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MP में 'मामा' ही होंगे 2023 का CM चेहरा, सिंधिया समर्थक भी कहने लगे कि शिवराज ही चेहरा - ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं होंगे सीएम चेहरा

2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इस बात से तो फिलहाल इनकार नहीं किया जा सकता, जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व और मोदी का साथ शिवराज को मिल रहा है, उसे देखते हुए सिंधिया खेमें के भी कहने लगे हैं कि 2023 में शिवराज ही बीजेपी का चेहरा होंगे.

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2023 में एमपी सीएम का चेहरा कौन
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Published : Nov 15, 2022, 6:58 AM IST

Updated : Nov 15, 2022, 7:58 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश 2023 के चुनावों की तैयारी में बीजेपी जुट गई है, पार्टी ने भले ही खुले तौर पर न कहा हो कि शिवराज के चेहरे पर ही अगला चुनाव लडा जायेगा. लेकिन शिवराज खेमे के साथ सिंधिया कट्टर समर्थक अब खुलकर कहने लगे हैं कि शिवराज ही 2023 के लिए पार्टी का चेहरा होंगे.

2023 में एमपी सीएम का चेहरा कौन

शिवराज के सामने नतमस्तक है विरोधी खेमा: 2018 में पार्टी की हार हुई तो पार्टी ने माना कि शिवराज ने पार्टी के सुझावों को दर किनार किया और उनके मन माफिक टिकट बांटे, नतीजा ये रहा की शिवराज ने जिन लोगों को विरोध के बाद भी टिकट दिए, उन्हें चुनावी मैदान में बुरी तरह से हार मिली. लेकिन ऑपरेशन लोटस की सफलता के बाद शिवराज का कद फिर से बढ़ा, हालांकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व शिवराज को सीएम नहीं चाहता था, लेकिन पीएम मोदी ने शिवराज पर मुहर लगा दी. हालांकि तमाम विपरीत परिस्थितियों में शिवराज ने खुद को साबित किया और अब पार्टी का विरोधी खेमा भी अब शिवराज के सामने नतमस्तक है.

शिवराज ही होंगे 2023 का सीएम चेहरा: बीच-बीच में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता को देखकर सीएम के चेहरे को लेकर अटकलें चलीं, उन अटकलों पर अब विराम लग चुका है. अब सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री भी यह मानने लगे हैं कि मध्यप्रदेश में शिवराज ही सिरमौर हैं. केंद्रीय नेतृत्व भी बार-बार यह संकेत दे रहा है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा शिवराज सिंह चौहान ही होंगे. शिवराज निर्विवाद रूप से मध्यप्रदेश भाजपा में सबसे बड़े नेता हैं, उनके मुकाबले बाकी नेताओं की पकड़ न तो पूरे प्रदेश पर है और न ही उन नेताओं में प्रदेश के हर हिस्से से वोट निकालने की क्षमता है. सीएम पद संभालने के बाद शिवराज ने लगातार अपनी ताकत में इजाफा किया है, उनके नेतृत्व में भाजपा ने 2008 और 2013 के चुनाव में विराट जीत हासिल की थी. 2018 में भी एंटी इनकंबेंसी के बावजूद शिवराज शतक लगाने में कामयाब हुए थे और सरकार बनाने के बहुत करीब पहुंच चुके थे. इस बार 2018 के परिणामों से सबक लेकर शिवराज ताबड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं, संगठन और सरकार में उनकी बैठकों का दौर जारी है. हाल ही में सीएम ने डिनर पर मंत्रियों से भी रूबरू चर्चा की है, अब 25-26 नवंबर को एक बार फिर मंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं. इस दौरान मंत्रियों की परफॉर्मेंस पर भी चर्चा होगी. कैबिनेट विस्तार की अटकलें भी चल रही है, माना जा रहा है सिंधिया समर्थक और नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे और कइयों के पर भी काटे जायेंगे.

MP politics क्या Congress में फिर हो सकती है बड़ी टूट! चुनावी साल और दलबदल के दंगल में दावों का दम कितना

क्या कहती है बीजेपी: 2023 विधानसभा में चेहरे को लेकर कर चल रही चर्चा पर बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि, "भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य की सरकार ने डबल इंजन में जिस प्रकार से काम किया है, केंद्र की योजनाएं जनता तक लगातार पहुंच रही है. राज्य में जनता के उत्थान के लिए लगातार काम किया जा रहा है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस प्रकार से दिग्विजय सिंह के शासनकाल को समाप्त कर बीमारू से सुचारू और सुचारू से स्वर्णिम मध्य प्रदेश बनाने का काम किया है, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में और उनके चेहरे पर भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में चुनाव लडेगी."

सिंधिया समर्थक खुद विचलित: 2023 विधानसभा में चेहरे को लेकर चल रही चर्चा पर कांग्रेस विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने कहा कि, "भारतीय जनता पार्टी को एहसास हो गया है कि वह चुनाव हारने जा रही है, बहुत सारे वर्तमान मंत्रियों की जमानत भी जब्त हो जाएंगी. इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी किसी दूसरे चेहरे को धूमिल नहीं करना चाहती है, जब वह चुनाव हारे हैं तो यह कह सकें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता कम हो गई है, हारे हुए चुनाव में कोई भी सेनापति बनना नहीं चाहता है. बात अगर सिंधिया समर्थक विधायकों की करे तो वह खुद विचलित हो रहे हैं, जिस प्रकार से गुजरात में वर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए हैं उससे कहीं ना कहीं उनको लग रहा है कि उनके टिकट भी खतरे में है, इसलिए वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जप रहे हैं."

चुनाव में 11 महीने का समय बाकी, अटकलें तेज: 2023 के विधानसभा चुनाव में अभी करीब 11 माह का समय बचा हुआ है, लेकिन चहरे की बात समय-समय पर होती रही है. चहरे को लेकर अटकलों का बाजार गर्म भी हुआ, पर बीजेपी का चेहरा सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के रुप मे देखा गया. बात कांग्रेस करें तो उसमें पीसीसी चीफ कमलनाथ का चेहरा मुख्यमंत्री के रूप में जनता के बीच में जाएगा, देखने वाली बात यह है कि 2023 में जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो दोनों ही राजनीतिक दलों में चेहरा कौन होगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश 2023 के चुनावों की तैयारी में बीजेपी जुट गई है, पार्टी ने भले ही खुले तौर पर न कहा हो कि शिवराज के चेहरे पर ही अगला चुनाव लडा जायेगा. लेकिन शिवराज खेमे के साथ सिंधिया कट्टर समर्थक अब खुलकर कहने लगे हैं कि शिवराज ही 2023 के लिए पार्टी का चेहरा होंगे.

2023 में एमपी सीएम का चेहरा कौन

शिवराज के सामने नतमस्तक है विरोधी खेमा: 2018 में पार्टी की हार हुई तो पार्टी ने माना कि शिवराज ने पार्टी के सुझावों को दर किनार किया और उनके मन माफिक टिकट बांटे, नतीजा ये रहा की शिवराज ने जिन लोगों को विरोध के बाद भी टिकट दिए, उन्हें चुनावी मैदान में बुरी तरह से हार मिली. लेकिन ऑपरेशन लोटस की सफलता के बाद शिवराज का कद फिर से बढ़ा, हालांकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व शिवराज को सीएम नहीं चाहता था, लेकिन पीएम मोदी ने शिवराज पर मुहर लगा दी. हालांकि तमाम विपरीत परिस्थितियों में शिवराज ने खुद को साबित किया और अब पार्टी का विरोधी खेमा भी अब शिवराज के सामने नतमस्तक है.

शिवराज ही होंगे 2023 का सीएम चेहरा: बीच-बीच में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता को देखकर सीएम के चेहरे को लेकर अटकलें चलीं, उन अटकलों पर अब विराम लग चुका है. अब सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री भी यह मानने लगे हैं कि मध्यप्रदेश में शिवराज ही सिरमौर हैं. केंद्रीय नेतृत्व भी बार-बार यह संकेत दे रहा है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा शिवराज सिंह चौहान ही होंगे. शिवराज निर्विवाद रूप से मध्यप्रदेश भाजपा में सबसे बड़े नेता हैं, उनके मुकाबले बाकी नेताओं की पकड़ न तो पूरे प्रदेश पर है और न ही उन नेताओं में प्रदेश के हर हिस्से से वोट निकालने की क्षमता है. सीएम पद संभालने के बाद शिवराज ने लगातार अपनी ताकत में इजाफा किया है, उनके नेतृत्व में भाजपा ने 2008 और 2013 के चुनाव में विराट जीत हासिल की थी. 2018 में भी एंटी इनकंबेंसी के बावजूद शिवराज शतक लगाने में कामयाब हुए थे और सरकार बनाने के बहुत करीब पहुंच चुके थे. इस बार 2018 के परिणामों से सबक लेकर शिवराज ताबड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं, संगठन और सरकार में उनकी बैठकों का दौर जारी है. हाल ही में सीएम ने डिनर पर मंत्रियों से भी रूबरू चर्चा की है, अब 25-26 नवंबर को एक बार फिर मंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं. इस दौरान मंत्रियों की परफॉर्मेंस पर भी चर्चा होगी. कैबिनेट विस्तार की अटकलें भी चल रही है, माना जा रहा है सिंधिया समर्थक और नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे और कइयों के पर भी काटे जायेंगे.

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क्या कहती है बीजेपी: 2023 विधानसभा में चेहरे को लेकर कर चल रही चर्चा पर बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि, "भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य की सरकार ने डबल इंजन में जिस प्रकार से काम किया है, केंद्र की योजनाएं जनता तक लगातार पहुंच रही है. राज्य में जनता के उत्थान के लिए लगातार काम किया जा रहा है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस प्रकार से दिग्विजय सिंह के शासनकाल को समाप्त कर बीमारू से सुचारू और सुचारू से स्वर्णिम मध्य प्रदेश बनाने का काम किया है, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में और उनके चेहरे पर भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में चुनाव लडेगी."

सिंधिया समर्थक खुद विचलित: 2023 विधानसभा में चेहरे को लेकर चल रही चर्चा पर कांग्रेस विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने कहा कि, "भारतीय जनता पार्टी को एहसास हो गया है कि वह चुनाव हारने जा रही है, बहुत सारे वर्तमान मंत्रियों की जमानत भी जब्त हो जाएंगी. इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी किसी दूसरे चेहरे को धूमिल नहीं करना चाहती है, जब वह चुनाव हारे हैं तो यह कह सकें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता कम हो गई है, हारे हुए चुनाव में कोई भी सेनापति बनना नहीं चाहता है. बात अगर सिंधिया समर्थक विधायकों की करे तो वह खुद विचलित हो रहे हैं, जिस प्रकार से गुजरात में वर्तमान विधायकों के टिकट काटे गए हैं उससे कहीं ना कहीं उनको लग रहा है कि उनके टिकट भी खतरे में है, इसलिए वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जप रहे हैं."

चुनाव में 11 महीने का समय बाकी, अटकलें तेज: 2023 के विधानसभा चुनाव में अभी करीब 11 माह का समय बचा हुआ है, लेकिन चहरे की बात समय-समय पर होती रही है. चहरे को लेकर अटकलों का बाजार गर्म भी हुआ, पर बीजेपी का चेहरा सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के रुप मे देखा गया. बात कांग्रेस करें तो उसमें पीसीसी चीफ कमलनाथ का चेहरा मुख्यमंत्री के रूप में जनता के बीच में जाएगा, देखने वाली बात यह है कि 2023 में जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो दोनों ही राजनीतिक दलों में चेहरा कौन होगा.

Last Updated : Nov 15, 2022, 7:58 AM IST
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