भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नए अभयारण्य का प्रस्ताव तैयार करवाया जा रहा है. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और आदिम जाति कल्याण विभाग की सहमति के बिना ही ओंकारेश्वर अभयारण्य के गठन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की तैयारी की जा रही है. वन विभाग ने प्रस्ताव सीएम समन्वय को भेजने की तैयारी भी शुरू कर दी है.
बताया जा रहा है कि इसे जल्द तैयार कर समिति को सौंपा जाएगा. जिससे इसे जल्द से जल्द कैबिनेट में लाकर पारित किया जा सके. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान भी ओंकारेश्वर अभयारण्य को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया था. लेकिन किन्हीं कारणों से वह कैबिनेट तक ही नहीं पहुंच पाया. विभाग द्वारा 614.07 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को शामिल कर अभयारण्य बनाया जा रहा है. इसमें नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की नहरों के लिए पहले ही जमीन छोड़ने की तैयारी कर ली गई है.
1987 से लंबित पड़ा गठन
बता दें कि 32 साल बाद बनाए जा रहे अभयारण्य में दूसरे क्षेत्रों से वन्य प्राणी लाकर छोड़े जाएंगे. नर्मदा नदी पर इंदिरा सागर परियोजना की मंजूरी के साथ ही साल 1987 से ओंकारेश्वर अभयारण्य का गठन लंबित पड़ा हुआ है. इसे लेकर 11 सालों से कागजी कार्रवाई पर काम चल रहा है, लेकिन अब तक सरकार द्वारा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. वन मंत्री उमंग सिंघार ने इसका प्रस्ताव एक बार फिर से अधिकारियों के जरिए तैयार करवाया है. सरकार का उद्देश्य है कि जल्द से जल्द नए अभयारण्य का प्रस्ताव कैबिनेट में स्वीकार कर इस पर काम शुरू किया जा सके
आदिम जाति विभाग की नहीं मिली सहमति
प्रशासकीय सहमति के बाद यह प्रस्ताव सभी प्रमुख विभागों को सहमति के लिए भेजा गया था.नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और आदिम जाति कल्याण विभाग की सहमति अब तक इस मामले में नहीं मिल पाई है. लेकिन वन मंत्री उमंग सिंघार नया प्रस्ताव कैबिनेट को भेजने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए हैं. कैबिनेट प्रस्ताव के बाद इस पर अंतिम मुहर लगाई जा सकेगी. ओंकारेश्वर अभयारण्य का गठन इंदिरा सागर डैम से भविष्य में निकलने वाली नहर की वजह से लंबित पड़ा हुआ था. अभयारण्य के गठन की जिम्मेदारी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को सौंपी गई थी . इसके लिए वन विभाग में प्राधिकरण को वन अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं भी सौंप दी थी.