भोपाल। गृह विभाग ने मंगलवार को IPS पुरुषोत्तम शर्मा के संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. इस आदेश के अनुसार डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ 2 विभागीय जांच अभी चल रही है. ऐसे में इनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को खारिज किया जाता है. दरअसल सीनियर IPS ऑफिसर होने के नाते पुरुषोत्तम शर्मा ने योग्यता के अनुसार पोस्टिंग नहीं मिलने के कारण VRS की मांग की थी. उन्होंने इसी साल 31 मई 2023 को VRS के लिए आवेदन किया था, इस मामले में सरकार ने विचार किया और कई बार की चर्चा के बाद इसे खारिज कर दिया.
IPS को किया गया था निलंबित: सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषोत्तम शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्रवाई को निरस्त किया था. पुरुषोत्तम शर्मा का पत्नी की पिटाई करते हुए 1 वीडियो वायरल हुआ था. वीडियो पर संज्ञान लेकर सरकार ने सितंबर 2020 में उन्हें निलंबित कर दिया था. निलंबन के बाद शर्मा ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका दायर की थी, जहां से मई 2022 में उनको बहाल करने के आदेश हुए थे. इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. इसकी सुनवाई में शर्मा ने बताया कि उनके निलंबन को बिना नियमों के लगातार बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने VRS लेने के बाद ऋषिकेश जाकर भजन करने की इच्छा भी जताई थी. कुछ दिन बाद यह भी बताया गया कि वे मुरैना की जौरा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. बीच में उनकी जनसंपर्क करते हुए कुछ तस्वीरें भी वायरल हुई थी, लेकिन असल वजह यह है कि उनकी सरकार के साथ पटरी नहीं बैठ पा रही थी. वे प्रदेश के डीजीपी बनने की दौड़ में थे, लेकिन उन्हें एक मामले में सस्पेंड कर दिया गया था. वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए और जब उन्हें बहाल किया तो कोई भी महत्वपूर्ण शाखा और काम नहीं दिया गया. इससे वे खिन्न चल रहे थे. पुरुषोत्तम शर्मा ने VRS के लिए आवेदन देने के बाद एक चर्चा में बताया था कि वे सीएम शिवराज सिंह चौहान और CM इकबाल सिंह बैंस से कई बार मिलने के लिए समय मांग चुके हैं, लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं दी जाती है.
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IPS का वीडियो हुआ था वायरल: साल 2020 में IPS पुरुषोत्तम शर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ था, इसमें वे अपनी पत्नी की पिटाई करते हुए दिखाई दिए थे. वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने संज्ञान लिया और सितंबर 2020 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. सस्पेंड होने के बाद पुरुषोत्तम शर्मा ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में रिट याचिका लगाई और मई 2022 में उनकी बहाली के आदेश हुए. इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली और यहां पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि उनका सस्पेंशन नियम विरुद्ध बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि 6 माह से अधिक समय तक सस्पेंड नहीं रख सकते. यदि सस्पेंशन अवधि बढ़ानी है तो 3 मेंबर की 1 कमेटी बनाकर रिकमंडेशन जरूरी है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार के सस्पेंशन ऑर्डर को निरस्त कर दिया. इसके बाद ही पुरुषोत्तम शर्मा को पीएचक्यू में स्पेशल डीजी बनाया गया, लेकिन कोई महत्वपूर्ण विंग नहीं दी गई.