ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लालटिपारा स्थित आदर्श गौशाला का आधिपत्य भले ही नगर निगम के पास हो, लेकिन इसका संचालन संत समाज करता है. यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में आदर्श गौशाला ने अपने नाम की तरह प्रदेश में अपना नया स्तर तैयार कर लिया है और अब एक बार फिर ये सुर्खियों में है. दरअसल, जल्द ही गौशाला गोबर से बायो सीएनजी गैस बनाई जाने वाली है, जिसके लिए सारी व्यवस्थाएं बना ली गई हैं. इस बायो सीएनजी प्लांट का शुभारंभ भी पीएम मोदी कर सकते हैं.
गौशाला में होती है 10 हजार गौवंश की देखरेख
आदर्श गौशाला प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला है और यही वजह है कि यहां करीब 10 हजार गोवंश की देखरेख होती है. इन्ही गोवंशों के गोबर का अब तक गौ कास्ट या गोबर से बनी अन्य कलाकृतियों के लिए उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इसी गोबर का उपयोग प्रतिदिन बायो CNG गैस बनाने के लिए होगा. ऐसा नहीं है कि मध्य प्रदेश में यह एक मात्र ऐसी जगह होगी जहां बायो CNG गैस बनाई जाएगी. प्रदेश में सबसे पहले बायो CNG बनाने का काम इन्दौर में हुआ था, लेकिन इन्दौर में बायो CNG बनाने के लिए गीले कचरे का उपयोग किया जाता है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गौशाला के गोबर से बायो CNG गैस बनाने वाला ग्वालियर पहला शहर होगा और आदर्श गौशाला प्रदेश की पहली गौशाला होगी.
31 करोड़ की लागत से बना है प्लांट
ग्वालियर नगर निगम के अंतर्गत आने वाली इस गौशाला में पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा 10 बीघा भूमि पर 31 करोड़ रु की लागत से बायो CNG बनाने के लिए प्लांट लगाया गया है. इस प्लांट में प्रतिदिन 100 टन गोबर से 2 टन बायो CNG तैयार होगी. यही बायो CNG गैस नगर निगम के वाहनों के साथ-साथ CNG पंपों के माध्यम से आमजन को भी उपलब्ध कराया जाएगा. यह अपने आप में ग्वालियर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यही वजह है कि गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली इसका शुभारंभ करेंगे.
संतों ने कर दिखाया कमाल
गौरतलब है कि ग्वालियर की इस आदर्श गौशाला का संचालन हरिद्वार से आए संतों के द्वारा किया जाता है. वहां की श्री कृष्णयन गौसेवा समिति ने नगर निगम के साथ मिलकर कुछ सालों पहले इसकी दशा बदलने के लिए संचालन शुरू किया. धीरे-धीरे यहां गौवंश की स्थिति सुधरी. इस गौशाला की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे संत रिषभ देव आनंद कहते हैं, '' संतों द्वारा इसकी जिम्मेदारी संभालने के साथ ही पहली प्राथमिकता यहां इकट्ठा होने वाला गोबर का प्रबंधन रहा है. इस गोबर से गंदगी न फैले और उसका सही उपयोग हो, इसके लिए कई तरह के प्रयोग किए गाए हैं. आज आदर्श गौशाला में गौ कास्ट बनाया जाता है, जिसे लकड़ी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और यह कई मुक्तिधामों में लकड़ी के स्थान पर उपयोग किया जा रहा है. इसके साथ-साथ गोबर की खाद तैयार की जाती है. गोबर के जरिए रंगोली और होली के रंग बनाए जाते हैं और अब गोबर के जरिए बायो CNG गैस बनाने की दिशा में भी कदम उठा लिए गए हैं, जिसका फायदा पूरे क्षेत्र को होगा.''
दो साल पहले शुरू हुआ था काम
संत ऋषभ देव आनंद ने कहा, '' करीब दो साल पहले यहां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के लोग आए थे, वह इस गौशाला में चल रहे गोबर के प्रबंधन से काफी प्रभावित थे. उसी दौरान उनसे बायो CNG गैस बनाने को लेकर चर्चा हुई और बाद में निगम से चर्चा के बाद यहां प्लांट बनाने का काम शुरू हो गया था और लगभग दो साल में यह प्लांट बनकर तैयार है. अब दो दिन बाद इसका उद्घाटन होने जा रहा है.''