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निकाय चुनाव एक साथ कराने की तैयारी में कमलनाथ सरकार, विधेयक में होगा संशोधन

कमलनाथ सरकार प्रदेश में निकाय चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है. इसके लिए नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2019 लाया जा रहा है. इसे देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के प्रथम सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेने की अनुशंसा सरकार से की है.

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Published : Jun 28, 2019, 1:36 PM IST

राज्य निर्वाचन आयोग

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में निकाय चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है. इसके लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2019 लाया जा रहा है. इसके जरिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टरों से वापस लिए जाएंगे.

एक साथ हो सकते हैं निकाय चुनाव

निकाय चुनाव के बाद पहला सम्मेलन अलग-अलग तारीखों को बुलाए जाने से उनका कार्यकाल भी अलग-अलग तारीखों से तय होता है. इन तारीखों के हिसाब से ही निकाय चुनाव कराने पड़ते हैं. नगरीय निकायों का कार्यकाल प्रथम सम्मेलन की तारीख से तय होता है. इसके लिए कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं.

स्थानीय निकाय के सम्मेलन कराने को लेकर कई बार कलेक्टर द्वारा एसडीएम, एडीएम या तहसीलदार को नियुक्त कर दिया जाता है और वे अलग-अलग तारीखों पर निकाय चुनावों के सम्मेलन कराते हैं. इसकी वजह से जब अगली बार चुनाव कराए जाते हैं, तो सम्मेलन की तारीख के हिसाब से ही चुनाव कराने पड़ते हैं. इसकी वजह से राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराते समय परेशानी होती है.

इसे देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के प्रथम सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेने की अनुशंसा सरकार से की है. सरकार अब मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम विधि संशोधन विधेयक 2019 की धारा 12 और धारा 30 में संशोधन करने जा रही है. इसके बाद परिषद के सम्मेलन बुलाने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे जाएंगे.

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में निकाय चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है. इसके लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2019 लाया जा रहा है. इसके जरिए नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टरों से वापस लिए जाएंगे.

एक साथ हो सकते हैं निकाय चुनाव

निकाय चुनाव के बाद पहला सम्मेलन अलग-अलग तारीखों को बुलाए जाने से उनका कार्यकाल भी अलग-अलग तारीखों से तय होता है. इन तारीखों के हिसाब से ही निकाय चुनाव कराने पड़ते हैं. नगरीय निकायों का कार्यकाल प्रथम सम्मेलन की तारीख से तय होता है. इसके लिए कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं.

स्थानीय निकाय के सम्मेलन कराने को लेकर कई बार कलेक्टर द्वारा एसडीएम, एडीएम या तहसीलदार को नियुक्त कर दिया जाता है और वे अलग-अलग तारीखों पर निकाय चुनावों के सम्मेलन कराते हैं. इसकी वजह से जब अगली बार चुनाव कराए जाते हैं, तो सम्मेलन की तारीख के हिसाब से ही चुनाव कराने पड़ते हैं. इसकी वजह से राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराते समय परेशानी होती है.

इसे देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के प्रथम सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेने की अनुशंसा सरकार से की है. सरकार अब मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम विधि संशोधन विधेयक 2019 की धारा 12 और धारा 30 में संशोधन करने जा रही है. इसके बाद परिषद के सम्मेलन बुलाने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे जाएंगे.

Intro:मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में निकाय चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है इसके लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2019 लाया जा रहा है। इसके जरिए नगर निगम नगर पालिका और नगर परिषद के सम्मेलन कराने का अधिकार कलेक्टरों से वापस लिए जाएंगे। निकाय चुनाव के बाद पहला सम्मेलन अलग-अलग तारीखों को बुलाए जाने से उनका कार्यकाल भी अलग-अलग तारीखों से तय होता है, इन तारीखों के हिसाब से ही निकाय चुनाव कराने पड़ते हैं।


Body:नगरीय निकायों का कार्यकाल प्रथम सम्मेलन की तारीख से तय होती है इसके लिए कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं। स्थानीय निकाय के सम्मेलन कराने कई बार कलेक्टर द्वारा एसडीएम एडीएम या तहसीलदार को नियुक्त कर दिया जाता है और दे अलग-अलग तारीखों पर निकाय चुनावों के सम्मेलन कराते हैं। इसकी वजह से जब अगली बार चुनाव कराए जाते है तो सम्मेलन की तारीख के हिसाब से ही चुनाव कराने पड़ते हैं। इसकी वजह से राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराते समय परेशानी होती है। इसको देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के प्रथम सम्मेलन कराने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेने की अनुशंसा सरकार से की है। सरकार अब मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम विधि संशोधन विधेयक 2019 की धारा 12 और धारा 30 में संशोधन करने जा रही है। इसके बाद परिषद के सम्मेलन बुलाने के अधिकार कलेक्टर से वापस लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे जाएंगे।


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