूरी तय कर इलाज के लिए भोपाल के निजी मेडिकल कॉलेज में आई थी. उस समय वह गर्भवती थी. महिला की RT-PCR रिपोर्ट में वह कोरोना पॉजिटिव थी और ऑक्सीजन सैचुरेशन 80 के करीब था. बच्ची को जन्म देने के बाद मां ने कोरोना संक्रमण के चलते अपनी जान गवां दी थी. इसके बाद अस्पताल वालों ने ही नवजात बच्ची की देखभाल की और इलाज किया. गुरुवार को पूरी तरह स्वस्थ बच्ची को 18 दिन बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने रिश्तेदारों को सौंपा. अस्पताल के स्टाफ की हौसला अफजाई करते हुए मंत्री ने कहा कि हमें ऐसे कोरोना योद्धाओं पर गर्व है.

18 दिन की कोरोना संक्रमित बच्ची ने जीती जिंदगी की जंग
  • जन्म से ही बच्ची को था कोरोना संक्रमण

बच्ची जब पैदा हुई तो वह बहुत कमजोर थी, और उसकी कोरोना की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी. निजी हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रिचा राठौर की देखरेख में उसका इलाज चालू हुआ. आज करीब 18 दिन बाद बच्ची ठीक होकर अपने परिजन के पास जा रही है. इस दौरान पीपुल्स हॉस्पिटल की नर्सिंग सुपरिटेंडेंट गिरजा उन्नी के नेतृत्व में नर्सिंग स्टाफ ने बच्चे की बहुत अच्छे से देखभाल की. जिसके परिणाम स्वरूप बच्ची पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई.

  • अस्पताल ने की अच्छी देखभाल

बच्ची के पिता हाशिम ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उसे हॉस्पिटल में छोड़ इलाहाबाद वापस चला गया था. यहां पर बच्ची की देखभाल के लिए परिवार के अन्य सदस्य थे. निजी हॉस्पिटल वालों ने हमारी अनुपस्थिति में बिना मां के बच्चे का बहुत अच्छे से ध्यान रखा. मेरे परिवार जनों को किसी प्रकार का कोई प्रेशर नहीं दिया. आज हमारी बच्ची स्वस्थ हो गई है और वह पहली बार अपने घर जा रही है.

ऐसी आस्था से कैसे भागेगा कोरोना ? उड़ा दी गाइडलाइन की धज्जियां

  • हौसले के साथ इलाज करके बच्ची को बचाया

अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ऋचा ने बताया जब बच्ची पैदा हुई थी, तब उसका वजन बहुत कम था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन हमारी डॉक्टरों की टीम, नर्सिंग स्टाफ के साथ अपने कार्य में लगी रही. जब RT-PCR रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई तो मेरी टीम थोड़ा घबरा गई, हम सभी ने मिलकर एक दूसरे का हौसला बढ़ाया और बच्ची का इलाज करते रहे. आज बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है. उसकी RT-PCR रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई. आज हम सभी को बहुत खुशी हो रही है, कि हमने जस्ट बोर्न बेबी को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने में सफलता प्राप्त की. उस बच्ची का वजन अभी 2.5 kg है जो एक स्वस्थ बच्चे का होता है.

  • मंत्री सारंग में जताई खुशी, हौसले की तारीफ की

इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बच्ची को उसके पिता हाशमी को सौंपते हुए कहा कि हमें बहुत खुशी ही नहीं बल्कि हॉस्पिटल के डॉक्टर्स, नर्सिंग पेरामेडिकल और अन्य सहयोगी कर्मचारियों पर गर्व हो रहा है, कि उनहोने बहुत अच्छा कार्य किया.

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  • समाज सेवकों को ट्रेनिंग देकर करेंगे मदद

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने कहा कि कोविड के दौरान हमारे समाज सेवकों ने गरीब और असहाय वर्ग के लोगों को भोजन पहुंचाने का कार्य किया. वह अविस्मरणीय है. हम लोग एक योजना बना रहे हैं, जिसके तहत हम समाज सेवकों को थोड़ी सी ट्रेनिंग भी देंगे, ताकि वह मरीज को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान कर सकें. हमें संतोष है कि मरीजों की संख्या में कमी आई है. लेकिन जैसा हम सुन रहे हैं कि तीसरी लहर के तहत उसमें बच्चों पर ज्यादा असर होगा हमें उसके लिए तैयार रहना है.

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