सागर (कपिल तिवारी): मध्य प्रदेश के सबसे बडे़ टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व की बात करें, तो इसकी कई खूबियां है. बाघों के साथ भारतीय भेड़ियों, गिद्धों और कई तरह के पशु पक्षियों के आवास के लिए ये एक बेहतर स्थान है. यहां की खास बात ये है कि यहां पर बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. जो सर्दियों के मौसम में आकर्षण का केंद्र होते हैं. एशिया के देशों के अलावा यूरोपियन देशों से कई तरह के पक्षी आते हैं.
जिनमें सबसे ज्यादा जमावड़ा यहां पर गिद्धों का लगता है. सर्दी के मौसम में यहां करीब 7 प्रजातियों के गिद्ध आते हैं. जिनमें हिमालय के आसपास के अलावा यूरोपियन देशों से 3 से 4 हजार किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचते हैं. इस बार भी इन प्रवासी पक्षियों का नौरादेही पहुंचना शुरू हो गया है. ये टाइगर रिजर्व के तालाब और नदियों के कुंड के आसपास आसानी से देखे जा सकते हैं.
प्रवासी पक्षियों को क्यों भाया नौरादेही टाइगर रिजर्व
मध्य प्रदेश के सबसे बडे़ टाइगर रिजर्व की बात करें, तो प्रवासी पक्षियों के लिए यहां की आवोहवा, विशाल जंगल और यहां के प्राकृतिक जलस्त्रोत काफी पसंद आते हैं. इसी कारण यहां पर भारत के आसपास के देशों के अलावा एशिया और यूरोप के दूसरे देशों से काफी संख्या में प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम में पहुंचते हैं. नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ एए अंसारी बताते हैं कि "टाइगर रिजर्व के तीन तालाब और दोनों नदियों के आसपास प्रवासी पक्षियों का ठिकाना होता है. जिनमें जगरासी खेड़ा, छेवला और जगतराई तालाब है.
![7 SPECIES OF VULTURES IN NAURADEHI](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/mp-sgr-02-migratory-bird-spl-7208095_12012025111105_1201f_1736660465_247.jpg)
वहीं यहां बहने वाली ब्यारमा और बामनेर नदी के कुंड या तालाब नुमा संरचनाओं के आसपास इनको आसानी से देखा जा सकता है. यहां की आवोहवा प्रवासी पक्षियों को ऐसी भायी है कि कुछ पक्षी तो 3 से 4 हजार किलोमीटर सफर तय करके यहां पहुंचते हैं जिनमें सात तरह के गिद्धों के अलावा हरियाणा में पायी जाने वाली वुली नेक्ड स्टार्क के अलावा पेंटेड स्टार्क (सारस) भी देखे जा सकते हैं. इसके अलावा ब्लैक स्टार्क तो प्रजनन के लिहाज से पहुंचते हैं और तालाब और नदी किनारे के पेड़ों को अपना ठिकाना बनाते हैं.
![SAGAR NAURADEHI MIGRATORY BIRDS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/23308322_aa.jpg)
टाइगर रिजर्व में यहां रहता है प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा
नौरादेही टाइगर रिजर्व में सर्दियां बिताने आने वाले प्रवासी पक्षियों की बात करें, तो इनको नौरादेही की आवोहवा पसंद आने का कारण ये माना जाता है कि यहां विशाल क्षेत्रफल के कारण इंसानी दखल काफी कम है और यहां का ईकोसिस्टम काफी अच्छा है. इसके अलावा यहां पर तीन तालाब और दो नदियों के आसपास कई जगहों पर इन प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा देखा जा सकता है. जिनमें जगरासीखेड़ा, छेवला और जगतराई तालाब प्रमुख है. इसके अलावा यहां बहने वाली दो बडी नदियां बामनेर और ब्यारमा में कई ऐसे स्थान हैं. जहां इन प्रवासी पक्षियों को आसानी से देखा जा सकता है. तालाब और नदी किनारे प्रवासी पक्षी धूप सेंकते नजर आते हैं.
![7 SPECIES OF VULTURES IN NAURADEHI](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/23308322_ss.jpg)
हिमालयन और यूरेशियन गिद्धों की 7 प्रजातियां
नौरादेही टाइगर रिजर्व में पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों में भारतीय और विदेशी गिद्ध यहां काफी संख्या में देखे जा सकते हैं. यहां सात प्रकार के गिद्धों की प्रजातियां देखने मिलती है. जिनमें 4 तो यहां की स्थायी निवासी हैं, लेकिन तीन प्रजातियां सिर्फ सर्दी के मौसम में नजर आती है. यहां पर हिमालय के आसपास के अलावा अफगानिस्तान, भूटान, तुर्केमिस्तान और तिब्बत से गिद्ध आते हैं. इनका प्रमुख ठिकाना हिमालय में 12 सौ से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर होता है.
![SAGAR NAURADEHI MIGRATORY BIRDS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/23308322_ddd.jpg)
हिमालयन ग्रिफन कई सालों से नौरादेही में सर्दियां बिताने पहुंच रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ यूरोप और एशिया के दूसरे देशों से यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध आते हैं. इनको तो नौरादेही का मौसम ऐसा भाया है कि यहां सर्दियां बिताने के लिए ये 3 से 4 हजार किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं. खास बात ये है कि यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध यहां सिर्फ सर्दियां बिताने आते हैं. जबकि दूसरे गिद्ध यहां प्रजनन के लिहाज से भी पहुंचते हैं.
![SAGAR MIGRATORY BIRDS GATHERED](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/mp-sgr-02-migratory-bird-spl-7208095_12012025111105_1201f_1736660465_962.jpg)
गिद्धों के अलावा दूसरे पक्षी भी आकर्षण का केंद्र
टाइगर रिजर्व में यूरेशियन और हिमालयन गिद्धों के अलावा बडी संख्या में दूसरी प्रजाति के पक्षी भी देखने मिलते हैं। हरियाणा में पायी जाने वाला वुली नेक्ड स्टार्क के अलावा पेंटेड स्टार्क (सारस) अपने परिवार के साथ नौरादेही पहुंचते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में ब्लैक स्टार्क प्रजनन काल के हिसाब से नौरादेही में काफी संख्या में पहुंचे हैं. ये तालाब और नदी किनारे पेड़ों को अपना ठिकाना बनाते है और ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर अंडे देते हैं. इसके अलावा यूरोप, एशिया और अफ्रीका में पाये जाने वाला ग्रे हेरान भी हर साल नौरादेही टाइगर रिजर्व पहुंचते हैं.
![VEERANGANA RANI DURGAVATI RESERVE](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/mp-sgr-02-migratory-bird-spl-7208095_12012025111105_1201f_1736660465_743.jpg)
क्या कहना है प्रबंधन का
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ एए अंसारी कहते हैं कि "नौरादेही में तीन बड़े तालाब हैं, जिनमें हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं. हमारा जगरासी खेड़ा तालाब, छेवला तालाब और जगतराई तालाब है. इसके अलावा नदियों में जो कुंड या तालाबनुमा संरचना है. उनके आसपास भी प्रवासी पक्षी आते हैं. इनका आगमन यहां प्रारंभ हो गया है. इसके साथ ही यहां पर 7 प्रजातियों के गिद्ध पाए जाते हैं.
![SAGAR MIGRATORY BIRDS GATHERED](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-01-2025/mp-sgr-02-migratory-bird-spl-7208095_12012025111105_1201f_1736660465_323.jpg)
- गिद्धों की नई पीढ़ी के लिए तैयार मध्य प्रदेश का नौरादेही टाइगर रिजर्व, वनविहार में जन्मे बच्चों का यहां होगा बसेरा
- बाघों की होगी लंबी उम्र, ट्रेनों से बच रातापानी में दूधो नहा पूतो फलेगी टाइगर फैमिली
जिनमें 4 यहां के निवासी है और तीन प्रकार के गिद्ध बाहर से आते हैं. उसमें हिमालयन ग्रिफान, यूरेशियन ग्रेफान और सिनेरियस वल्चर है. इनका आगमन शुरू हो गया है. ये अभी बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं. ये एक ऐसा संकेत है कि हमारा ईकोसिस्टम बहुत अच्छा है. हम लोग ये देखते हैं कि प्रवासी पक्षी बढ़ रहे हैं या फिर घट रहे हैं. हिमालयन ग्रेफान है,ये हिमालय के एरिया से आते हैं. हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और तिब्बत से आते हैं, लेकिन यूरेशियन ग्रेफान रसिया और यूरोप के देशों से 3 से 4 हजार किलोमीटर की यात्रा करके आते हैं. यहां ये प्रजनन के लिए नहीं बल्कि भोजन और सर्दियां बिताने के लिए आते हैं."