भोपाल। शहडोल जिला चिकित्सालय में लगातार नवजात बच्चों की मौत का मामला सामने आ रहा है. अब तक करीब 12 बच्चों की मौत हो चुकी है. पहले जब 6 बच्चों की मौत हुई थी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दिए थे. जब जांच करने वाली टीम शहडोल पहुंची तो उन्होंने वहां के डॉक्टरों को यह कहकर क्लीन चिट दे दी कि डॉक्टरों की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई है. वहीं इस बार में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.
इलाज में लापरवाही नहीं बरती की गई
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह गम्भीर मामला है, जहां बच्चों की मौत हो रही है. निमोनिया ज्यादा बढ़ रहा है. मंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिए हैं कि उस क्षेत्र में जाकर सर्वे किया जाये और देखा जाए कि कहीं कोई बच्चा पहले से पीड़ित तो नहीं है. क्योंकि सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया पर फिर भी बच्चे नहीं बच पाए. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.
अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में जानकारी नहीं
अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर हुई लाठीचार्ज के के बारे में स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है, मैं इस बारे में जानकारी लूंगा.
शहडोल में बढ़ रहे नवजातों के मौत के मामले
बता दें कि शहडोल जिला चिकित्सालय में लगातार नवजात बच्चों की मौत हो रही है. मौत का कारण निमोनिया बताया जा रहा है. इस सप्ताह लगभग 12 बच्चों की मौत दर्ज की गई है.
पढ़ें:Shocking - शहडोल में चार बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ? फिर सवालों के घेरे में स्वास्थ्य महकमा
क्या है मामला
गौरतलब है कि जिला अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. आज एक बार फिर जिला अस्पताल में चार और बच्चों की मौत हो गई. 48 घंटों में चार बच्चे काल के गाल में समा गए. जिसके बाद मरने वाले नवजात बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. पिछले छह दिन के अंदर 12 बच्चें मौत की नींद सो गए. नवजात बच्चों की मौत पर अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.
जानकारी के मुताबिक बच्चें जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती थे. पाली से 7 माह के नवजात को गुरुवार की सुबह 11 बजे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था, जिसकी मौत निमोनिया से होना बताया जा रहा है. वहीं डिंडोरी से आये 1 माह 10 दिन के नवजात की मौत के पीछे कम वजन का होना बताया गया है. जिला अस्पताल में पिछले 1 हफ्ते के भीतर 12 बच्चों की मौत हो चुकी है.
2 विशेषज्ञों की टीम कर रही थी जांच
शहडोल जिला अस्पताल में लगातार हो रही बच्चों की मौत के मामले में जबलपुर मेडिकल कॉलेज से 2 विशेषज्ञों की टीम भी भेजी गई थी कि आखिर बच्चों की मौत क्यों हो रही है. इसकी जांच की जाए और रिपोर्ट सीधे राज्य सरकार को सौंपी जाएगी. इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी संज्ञान में लिया है, लेकिन फिर भी बच्चों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
पढ़ें:शहडोल जिला अस्पताल में 8 मासूमों की मौत, सिविल सर्जन बोले- गंभीर हालत में लाते हैं परिजन
रविवार को सामने आई थी घटना
रविवार के दिन जैसे ही यह खबर सामने आई कि पिछले 24 घंटे में 4 नवजातों की मौत हो गई है. जिसमें 3 दिन से लेकर के 4 महीने तक के मौत बच्चों की मौत हुई है. जिसमें पीआईसीयू में तीन और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई थी. उसमें बुढार के अरझूली के 4 माह का बच्चा पुष्पराज सिंह, सिंहपुर बोडरी गांव के 3 माह का बच्चा राज कोल, 2 माह का प्रियांश, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थे. तो वहीं उमरिया जिले के निशा की भी एसएनसीयू में मौत हुई है. नवजात की मौत से हड़कंप मच गया था. इसके बाद रविवार के दिन ही एक और बच्चे की मौत की खबर आई थी और शुक्रवार को फिर से दो नवजात की मौत हो गई. इसको मिलाकर अभी तक 10 बच्चों की मौत हो चुकी है.
वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा था कि इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं, जो लोग दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी संज्ञान लिया है.