भोपाल। सरकार के चहेते अधिकारी के खिलाफ IAS अधिकारी को जांच करना भारी पड़ रहा है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में नियुक्तियों में धांधली को लेकर IAS अधिकारी नेहा मारव्या ने जांच की थी. अधिकारी ने अपनी जांच में मिशन के सीईओ सहित जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए जालसाजी, धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने सहित विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करना पाया था. जांच अधिकारी द्वारा करीब 1 साल पहले ये रिपोर्ट सौंपी गई थी, लेकिन उस पर कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी. बताया जा रहा है कि जांच के बाद से ही IAS अधिकारी को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें पिछले 9 माह से बिना काम के बैठा कर रखा गया है. कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि "नेहा मारव्या आदिवासी अधिकारी हैं, इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है."
पूर्व मंत्री ने लगाए आरोप: पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के मुताबिक आजीविका मिशन के सीईओ एलएम बेलवाल के खिलाफ जांच करने के बाद पिछले साल पंचायत चुनाव की आचार संहिता में नियमों को ताक पर रखकर आईएएस नेहा मारव्या का तबादला कर दिया गया. मंत्रालय में राजस्व विभाग के एक कमरे में बिना काम के 9 माह से बैठाकर रखा गया है. यहां तक की मारव्या को पानी पिलाने तक के लिए कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराया गया है. ट्रांसफर के समय इनसे गाड़ी तक छीन ली गई थी. सीईओ बेलवाल मूल रूप से वन सेवा के अधिकारी हैं. लेकिन पिछले 12 सालों से एक ही कुर्सी पर जमे हुए हैं. आईएएस अधिकारी ने रायसेन के तत्कालीन सहायक, जिला प्रबंधक, जिला पंचायत भूपेन्द्र प्रजापति की शिकायत पर जांच की थी. शिकायत में बेलवाल पर सुषमा रानी और उनके 6 परिचितों की फर्जी नियुक्ति की बात कही गई थी.
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आजीविका मिशन में चल रही कमीशनखोरी: पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि "सरकार ने दावा किया था कि स्व सहायता समूह को पोषण आहार संयंत्रों के प्रबंधन का काम दिया गया है. लेकिन यह संयंत्र 45 करोड़ के घाटे में चल रहे हैं. इस पर सरकार चुप है. वहीं, प्रदेश में पिछले साल सिर्फ 5 माह ही आंगनबाड़ियों में पोषण आहार बांटा गया है. स्व सहायता समूह की महिलाओं का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों में किया जा रहा है."